बोल हरि बोल : SDM साहब का एटीएम, नेताजी की शायरी, अफसरों का इंतजार और इनकम टैक्स की वो वाली रेड

मध्यप्रदेश में एसडीएम साहब के वित्तीय मॉडल से लेकर इनकम टैक्स छापेमारी तक, राजनीति और प्रशासन की दिलचस्प घटनाएं इन दिनों चर्चा में है। आज के बोल हरि बोल में पढ़िए सत्ता और अफसरशाही पर ये दिलचस्प किस्से...

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Harish Divekar
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BHOPAL.मध्यप्रदेश अजब-गजब है। अब देखिए न एक एसडीएम साहब ने खुद से इतना भयंकर कमिटमेंट किया है कि वे उसे पूरा करने के लिए पूरा जोर लगा देते हैं। जब तक एक पेटी की जुगाड़ नहीं होती, वे पीछे नहीं हटते।

इनकम टैक्स की माया और अपरंपार है। कमिश्नर साहब टिप देते हैं और उनकी टीम एक्स्ट्रा एक्टिव होकर काम में जुट जाती है और फिर भ्रष्टाचारियों का काम लगा देती है। चंबल के एक नेताजी अपने शायराना अंदाज से फिर चर्चाओं में हैं।

खैर, देश, प्रदेश में खबरें तो और भी बहुत हैं। आप तो सीधे नीचे उतर आईए और वरिष्ठ पत्रकार हरीश दिवेकर के लोकप्रिय कॉलम Bol Hari Bol के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।

साहब की टिप से टीम की टपाटप!

सेल टैक्स डिपार्टमेंट इन दिनों कुछ ज्यादा ही एक्शन मोड में दिख रहा है। कमिश्नर की एक-एक टिप पर रेड टीमें फौरन एक्टिव हो जाती हैं। सुबह-सुबह गाड़ियां निकलती हैं और शाम होते-होते किसी व्यापारी के यहां छापा पड़ जाता है। बाहर से तस्वीर बड़ी सख्त लगती है, मानो टैक्स चोरी के खिलाफ जंग छिड़ गई हो, लेकिन अंदरखाने की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है।

सूत्र बताते हैं कि रेड के दौरान कागजों की पड़ताल से ज्यादा अहमियत सेटलमेंट को मिल रही है। हिसाब-किताब टेबल पर नहीं, बंद कमरों में सुलझता है। पार्सली सेटिंग होती है और मामला वहीं शांत हो जाता है। इस कवायद से सब खुश हैं। विभाग के खाते में टैक्स की कुछ रकम आ जाती है। ऊपर से कार्रवाई का रिकॉर्ड भी बन जाता है। उधर, रेड टीम की भी बल्ले-बल्ले हो जाती है।

एसडीएम है या एटीएम?

इंदौर से सटे एक जिले में इन दिनों एक एसडीएम साहब सुर्खियों में हैं। इसकी वजह कोई प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि उनका नया आर्थिक मॉडल है। लोग अब पूछ रहे हैं कि ये एसडीएम हैं या एटीएम? फर्क बस इतना है कि ये एटीएम पैसे उगलता नहीं, सीधा निगलता है।

बताते हैं कि एसडीएम साहब का खुद से कमिटमेंट है कि उन्हें रोज कम से कम एक लाख चाहिए, उससे कम मंजूर नहीं है। यह कोई अंदाजे का खेल नहीं है, बल्कि पूरा प्लानिंग वाला सिस्टम है। साहब कैलेंडर के हिसाब से काम कर रहे हैं। किस दिन, किस काम से कितना निकलना है, इसका गणित साहब को रटा हुआ है।

लिस्ट क्यों अटकी है

मध्यप्रदेश में प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अफसरों के तबादलों की एक लिस्ट दो महीनों से मंत्रालय की चौथी से पांचवीं मंजिल पर घूम रही है, लेकिन फैसला नहीं हो पा रहा। पहले बिहार चुनाव में डॉक्टर साहब के बिजी होने का हवाला देकर फाइल अटकी रही। अब जनवरी में लिस्ट निकालने की बात कही जा रही है।

दरअसल, 2010 बैच के अधिकारियों को सेक्रेटरी पद पर प्रमोट होना है। ऐसे में कहा जा रहा है कि उनकी पदोन्नति के बाद नई पोस्टिंग होना है। उसी लिस्ट में पहले वाली लिस्ट भी निकाल देंगे। ये तो वो बात है, जिसकी अफसरों में चर्चा है, लेकिन अंदरखानों की मानें तो कुछ नामों पर चौथी और पांचवीं मंजिल पर सहमति नहीं बन पा रही है। इसी वजह से मामला अटका है।

शायर नेताजी!

ग्वालियर-चंबल के सियासी गलियारों में एक बार फिर शायराना माहौल बन गया है। वजह हैं इलाके के चर्चित नेताजी, जिनका अंदाज इन दिनों कुछ ज्यादा ही अल्फाजी हो चला है। गृह मंत्री अमित शाह के दौरे ने नेताजी की धड़कनें और उम्मीदें दोनों बढ़ा दी हैं। शाह के जाते ही जब मीडिया ने पंडित जी से सवाल किया तो जवाब सियासत का नहीं, शायरी का मिला। बोले- समंदर खंगालने वाले हमारी कमियां ढूंढ़ रहे हैं, जिनकी अपनी चड्डियां फटी हैं, वो हमारी टोपियां उछालने में लगे हैं।

अब इस शेर के मायने निकालने का खेल शुरू हो गया है। सियासी पंडित पूछ रहे हैं कि तीर किस ओर चला है? निशाने पर अपने लोग हैं या विरोधी खेमा? जुबान से नाम नहीं निकला, लेकिन इशारे तीखे बताए जा रहे हैं। उधर, अमित शाह से मुलाकात की तस्वीरें भी चर्चा में हैं। एक वीडियो में तो कान में खुसुर-फुसुर भी दिखी। मिलने के बाद नेताजी के चेहरे पर जोश साफ नजर आया।

मामा कौन सी भाषा सीखे रहे?

सूबे के पूर्व मुखिया ने दक्षिण की धरती से ऐसा बयान दे दिया है, जिसने सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। तमिलनाडु के होसुर में मंच से मामा बोले कि हर भारतीय को कम से कम एक दक्षिण भारतीय भाषा जरूर सीखनी चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि वे खुद भी एक दक्षिण भारतीय भाषा सीखने की कोशिश में जुटे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत की भाषाई विविधता हमारी ताकत है और एक-दूसरे की भाषा सीखने से राष्ट्रीय एकता मजबूत होती है। सुनने में बात बिल्कुल आदर्शवादी लगी, लेकिन सियासत में आदर्श कम और संकेत ज्यादा देखे जाते हैं। राजनीतिक गलियारों में फुसफुसाहट है कि मामा का यह बयान यूं ही नहीं आया। क्या यह भविष्य की किसी भूमिका की तैयारी है?

चाय की प्याली में उठा तूफान...

विपक्ष में चाय की प्याली में तूफान सा उठा है। हां तूफान। अब मध्यप्रदेश कांग्रेस में मीडिया और कम्युनिकेशन विभाग को लेकर विवाद सामने आया है। इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभागाध्यक्ष मुकेश नायक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पीसीसी चीफ जीतू पटवारी को पत्र लिखकर कहा कि नए नेताओं को मौका मिलना चाहिए, इसलिए वे पद छोड़ रहे हैं।

नायक के इस्तीफे से संगठन में हलचल मच गई है। प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री डॉ. संजय कामले ने उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया है। बावजूद इसके, नायक अपने फैसले पर अड़े हैं और इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। आपको बता दें कि नायक ने हाल ही में पूर्व मंत्री दीपक जोशी की शादियों पर तंज कसा था।

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