गुनाहों का देवता : धर्मवीर भारती की काव्यात्मक और भावनात्मक कहानी

गुनाहों का देवता उपन्यास में धर्मवीर भारती ने प्रेम, संघर्ष, और सामाजिक दबाव के बीच एक युवक चंदर की यात्रा का चित्रण किया है। यह उपन्यास मानसिक उलझनों, आदर्शों और प्रेम के संघर्ष को गहराई से दर्शाता है।

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Anjali Dwivedi
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📘 किताब का नाम: गुनाहों का देवता
✍ लेखक: धर्मवीर भारती
📆 पहली पब्लिशिंग: 1959
🌍 भाषा: हिंदी

धर्मवीर भारती का उपन्यास गुनाहों का देवता हिंदी साहित्य का अद्वितीय और क्लासिक उपन्यास है। इस उपन्यास की कहानी युवाओं के आंतरिक संघर्ष, प्रेम और समाज के दबाव के बीच झूलते जीवन के पहलुओं को बारीकी से उजागर करती है। यह उपन्यास सामाजिक मान्यताओं और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच के टकराव को दर्शाता है।

📖 गुनाहों का देवता कहानी की समरी

यह उपन्यास उत्तर प्रदेश के एक छोटे कस्बे की पृष्ठभूमि पर आधारित है। इसमें चंदर नामक लड़के की कहानी है, जो प्रेम और संघर्ष से जूझता है। चंदर अपनी प्रेमिका आशा से बहुत प्यार करता है। लेकिन परिवार की जिम्मेदारियां और समाज के दबाव उसे बहुत परेशान करते हैं। चंदर का जीवन इस उपन्यास का मुख्य केंद्र है। उसकी यात्रा पाठकों को गहरे भावनात्मक अनुभव से गुजरने पर मजबूर करती है।

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✍ राइटर के बारे में

धर्मवीर भारती हिंदी साहित्य के एक महान लेखक थे। उनका जन्म 1926 में हुआ और उनका लेखन भारतीय समाज के गहरे पहलुओं को समझने का एक तरीका है। गुनाहों का देवता उनके सबसे प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक है।

उनका लेखन सामाजिक मुद्दों, प्रेम, और संघर्ष के मानवीय पहलुओं को समझने के प्रयास के रूप में देखा जाता है। भारती जी का साहित्य उन विचारों और मूल्यों को सामने लाता है जो समाज के प्रत्येक वर्ग को प्रभावित करते हैं।

📌 किताब के मेन कैरेक्टर

चंदर: यह उपन्यास का मुख्य पात्र है। चंदर एक संवेदनशील और संघर्षशील युवक है, जो प्रेम और सामाजिक जिम्मेदारियों के बीच झूलता है। उसकी आंतरिक उलझनें और बाहरी दबाव उसकी यात्रा को और भी जटिल बना देते हैं।

आशा: आशा चंदर की प्रेमिका हैं और उसकी यात्रा में सहारा देने वाली हैं। उनका किरदार परंपराओं और आदर्शों के खिलाफ एक युवा चेतना का प्रतीक है।

आचार्य जी: चंदर के जीवन के मार्गदर्शक, आचार्य जी उसे जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में समझाते हैं। उनका उद्देश्य चंदर को सही दिशा में मार्गदर्शन देना है।

🏆 किताब को मिले पुरस्कार

गुनाहों के देवता को विशेष रूप से कोई राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं मिला। भारतीय साहित्य में इसे एक महत्वपूर्ण कृति के रूप में सम्मानित किया गया है। इसके प्रभाव और महत्व ने इसे व्यापक पहचान दिलाई है। इस उपन्यास को भारतीय साहित्य प्रेमियों से अत्यधिक सराहा गया है और यह एक अनमोल धरोहर बन चुका है।

💡 किताब का एक रोचक अंश

किताब का एक दिलचस्प अंश है, जिसमें चंदर और आशा के बीच का संवाद है। इसमें चंदर अपनी मानसिक उलझन और आंतरिक संघर्षों का खुलासा करता है:

"क्या तुम समझती हो आशा, प्रेम केवल एक भावना नहीं, यह एक गुनाह है। यह समाज के खिलाफ है, यह परंपरा और नियमों के खिलाफ है। लेकिन फिर भी, मैं तुमसे यह गुनाह करना चाहता हूं।"

यह पंक्ति न केवल चंदर के चरित्र को गहराई से व्यक्त करती है, बल्कि यह उसके आंतरिक संघर्ष को भी उजागर करती है, जो उसे सही और गलत के बीच झूलने पर मजबूर करता है।

📌 पब्लिकेशन और क्रेडिट

यह किताब राजकमलसे प्रकाशित की गई है। राजकमल हिंदी साहित्य के प्रमुख और सम्मानित प्रकाशन घरानों में से एक है। राजकमल प्रकाशन ने इस किताब को पाठकों तक सही तरीके से पहुंचाया और इसे एक व्यापक पहचान दिलाई।

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पुस्तक समीक्षा गुनाहों का देवता धर्मवीर भारती
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