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पाकिस्तान में घरेलू हिंसा का मुद्दा फिर सुर्खियों में है । घरेलू हिंसा के खिलाफ लाया गया एक बिल विवादों में घिर गया है। बिल के पक्ष और विपक्ष में बहस चल रही है। बिल के समर्थकों का कहना है कि ये बिल हिंसा की शिकार महिलाओं को बचाएगा। वहीं, विरोधियों का तर्क है कि ये बिल संविधान के साथ इस्लाम में जीवन जीने के तरीकों का उल्लंघन है।
बिल क्या है
कानून को नाम प्रिवेंशन एंड प्रोटेक्शन है। इसके तहत किसी भी प्रकार की घरेलू हिंसा के खिलाफ कम से कम 6 महीने और अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है। साथ ही अपराधी को 20 हजार से लेकर 1 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस बिल को मानव अधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने पेश किया है। उनका मानना है कि घरेलू हिंसा के खिलाफ एक कानूनी ढांचा बन जाएगा। इस बिल का उद्देश्य आधी आबादी को घरेलू हिंसा से बचाना है। अभी तक यह बिल पास नहीं हो पाया है।
CII को बिला रिव्यू
वापस चर्चा में क्यों आया प्रधानमंत्री इमरान खान काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी यानि CII को बिला रिव्यू करने के भेजा है। इसी के बाद से विरोध शुरू हो गया है। CII अपने अजीबोगरीब फैसलों की वजह से कई बार विवादों में रहा है। संविधान के मुताबिक CII में कम से कम एक महिला होनी चाहिए, लेकिन मौजूदा काउंसिल में सिर्फ पुरुष हैं। 2016 में काउंसिल ने कहा था कि पति पत्नी को हल्के से मार सकता है। इसलिए लोगों को डर है कि कहीं ये बिल रिजेक्ट न हो जाए।