भोपाल. खतना के दौरान 10 साल के एक लड़के की चली गई जान। परिजन ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। डेढ़ महीने में इस तरह का यह दूसरा हादसा बताया जा रहा है। परिजन का कहना है कि डॉक्टर ने बिना उनकी इजाजत के बच्चे को एनेस्थीसिया दे दिया। बच्चे को पूरी तरह से बेहोश करने की वजह से यह हादसा हुआ है। घटना बांग्लादेश की राजधानी ढाका की है।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि दस साल के अहनाफ तहमीद को मंगलवार की रात खतना करवाने के लिए अस्पताल लाया गया था। उसके घर वालों का आरोप है कि अहनाफ तहमीद की मौत उनसे इजाजत लिए बिना उसक पूरी तरह बेहोश करने की वजह से हुई।
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परिजन को किया गुमराह
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बच्चे के पिता फखरुल आलम ने मीडिया को बताया कि दस साल के अहनाफ तहमीद को मंगलवार की रात लगभग आठ बजे बजे ढाका के माली बाग चौधरी पाड़ा में जेएस डायग्नोस्टिक ऐंड मेडिकल चेकअप सेंटर में खतने के लिए ले गए थे। सर्जरी साढ़े आठ बजे हो गई, लेकिन उसके एक घंटे के बाद भी बच्चा होश में नहीं आया। आलम का कहना है कि उन्होंने डॉक्टर्स से बार-बार पूछा कि क्या मेरे बेटे को कोई समस्या है? लेकिन उन्होंने कोई ठोस जवाब नहीं दिया और कहा कि थोड़ी देर में होश में आ जाएगा। लगभग दस बजे उन्हें बताया गया कि उनके बेटे की हालत बिगड़ रही है और रात साढ़े दस तहमीद की मौत हो गई।
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आधुनिक मेडिकल सिस्टम में डॉक्टर इंसान के जिस्म पर किसी भी तरह की छोटी या बड़ी सर्जरी करने से पहले एनेस्थीसिया देते हैं। एनेस्थीसिया शरीर या उसके किसी भी हिस्से को सुन्न कर देता है, इसलिए मरीज को ऑपरेशन के दौरान कोई तकलीफ महसूस नहीं होती। ढाका मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व एनेस्थीसिया विशेषज्ञ शाह आलम ने मीडिया को बताया कि एनेस्थीसिया के कई प्रकार हैं। उदाहरण के लिए जब शरीर के किसी विशेष हिस्से पर मामूली सर्जरी की जाती है तो केवल वही हिस्सा सुन्न होता है। यह लोकल एनेस्थीसिया के नाम से मशहूर है। उन्होंने बताया कि बड़ी सर्जरी से पहले अक्सर पूरे शरीर को सुन्न किया जाता है। इस स्थिति में मरीज गहरी नींद में चला जाता है और एक खास समय के बाद दोबारा जग जाता है। डेढ़ महीने पहले बांग्लादेश में ही एक और बच्चे आयान अहमद की मौत भी खतना करवाने के दौरान हो गई थी। उस बच्चे के घर वालों ने भी यही शिकायत की थी।
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