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Photograph: (the sootr)
उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के अचानक आए इस्तीफे ने राजस्थान सहित पूरे देश की सियासत में हलचल मचा दी है। उनका इस्तीफा देना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। धनखड़ राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किठाना गांव के रहने वाले हैं। वे जाट समुदाय के बड़े नेता हैं।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद उनके गृह राज्य राजस्थान में विपक्ष के नेता अपने हिसाब से आकलन कर रहे हैं। पिछले दिनों धनखड़ ने एक कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इंगित करते हुए कहा था कि वो न तो कोई दवाब में हैं और ना ही किसी दवाब में काम करते हैं। उनका स्वास्थ्य सही है, आप मेरे स्वास्थ्य की चिंता मत कीजिए।
धनखड़ पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने दी है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि जब धनखड़ का स्वास्थ्य सही था, तो यह समझ से बाहर है कि अपने इस्तीफे का आधार स्वास्थ्य को क्यों बनाया। इसके पीछे कोई सियासी राज जरूर है।
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धनखड़ मामले में देश से कुछ छिपा रही भाजपा: गहलोत
धनखड़ के इस्तीफे पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। गहलोत ने बीजेपी और आरएसएस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इसके पीछे बीजेपी-आरएसएस का कोई बड़ा राजनीतिक कदम हो सकता है, जो देश से छिपाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि धनखड़ का अचानक इस्तीफा इस बात का सबूत है कि वे दबाव में काम कर रहे थे, यह बात मैंने पहले भी कही थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वे धनखड़ को मनाकर उनका इस्तीफा वापस करवाएं।
भाजपा किसानों के प्रति संवेदनशील नहीं: डोटासरा
वहीं राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि बीजेपी किसान के बेटे और किसानों के प्रति संवेदनशील नहीं है। यह बात तब और स्पष्ट हो जाती है, जब आजीवन संघर्ष करके पार्टी को मजबूत करने वाले किसान के बेटों के लिए भी संगठन में कोई विशेष स्थान नहीं बचा हो।
उन्होंने कहा कि हालिया घटनाक्रम और फैसलों से यह संकेत तो साफ हो गया है कि चाहे संगठन हो या फिर संवैधानिक पद, जो व्यक्ति अब सवाल उठाने या अपनी बात रखने की हिम्मत करता है, वह भाजपा के लिए बोझ बन जाता है। उससे भाजपा जल्द ही छुटकारा पाने की कोशिश करती है।
भाजपा ने दिलवाया त्याग-पत्र: बेनीवाल
वहीं नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल का कहना है कि बीच सत्र में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर जो त्याग-पत्र दिया है, वह भाजपा की ओर से दिलवाया गया है। यदि ऐसा नहीं होता तो पीएम मोदी उन्हें पुनर्विचार के लिए कहते। मैं एनडीए के विरोध में होते हुए भी उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में सामाजिक और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए उनके साथ खड़ा रहा और उन्हें वोट किया।
हालांकि उन्होंने पद पाने के पश्चात अपने अंदर की महत्वाकांक्षाओं को कई बार उजागर भी किया था। निश्चित तौर पर उन्हें सार्वजनिक रूप से अपने ऊपर बने भाजपा के दबाव को लेकर दिए गए इस्तीफे पर स्पष्टीकरण देना चाहिए अन्यथा 6 महीने बाद दिए गए स्पष्टीकरण को जनता सस्ती लोकप्रियता का नाम दे देगी।
सरकार की हर हाल में मनमानी करने की चाहत: डांगी
राजस्थान से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने धनखड़ के इस्तीफे को लेकर राजनीतिक आरोप लगाते हुए बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि यह फैसला धनखड़ की मर्जी से नहीं, बल्कि सरकार के दबाव में लिया गया है।
उन्होंने कहा कि ये इस्तीफा सरकार के दबाव में हुआ है। शायद सरकार ने उन पर ये फैसला थोपा हो। ये देश और इसके लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ठीक नहीं है। मुझे लगता है कि देश के इतिहास में ये पहली बार हुआ है कि किसी उपराष्ट्रपति ने खुद इस्तीफा दिया हो। सरकार हर हाल में अपनी मनमानी करना चाहती है और ये बात सबके सामने है।
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