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हाल ही में अहमदाबाद एयरपोर्ट पर हुई दुर्घटना ने यह साबित कर दिया कि यह न केवल एक तकनीकी विफलता थी, बल्कि संस्थागत और प्रशासनिक स्तर पर भी भारी चूक थी। विमानन सुरक्षा मानकों की जिम्मेदारी रखने वाली संस्थाएं जैसे कि डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय), एएआई (एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ) और अन्य स्थानीय प्रशासनिक निकाय, हमेशा अपनी रिपोर्ट में सुरक्षा उपायों की गंभीरता पर बल देती हैं। इसके बावजूद, सुरक्षा मानकों का पालन करने में लापरवाही बरती जाती है, जिसका परिणाम कई दुर्घटनाओं के रूप में सामने आता है।
बुनियादी बिंदुओं पर काम नहीं
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डीजीसीए द्वारा जारी निरीक्षण रिपोर्ट और 2019 के दिशा-निर्देशों में बताया गया था कि सुरक्षा मानकों को लेकर कई एयरपोर्टों पर गंभीर चूकें पाई गई हैं। अहमदाबाद एयरपोर्ट भी उन एयरपोर्टों में शामिल था, जहां रनवे सुरक्षा, बफर जोन और ओएलएस (ऑब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस) जैसे बुनियादी बिंदुओं पर काम नहीं हुआ। हालांकि, डीजीसीए के एरोड्रोम इंस्पेक्टर हैंडबुक और सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट्स (CAR) के अनुसार हर रनवे के सिरों पर 90 से 240 मीटर का ‘रेसा’ (Runway End Safety Area) अनिवार्य है, ताकि किसी भी विफलता की स्थिति में विमान को सुरक्षित रूप से रोका जा सके।
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अहमदाबाद में बफर जोन के लिए जमीन का विवाद
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2018 में अहमदाबाद एयरपोर्ट ने गुजरात सरकार से बफर जोन के लिए 29.79 एकड़ जमीन की मांग की थी। यह फाइल मंजूरी के बाद अब तक जमीन नहीं मिल पाई है। इसकी वजह यह है कि इस जमीन पर 350 परिवारों का बसेरा है और इन परिवारों को हटाना एक राजनीतिक संवेदनशीलता का मुद्दा बन चुका है। इस प्रकार की समस्याओं ने बुनियादी सुरक्षा उपायों को लागू करने में भारी रुकावट डाली है।
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कई एयरपोर्ट जिनकी स्थिति गंभीर
देशभर में ऐसे कई एयरपोर्ट हैं जहां सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हो रहा है। इनमें पुणे (पुरंदर), पटना, त्रिवेंद्रम, कोयंबटूर, मैंगलुरु, मैसूर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश), हिसार (हरियाणा), और कुशीनगर (उत्तरप्रदेश) जैसे एयरपोर्ट प्रमुख हैं। इन एयरपोर्टों पर सुरक्षा बुनियादी ढांचे को लेकर कई समस्याएं हैं जैसे कि रनवे का सीमित होना, आबादी से घिरा होना, और जमीन के विवाद। इसके अलावा, रनवे और टर्मिनल निर्माण में लंबी देरी हो रही है और ओएलएस बाधाएं अभी भी सुलझाई नहीं गई हैं।
यह समस्याएं सिर्फ एयरपोर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर की नहीं हैं, बल्कि प्रशासनिक ढांचे की भी हैं जो इन मुद्दों को हल करने में सुस्त पड़ गए हैं। उदाहरण के लिए, कई एयरपोर्टों के निर्माण कार्य ठप पड़े हुए हैं या सुरक्षा उपायों के लिए लंबी प्रतीक्षा की जा रही है।
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7 अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स को तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया
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हाल ही में, एअर इंडिया को भी उड़ानों के रद्द होने की समस्याओं का सामना करना पड़ा। 7 अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स को अहमदाबाद एयरपोर्ट के तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया गया। इसमें अहमदाबाद-लंदन फ्लाइट भी शामिल थी जिसे विमान उपलब्ध न होने के कारण रद्द किया गया। इस प्रकार की समस्याएं एयरलाइनों और एयरपोर्ट अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय की कमी को उजागर करती हैं, जो उड़ानों के समय पर संचालन को सुनिश्चित करने में विफल रहते हैं।
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