20 हजार साल पुराने पेंडेंट से मिला महिला का DNA, नई तकनीक से खुले कई राज, डेनिसोवा गुफा से मिला पेंडेंट

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Jitendra Shrivastava
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20 हजार साल पुराने पेंडेंट से मिला महिला का DNA, नई तकनीक से खुले कई राज, डेनिसोवा गुफा से मिला पेंडेंट

NEW DELHI. हिरण के दांत से बने एक पेंडेंट पर एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिससे वैज्ञानिकों ने पेंडेंट से उसे पहनने वाले का DNA निकाल लिया। वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया कि पेंडेंट करीब 20,000 साल पहले साइबेरिया में रहने वाली एक महिला का था। जर्मनी में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के विकासवादी मानवविज्ञानियों (Anthropologists) ने पर्यावरणीय डीएनए (Environmental DNA) पाने के लिए प्राचीन कलाकृतियों की नुकसान पहुंचाए बिना, सुरक्षित रूप से उनकी जांच करने का एक तरीका खोजा। उन्होंने इस तरीके का इस्तेमाल 2019 में रूस की प्रसिद्ध डेनिसोवा गुफा से पाए गए एक पेंडेंट पर किया।



हमारे पूर्वज अतीत में इन चीजों को पहनते थे 



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उस पेंडेंट से महिला के गुणसूत्रों (Chromosomes) के फ्रैग्मेंट्स के अलावा और कोई निशान नहीं पाया गया। हालांकि पेंडेंट द्वारा पसीने और स्किन सेल्स के साथ एब्जॉर्ब किए गए जीन्स से विशेषज्ञों ने यह पता लगा लिया कि वह महिला पैलियोलिथिक समय की थी और उत्तरी यूरेशियाई लोगों के एक प्राचीन समूह से संबंध रखती थी। इस अविश्वसनीय खोज से पता लगता है कि दांत और हड्डी से बनी अन्य प्रागैतिहासिक कलाकृतियां, प्राचीन आनुवंशिक सामग्री के ऐसे स्रोत हैं जिन्हें अभी तक खोजा नहीं गया। इससे बहुत अच्छी तरह से यह जानकारी मिल सकती है कि हमारे पूर्वज अतीत में इन चीजों को कैसे पहनते थे और कैसे इनका इस्तेमाल करते थे।



eDNA एनालिसिस का किया गया इस्तेमाल



नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, हर जीवित चीज अपने चारों तरफ अपने डीएनए से जुड़ी बारीक चीजें छोड़ती है, जैसे कि सेल्स। पिछले कुछ सालों में, वैज्ञानिक हवा और मिट्टी में मौजूद पर्यावरणीय डीएनए (Environmental DNA) या ईडीएनए (eDNA) के इन अवशेषों को खोजने में आश्चर्यजनक रूप से बेहतर हुए हैं। जेनेटिक मैटीरियल के एक जरा से निशान से ही एक्सपर्ट्स अब लुप्तप्राय आबादी की मौजूदगी का पता लगा सकते हैं जिन्हें पारंपरिक तरीकों से ट्रैक करना संभव नहीं होता। वे उन प्रजातियों का भी पता लगा सकते हैं जो लंबे समय से नही हैं या पूरी तरह से खत्म हो गई हैं। दिसंबर 2022 में, वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 20 लाख साल पुराने जेनेटिक मैटीरियल को डिकोड करने के लिए ईडीएनए एनालिसिस का इस्तेमाल किया था।



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कैसे काम करती है ये तकनीक



इस तकनीक में, दांत या हड्डी से बनी कलाकृतियों को खास तरह के कैमिकल्स का इस्तेमाल करके पेनिट्रेट किया जाता है। इससे उसके अंदर गए DNA फ्रैग्मेंट्स बाहर आ जाते हैं। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट की विकासवादी मानवविज्ञानी ऐलेना एस्सेल कहती हैं कि 90 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर कलाकृतियों को कैमिकल से वॉश करने के बाद, उस पानी में हमें डीएनए मिलते हैं। सालों टेस्ट करने के बाद इस 'वॉशिंग मशीन' तकनीक का इस्तेमाल साइबेरिया की एक गुफा में पाए गए हिरण के दांत से बने पेंडेंट पर किया गया था। एस्सेल कहती हैं कि पेंडेंट से हमें जितना मानव डीएनए मिला वह असाधारण था। बिल्कुल ऐसा जैसे हमें इंसान का ही डीएनए सेंपल मिल गया हो। 



क्रोमोसोम से निकाली गई हिस्ट्री



मानव डीएनए में एक्स क्रोमोसोम की संख्या से पता चला कि वह एक महिला थी। समकालीन लोगों के रिकॉर्ड से उसे मैच करने पर पाया गया कि वह करीब 17,000 और 24,000 साल पहले साइबेरिया के पूर्व में रहने वाली दो आबादी से मेल खाते थे। आधुनिक समय की आबादी से तुलना की जाए तो ये जेनेटिक मैटीरियल मूल अमेरिकियों से सबसे ज्यादा मिलता है। मैक्स प्लैंक की टीम अब हड्डी या दांतों से बनी और भी प्रागैतिहासिक वस्तुओं पर अपनी इस तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। उम्मीद की जा रही है ईडीएनए एनालिसिस से, अतीत की और भी अनदेखी तस्वीरें सामने आएंगी।


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