मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केसः किरकिरी के बाद सुप्रीेम कोर्ट पहुंची महाराष्ट्र सरकार, HC ने बरी किए थे सभी 12 आरोपी

2006 के मुंबई सीरियल ट्रेन ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। मामले में 189 लोगों की मौत हुई थी।

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Sanjay Dhiman
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सबूतों के अभाव में बरी किए गए मुंबई लोकल ट्रेन हमले के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए महाराष्ट्र सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। बाॅम्बे हाईकोर्ट ने 21 जुलाई को दिए अपने फैसले में इस आतंकी हमले के सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था। इस फैसले ने समूचे देश को हिला दिया था। इस आतंकी हमले में 189 लोगों की मौत व 824 लोग घायल हो गए थे। 

यह था बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला

21 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि अभियोजन पक्ष (सरकारी वकील) आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश करने में नाकाम रहा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मानना मुश्किल था कि आरोपियों ने अपराध किया था। यदि इन आरोपियों के खिलाफ कोई अन्य केस नहीं था, तो उन्हें तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया गया। 

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क्या थे इस फैसले के प्रमुख कारण?

बम का प्रकार स्पष्ट नहीं था: अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पेश किए गए सबूतों से यह साबित नहीं हो पाया कि किस प्रकार के बम का इस्तेमाल किया गया था। बम बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री जैसे RDX, डेटोनेटर, सर्किट बोर्ड आदि के संबंध में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किए जा सके।

शिनाख्त परेड में खामियां: जांच अधिकारी ने शिनाख्त परेड करवाई, लेकिन इसमें कई कानूनिक खामियां थीं। शिनाख्त परेड का अधिकार नहीं होने के कारण गवाहों की गवाही खारिज कर दी गई।

गवाहों के बयान में विरोधाभास: गवाहों के बयानों में विरोधाभास पाया गया। कुछ गवाहों ने दावा किया कि आरोपियों ने बम बनाए थे, जबकि बाद में उन्होंने इसे खारिज कर दिया। 

आरोपियों के कबूलनामे पर संदेह: कोर्ट ने आरोपियों के कबूलनामे को भी खारिज कर दिया, क्योंकि इनमें कई समानताएं थीं, जो संदेह पैदा करती थीं।

 

महाराष्ट्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में अपील

बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की तत्काल सुनवाई की अपील की है। इस मामले में 24 जुलाई को सुनवाई होगी। 

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रिटायर्ड चीफ जस्टिस थे आरोपियों के वकील

2023 में उड़ीसा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस एस. मुरलीधर ने इस मामले में आरोपियों के पक्ष में पैरवी की थी। उनका कहना था कि पुलिस द्वारा लिए गए आरोपियों के बयान में कुछ समानताएं थीं, जो संदेह पैदा करती हैं।

प्रेशर कुकर बम से किए गए थे धमाके

11 जुलाई 2006 मुंबई ट्रेन धमाका में सात स्थानों पर बम धमाके हुए थे। इन धमाकों को प्रेशर कुकर में RDX, अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक सामग्री के साथ तैयार किया गया था। 

सभी धमाके शाम 6:24 बजे से 6:35 बजे के बीच हुए थे। इन हमलों में 189 लोगों की मौत हो गई और 824 लोग घायल हो गए थे। यह हमला न केवल मुंबई, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी आतंकवादी घटना थी।

 

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नौ साल तक चली केस की सुनवाई 

इस मामले की सुनवाई लगभग 9 साल तक चली, और इसके बाद 2015 में स्पेशल मकोका कोर्ट ने पांच आरोपियों को फांसी की सजा, सात को उम्रकैद की सजा और एक आरोपी को बरी कर दिया था। इसके बाद, 2016 में आरोपियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी। 2023 में इस मामले में हाईकोर्ट ने सभी आरोपी बरी कर दिए गए। 

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