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Jitendra Shrivastava

शांत और सौम्य… पत्रकार होने के साथ यही पहचान है जितेंद्र की। 11 बरस पहले राजधानी भोपाल में ही दैनिक जागरण से पत्रकारिता की शुरुआत की। फिर बतौर सब एडिटर दैनिक भास्कर से जुड़े और प्रिंट मीडिया की बारीकियों को खूब जाना और समझा। अब दो बरस से 'द सूत्र' में सौम्यता के साथ खबरों को मांजकर पाठकों तक पहुंचा रहे हैं। फॉर्मल पोशाक ज्यादा पसंद है। किताबें पढ़ने का शौक भी रखते हैं। बकौल जितेंद्र, लगातार नया और क्रिएटिव करने का प्रयास कर रहे हैं।

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Sandeep Kumar

शांत, सौम्य और सुशील...इन तीन शब्दों को संदीप का पर्यायवाची भी कहा जा सकता है। रीवा निवासी संदीप ने छह बरस पहले अमर भारती से अपना कॅरियर शुरू किया था। फिर IND24 भोपाल, बंसल न्यूज भोपाल में अपनी पारी खेली। इस दरमियान उन्होंने न्यूज डेस्क से लेकर बुलेटिन प्रोड्यूसर तक की भूमिका में काम किया। अब सफर 'द सूत्र' के साथ जारी है। किताबें पलटना उनका शौक है। क्रिकेट में भी खूब रुचि रखते हैं।

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Ram Krishna Gautam

मां मेकलसुता की गोद में बसे छोटे, पर बेहद खूबसूरत जिले डिंडौरी में जन्मे RK मन, कर्म, वचन, जन्म और वर्ण से मां सरस्वती के उपासक हैं। जर्नलिज़्म में डेढ़ दशक (18 साल) से ज्यादा ​वक्त से सक्रिय हैं। 2006 में नईदुनिया जबलपुर से पहली बार सहाफत की दुनिया में कदम रखा था। फिर दैनिक भास्कर, पत्रिका, नवदुनिया जैसे अखबारों में रिपोर्टिंग और डेस्क पर काम किया। ईटीवी, माय एफएम, रेड एफएम में अपनी आवाज का जादू बिखेरा। लिखने-पढ़ने के आदी हैं। साहित्य रस भी खूब भाता है। मन्ना डे, किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, गुलाम अली, नुसरत फतेह अली खान की आवाज दीवाना बनाती है। 'कर्म ही पूजा है' फिलॉसफी पर गहरी आस्था है। RK कहते हैं, 'प्रिंट में तो खूब बल्लेबाजी की है। अब द सूत्र में न्यू एज जर्नलिज्म और डिजिटल मीडिया एथिक्स सीख रहा हूं।'

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Kanak Durga Jha

कोलकाता से अपनी स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद मैंने पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा। पत्रकारिता में अपने भविष्य की नींव 2022 में कुशाभाऊ ठाकरे विश्विद्यालय पत्रकरिता एवं जनसंचार में रखी। इसके साथ- साथ पत्रिका न्यूज पेपर में इंटर्नशिप करने के बाद इसी संस्थान में नौकरी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जब लिखने की कला समझने लगी तो अब द सूत्र में कार्यरत हूं। अपनी कोई उपलब्धि बताऊं, ऐसी कोई खासियत फिलहाल नहीं है। अभी सीखने की उम्र है और नसीब से मुझे इस उम्र में द सूत्र संस्थान में काम करने का मौका मिला है।

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Ravi Kant Dixit

तुम मुझे यूं भुला न पाओगे, मैं मुस्कुराउंगा और तुम दिल हार जाओगे... अच्छी पत्रकारिता के लिए दुखी चेहरा और माथे पर शिकन की जरूरत नहीं, पेशन की है। बड़े विजन वाले छोटे से शहर गंजबासौदा से निकलकर करीब करीब पूरे मध्य प्रदेश की खाक छान ली है। 2010 में नईदुनिया/नवदुनिया से करियर की शुरुआत, रिपोर्टिंग से की। इसके बाद पत्रिका में खंडवा, सागर, इंदौर और भोपाल में 2023 तक सेवाएं। इस दौरान सिटी डेस्क इंचार्ज, चीफ सब एडिटर, न्यूज एडिटर जैसी भूमिकाओं में काम किया। कई पुरस्कार पाए। पॉलिटिकल और वाइल्ड लाइफ स्ट्रॉन्ग पक्ष। द सूत्र में एडिटोरियल इंचार्ज के रूप में डिजिटल की दुनिया में सीख, समझ का दौर जारी है...।

Sourabh Bhatnagar

शब्दों की ताकत को समझना और उन्हें खबरों में ढालना मेरा जुनून है। हर खबर को नए नजरिए से देखना और दिलचस्प तरीके से पाठकों तक पहुंचाना मेरी खासियत है। राजनीति, क्राइम, खेल, बिजनेस और मनोरंजन- लगभग हर तरह की खबरें लिखी हैं और हर कहानी को नई धार दी है। डिजिटल मीडिया की जरूरतों के साथ खुद को बदला है। अब सिर्फ खबरें लिखना नहीं, बल्कि उन्हें SEO-अनुकूल बनाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना भी आता है। ट्रेंडिंग खबरों को पकड़ना, साफ और असरदार भाषा में लिखना मेरी ताकत है। पत्रकारिता में AI की बढ़ती भूमिका को भी समझने और सीखने की कोशिश जारी है। बदलती तकनीक के साथ खुद को बेहतर बनाने की प्रक्रिया चलती रहती है। 5 साल पहले AajTak से करियर शुरुआत की थी। उसके बाद 2 साद से ज्यादा समय Inshorts में बिताया, और अब thesootr में शिफ्ट इंचार्ज की भूमिका निभा रहा हूं। हर शब्द, हर खबर और हर कहानी मेरे लिए सिर्फ कंटेंट नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है- सही खबर को सही तरीके से पाठकों तक पहुंचाने की

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Sanjay Dhiman

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Sanjay Gupta

संजय ख़ालिस पत्रकार हैं। मूलत: रानी लक्ष्मीबाई के शहर झांसी से आने वाले संजय अब इंदौर में रच बस गए हैं। इनके पास पत्रकारिता की 'अपार' डिग्रियां हैं। मध्यप्रदेश संघ लोक सेवा आयोग में दो बार तो इंटरव्यू तक पहुंच चुके। आईएएस बनने के लिए मेंस दी। इस बीच 2004-05 में नईदुनिया में बतौर ट्रेनी जर्नलिस्ट लिखने-पढ़ने की शुरुआत की। फिर राज एक्सप्रेस, पीपुल्स समाचार में कलम तोड़ी। ​यहां से वॉइस ऑफ इंडिया न्यूज चैनल में काम किया। 11 साल दैनिक भास्कर को दिए। अब द सूत्र में इंदौर का जिम्मा संभालते हैं। संजय खोजी पत्रकारिता के मास्टर हैं। इसी के बूते इन्होंने कई ख्यात मीडिया पुरस्कार अपने नाम किए हैं। पे कहते हैं, सिर्फ पत्रकारिता और खबरें मुझे एनर्जी देती है। फुर्सत मिलते ही परिवार के साथ कार उठाकर घूमने निकल जाता हूं।

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Arun Tiwari

सौम्य और सहज... इन दो विशेषताओं के साथ अरुण की पहचान खांटी पत्रकार के रूप में है। इन्होंने 2003 में सक्रिय रूप से कलम थामी थी। इसके बाद ईटीवी, भास्कर टीवी, बंसल न्यूज और पत्रिका जैसे संस्थानों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। फिर द सूत्र के जरिए डिजिटल मीडिया की दुनिया में कदम रखा और अपनी आक्रामक खबरों से झंडे गाड़ दिए। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्लेटफॉर्म पर अरुण की गाड़ी सरपट दौड़ती रही है। अब डिजिटल मीडिया में वे मेट्रो की रफ्तार से आगे बढ़ते हुए छत्तीसगढ़ में बतौर ब्यूरो हेड काम कर रहे हैं। कविता लिखने-पढ़ने के शौकीन अरुण को शब्दों की बाजीगरी बखूबी आती है।

Sanjay Sharma