बोल हरि बोल : भोले-भाले कमिश्नगर साहब...कलेक्टर का क्रिकेट प्रेम और तबादलों के बादल

नए साल में तबादलों की चर्चाएं एक बार फिर से तेज हो गई हैं। अफसरों के बीच बेचैनी है और वे हर दिन किसी नई सूची के आने की आशंका में नींद गंवा रहे हैं.... नीचे पढ़िए आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं

author-image
Harish Divekar
एडिट
New Update
THESOOTR
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नव संवत का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श!
पल प्रतिफल हो हर्षमय, पथ-पथ पर उत्कर्ष!!
चैत्र शुक्ल शुभ प्रतिपदा, लाये शुभ संदेश!
संवत मंगलमय! रहे नित नव सुख उन्मेष!!

सृष्टि को आलोकित करने वाला यह नव वर्ष आपके जीवन में शुभता, आनंद और अपार समृद्धि का संचार करे, यही कामना है। 

भईया! हिन्दू पंचांग के अनुसार, ये साल जरूर बदल रहा है, लेकिन राजनीति से लेकर प्रशासन तक, हर जगह वही पुरानी कहानियां, वही पुराने खेल जारी हैं, बस किरदार बदल रहे हैं। अब देखिए ना, सूबे के एक बड़े नगर निगम में ईमानदारी के नए फरमान जारी होते हैं, पर मैडम की 2 परसेंट की दबंगई जस की तस बनी हुई है। विधानसभा में सियासी गर्मी थी, लेकिन नतीजा? बहस लंबी हुई और सत्र छोटा हो गया। नए साल में तबादलों के बादल फिर से मंडरा रहे हैं, अफसरों की नींदें उड़ी हुई हैं। 

उधर, देश में सबसे ज्यादा चर्चा पंत प्रधान के नागपुर दौरे की है। वे अरसे बाद संघ कार्यालय पहुंचे हैं। खैर, देश प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद ली​जिए। 

चलो... निकालो मेरे 2 परसेंट! 

मध्यप्रदेश के एक बड़े नगर निगम में कमिश्नर साहब के भोलेपन और एक मैडम के 2 परसेंट की खासी चर्चा है। वे हर मीटिंग में हिदायत देते हैं कि मेरे नाम से किसी ने पैसे लिए तो खैर नहीं। अब निगम वालों ने इसका मतलब अपनी सुविधा के अनुसार निकाल लिया। यानी साहब के नाम से मत लो, बाकी सब चलता है। लेकिन असली सितारा तो मैडम हैं, जिन्हें ठेकेदारों ने "मैडम 2 परसेंट" नाम दे दिया है। इनका हिसाब बड़ा सीधा है। फाइल पास करानी हो तो 2 परसेंट देना ही पड़ेगा। अब मरता क्या नहीं करता... वाली थीम पर जिसे अपना काम निकलवाना होता है वो मैडम को 2 परसेंट देता ही है। इस तरह काम चल रहा है। मैडम की जड़ें इतनी गहरी हैं कि कमिश्रर चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे, वो​ सिर्फ अपना दामन बचाकर खुश हैं।  

खबर यह भी...बोल हरि बोल : मैडम संभाल रहीं कलेक्टर साहब का मैनेजमेंट, उधर...कलेक्टर मैडम क्यों लगा रहीं मंत्रालय के पग फेरे?

लो साब! इस तरह हिसाब किया बराबर 

इस बार विधानसभा का बजट सत्र कुश्ती के दंगल से कम नहीं था। सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी कि सत्र छोटा कर दिया जाए, लेकिन विधानसभा भी कोई कम नहीं थी। सरकार ने सत्र छोटा किया तो विधानसभा ने चर्चा का समय बढ़ा दिया। यानी बात बराकर। असल में, विधानसभा तब तक ही चमकती है, जब तक सत्र चलता है। उसके बाद? बस नाम के लिए रह जाती है। इसलिए सदन के माननीयों ने तय कर लिया कि सत्र छोटा हो या बड़ा, जलवा कायम रहना चाहिए। अब भले ही ये सत्र सिर्फ 10 दिनों का था, लेकिन इसमें तड़का जरूर लगा। कुछ छोटे-मोटे विवादों को छोड़ दिया जाए, तो पक्ष-विपक्ष ने कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा भी की। मतलब, थोड़ी नोकझोंक, कुछ तगड़े तर्क और अंत में वही पुरानी राजनीति की हंसी-ठिठोली। 

कलेक्टर साहब का क्रिकेट प्रेम

इन दिनों देश में क्रिकेट का फीवर चल रहा है। अब ऐसे में अफसर भी कहां पीछे रहते हैं। मालवा के एक जिले के कलेक्टर साहब की पहचान चौकों-छक्कों से हो रही है। साहब का क्रिकेट प्रेम इतना जबरदस्त है कि दौरे पर निकले हों और कहीं गली-मोहल्ले में बैट-बॉल दिख जाए तो प्रशासनिक काम पीछे छूट जाता है और साहब मैदान में उतर आते हैं। भोपाल में अफसरों का मैच हो तो जिले की फिक्र छोड़कर सीधे मैदान की ओर कूच कर जाते हैं। कुल मिलाकर साहब को कलेक्टरी से ज्यादा क्रिकेट पसंद है। आपको बता दें कि साहब को पहली बार कलेक्टरी मिली है, लिहाजा वे जोश से लबरेज हैं। काम भी खूब कर रहे हैं। अब देखना ये है कि प्रशासनिक पिच पर ये लंबी इनिंग्स खेलते हैं या क्रिकेट के मैदान में ही रिकॉर्ड बनाते रहेंगे। 

खबर यह भी...बोल हरि बोल : पुलिस कप्तानों के प्रेम प्रसंग, साहब की जिद और ये नौशाद, जावेद और फरहान...

फिर मंडराए तबादलों के बादल

सरकारी गलियारों में तबादलों का मौसम दस्तक दे चुका है। आईपीएस अफसरों के तबादलों के रूप में पहली बूंदाबांदी हो चुकी है, अब कलेक्टर-एसपी, प्रमुख सचिव और एडीजी स्तर के अधिकारियों के तबादलों के रूप में तेज बारिश कभी भी हो सकती है। हवा में नाम उड़ रहे हैं, चर्चाएं गरम हैं और लूप लाइन की पोस्टिंग की चिंता में कुछ अफसरों के दिलों की धड़कनें तेज हैं। वहीं, कुछ अफसर पूरे आत्मविश्वास से बैठे हैं कि हम तो सुरक्षित हैं। सरकार की कलम कब किसका पता बदल दे, कोई नहीं जानता। लिहाजा, जब तक ये तबादलों के बादल बरस नहीं जाते, अफसरों की नींद उड़ी रहेगी और उनके परिवार वाले भी पूछते रहेंगे कि अगला ठिकाना कहां होगा? 

कलेक्टर्स क्या कुछ नहीं समझते!

समाधान ऑनलाइन की बैठक में बड़े साहब ने फरमान जारी किया कि इंवेस्टर्स समिट के लंबित प्रस्तावों का जल्द निपटारा करें। इस पर कलेक्टर सिर हिलाकर सहमति जता ही रहे थे कि एक जुझारू अफसर बोले— सर, टूरिज्म के प्रस्तावों का क्या? बड़े साहब मुस्कराए, फिर बोले— अरे भाई, टूरिज्म भी तो इंडस्ट्री का ही हिस्सा है। अब बेचारे कलेक्टर असमंजस में। उन्हें लगा था कि वे भी कोई जरूरी बात कह रहे हैं, लेकिन यहां तो उल्टा ही मामला निकल आया। बड़े साहब की हल्की-फुल्की चपत से कलेक्टर मन ही मन सोचने लगे कि हम क्या सच में कुछ नहीं समझते या मंत्रालय वालों को हमें नासमझ समझने में मजा आता है? 

खबर यह भी...बोल हरि बोल : संत बनने की राह पर एक अफसर और कप्तान साहब बाहरवाली के चंगुल में फंसे!

अब तो चर्चा भी नहीं...

बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष चुनने में इतनी देर कर दी कि अब सत्ता के गलियारों में इसकी चर्चा ही ठंडी पड़ गई है। कभी अखबारों में कयास, चैनलों पर बहस और नेतानगरी में रोज नए नाम उछलते थे, लेकिन अब सन्नाटा पसर गया है। होली के बाद तो जैसे सभी पूर्वानुमान जलकर राख हो गए हैं। जो नेता अध्यक्ष बनने का सपना देख रहे थे, उन्होंने भी आशाओं की होली खेल ली। अब कोई पूछ भी ले— भाई, कौन बनेगा?" तो जवाब आता है— छोड़ो यार, अब जिलों की बात करो। मीडिया भी अब प्रदेश अध्यक्ष को भूलकर जिलों पर उतर आई है। अब सारा ध्यान मंडलों के विस्तार पर है।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

मध्य प्रदेश MP News Harish Divekar Bol Hari Bol BOL HARI BOL journalist harish divekar हरीश दिवेकर का कॉलम बोल हरि बोल Harish Divekar बोल हरि बोल बोल हरि बोल