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विधानसभा सत्र में सत्ता पक्ष के माननीयों ने अपने सवालों से भौकाल काट दिया है। सत्ता और संगठन दोनों इसे लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। दूसरी ओर कलेक्टर साहब तहसीलदारों से वसूली कर रहे हैं। वहीं, इंदौर में एक कारोबारी ने मंत्रालय को अपना पर्सनल कनेक्शन मान लिया है। उधर, दो कमरे वाली पार्टियों ने 14 करोड़ का चंदा खा लिया और आईटी वाले फाइलें उलट-पलट कर देख रहे हैं। इन सबके बीच सबसे मजेदार बाबाजी की ताजपोशी है, जिस पर उनके ही खेमे में सियासी तलवारें म्यान से बाहर आ गई हैं।
तो जनाब! खबरें तो और भी बहुत हैं, आप तो बोल हरि बोल में पलटवार, जुगाड़, भौकाल और बाबाजी की सियासी चाल का आनंद लेने के लिए सीधे नीचे उतर आईए।
विधायकों ने मुश्किल में डाला
विधानसभा में अब मंत्रीजी को सवालों का जवाब देने के लिए रुकना ही होगा। वे येन-केन-प्रकारेण बाहर नहीं जा सकेंगे। दरअसल, सामने आया कि सदन में मंत्री पूरे समय नहीं रुकते। इससे कार्यवाही पर असर पड़ता है। अब इसका यह तोड़ निकाला गया है कि सदन में अपने विधायकों और खास मुद्दों की मॉनीटरिंग के लिए हर वक्त कम से कम तीन मंत्री मौजूद रहेंगे। इधर, इस बार सत्ता पक्ष के ही कुछ विधायकों ने भौकाल काट दिया है। उन्होंने ऐसे सवाल लगाए हैं, जो चुभने वाले हैं। इसे लेकर पार्टी विधायकों से बात करेगी। डॉक्टर साहब भी ऐसे माननीयों से मुलाकात कर सकते हैं, क्योंकि कुछ विधायकों के सवाल से सरकार की किरकिरी होना तय है। लिहाजा, उन्हें ताकीद दी जाएगी।
कलेक्टर साहब तो वसूलीबाज हैं
अब तक सुनने में आता था कि फलां एसपी साहब अपने अधीनस्थ टीआई से मासिक वसूली करते हैं, लेकिन लगता है कि खाकी वर्दी की माहवारी की बीमारी अब प्रशासनिक अफसरों को भी लग गई है। ग्वालियर चंबल के एक कलेक्टर साहब ने तहसीलदारों का महीना बांध दिया है। कमाई वाले एरिया के तहसीलदार तो खुश हैं कि अब खुलकर लूटने की परमिशन मिल गई, लेकिन लूप लाइन वाले तहसीलदार परेशानी में हैं। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि साहब के लिए महीने की व्यवस्था कैसे करें, उनके क्षेत्र में तो पहले ही माली हालत खराब है।
सावधान रहें साहब!इंदौर के एक बड़े कारोबारी जैन साहब के इन दिनों जलवे हैं। इनके करीबी साहब मंत्रालय में अहम पद पर आ गए हैं। अब ये साहब जमीन के जादूगरों को बुलाकर कह रहे हैं कि बड़ा काम हो तो बताना, अपन करा देंगे। ये बात अलग है कि मंत्रालय वाले साहब को अभी यह खबर नहीं है कि जैन साहब उनके नाम पर बड़ी सुपारी उठा रहे हैं। हमारी तो साहब को यही सलाह है कि सावधान हो जाइए, बड़ी मुश्किल से मैन स्ट्रीम में आए हैं, वरना जैन साहब की कारस्तानी आपको ले डूबेगी और आपके हाथ भी कुछ नहीं आएगा। |
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दो कमरे वाली पार्टियां
दो कमरे का पार्टी दफ्तर और चंदा मिला 14 करोड़। ये सुनकर आप चौंक जाएंगे, लेकिन यह शत प्रतिशत सच है। दरअसल, मध्यप्रदेश में अजब गजब खेल चल रहा है। मालदार लोग टैक्स बचाने के लिए पॉलिटिकल पार्टियों को भारी भरकम चंदा दे रहे हैं। आईटी की रेड के बाद यह जानकारी सामने आई है। कितनी मजेदार बात है कि कुछ पार्टियों ने अपने दफ्तर किराए पर दिए हैं तो कुछ पार्टियों के दफ्तर अस्तित्व में ही नहीं हैं। ये पूरा खेल, सीए, एलआईसी एजेंट्स और टैक्स रिटर्न फाइल करने वाली फर्म और टैक्स प्रैक्टिशनर्स के सहारे किया जा रहा है। बताओ मतलब, टैक्स बचाने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते हैं।
लो जी, होल्ड हो गई लिस्ट!
निगम मंडलों में नियुक्ति की आस लगाए बैठे नेताओं को फिर झटका लग सकता है। मीडिया में जो एक सूची चल रही है, उस पर फिर मंथन किया जा रहा है, क्योंकि इस लिस्ट में जो नाम हैं, वे पार्टी के कई नेताओं के गले नहीं उतर रहे। अंदरखाने विरोध के सुर फूटने के बाद अब डैमेज कंट्रोल की कोशिश की जा रही है। भाजपा के खांटी नेताओं की आपत्ति कांग्रेस से आए लोगों को लेकर है। उनका कहना है कि हमने बरसों बरस दरी बिछाईं, जब पद की आस बंधी तो आयतित नेताओं को नवाजा जा रहा है। स्थिति को भांपते हुए फिलहाल बीजेपी ने लिस्ट होल्ड कर दी है। देखने वाली बात होगी कि बीजेपी किसे उपकृत करेगी और किसे फिर इंतजार की पुड़िया मिलेगी?
जल्द आ रही कांग्रेस की लिस्ट
मध्यप्रदेश कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की कुर्सी पर जल्द ही नए नेता नजर आएंगे। दिल्ली दरबार में भेजे गए नामों की छंटनी पूरी हो चुकी है। खबर है कि 30 जुलाई के बाद लिस्ट जारी हो जाएगी।
सुना है, इस बार पार्टी ने जिलावार के बजाय जोनल फार्मूला आजमाया है। यानी जोन के हिसाब से तय होगा कि कौन चमकेगा और कौन किनारे होगा। करीब 70 नामों की लंबी-चौड़ी फाइल स्क्रीनिंग कमेटी के पास गई थी। अंदर की खबर ये है कि 25 फीसदी पुराने चेहरों पर ही मुहर लगा दी गई है। हां, एक अहम बात ये है कि प्रदेश के मुखिया के कुछ नाम काटे गए हैं। उनकी जगह दूसरे नेताओं को मौका दिया गया है। इस तरह जिनका ग्राउंड कनेक्शन मजबूत है, सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और छवि चमकदार है, वही कांग्रेस की नई पसंद होंगे।
तपस्या या जुगाड़ यज्ञ?
भाजपा में इन दिनों नई राजनीतिक कथा तैर रही है। हाल ही में संवैधानिक सिंहासन पर विराजे बाबाजी के पुराने खासमखास अब तलवार ताने घूम रहे हैं। आपको बता दें कि ये बात ओबीसी वर्ग के नेताजी की ताजपोशी की है, लेकिन हैरत ये है कि शिकायत पार्टी से नहीं, अपने ही खेमे से आई है। करीबी नेता ने दबी जुबान से कहा कि जो दो सीटों पर पार्टी को हराए, विरोधी दल की हवा खाए और संघ प्रमुख के बयान पर जुबान चलाए... उसे ही कुर्सी मिले? ये तो गलत है। बताया जा रहा है कि ये मामला अब संघ के बड़े पदाधिकारियों तक पहुंच गया है। वैसे पार्टी के गलियारों में चर्चा गर्म है कि बाबाजी की तपस्या रंग लाई या राजनीति में फिर से जुगाड़ यज्ञ हुआ है?
अरे भई कौन लाया?
ग्वालियर-चंबल की सियासत फिर गर्म है जनाब। यहां विकास से ज्यादा चर्चा इस बार क्रेडिट की है। मोर्चे पर दो महारथी महाराज और ठाकुर साहब डंटे हैं। हालिया कार्यक्रम में ठाकुर साहब ने माइक थामते ही कहा कि मैं लाया, मैं लाया... हर कोई यही बोलता है, पर जो भी हो रहा है, वो हमारी सरकार से हो रहा है। जब सरकार नहीं थी, तब कौन क्या लाया? अब इस बयान को सीधा महाराजीय प्रहार माना जा रहा है। मतलब साफ है कि ठाकुर साहब ने विकास का सेहरा खुद पहनने की ठानी है। वैसे, इलाके की जनता गिनती करने में उलझी है कि जो लाया वो कौन है और जो बोल रहा है, वो कितना लाया?
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