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Photograph: (thesootr)
ऐपल और CCI विवाद: भारत में एंटीट्रस्ट कानूनों के तहत ऐपल और CCI के बीच बड़ा विवाद चल रहा है। मामला यह है कि क्या किसी कंपनी पर जुर्माना उसकी भारतीय रेवेन्यू पर लगाया जाएगा, या उसे उसकी वैश्विक कमाई पर भी लागू किया जाएगा।
ऐपल का कहना है कि नए नियमों के तहत उसकी ग्लोबल कमाई पर 10% जुर्माना लग सकता है, जो कंपनी के लिए भारी नुकसान का कारण बनेगा। दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई 3 दिसंबर को तय की गई है, जिसमें ऐपल ने अपनी दलील दी है कि उसके लिए यह जुर्माना अत्यधिक होगा।
एंटीट्रस्ट कानून और ऐपल का विवाद
भारत में ऐपल और CCI (कम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया) के बीच एंटीट्रस्ट कानूनों को लेकर विवाद ने तूल पकड़ लिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब CCI ने ऐपल के खिलाफ कम्पटीशन एक्ट के सेक्शन 27(b) के तहत जुर्माना लगाने का प्रस्ताव किया।
यह जुर्माना कंपनी की तीन साल की औसत ग्लोबल कमाई के 10% तक हो सकता है। पहले यह जुर्माना केवल भारत में हुई कमाई पर लागू होता था, लेकिन नए संशोधन के बाद अब इसे वैश्विक रेवेन्यू पर लागू किया जा सकता है, जिससे ऐपल को भारी नुकसान होगा।
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क्या है ऐपल का तर्क?
ऐपल कंपनी ने अपनी दलील दी है कि नए नियमों से कंपनी को 38 बिलियन डॉलर (लगभग 3 लाख करोड़ रुपए) का जुर्माना हो सकता है। ऐपल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के Excel Crop फैसले में यह कहा गया था कि जुर्माना उस प्रोडक्ट या सेवा की कमाई पर लगना चाहिए। जो कानून तोड़ने में शामिल है, न कि पूरी कंपनी की कमाई पर। ऐपल ने कोर्ट में यह भी चुनौती दी कि CCI ने मार्च में ऐपल से उसकी तीन साल की ऑडिटेड फाइनेंशियल रिपोर्ट मांगी थी, जो उसने विरोध किया।
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CCI को मिली ज्यादा ताकत
भारत ने एंटीट्रस्ट कानून में बदलाव इसलिए किया क्योंकि दुनिया के कई देशों में इस मॉडल को अपनाया गया है। यूरोपियन यूनियन में भी कंपनियों पर उनकी ग्लोबल कमाई के आधार पर जुर्माने लगाए जाते हैं। भारत का मानना है कि बड़ी कंपनियों को भारत में काम करते हुए भारतीय नियमों का पालन करना चाहिए। यदि वे भारत में लाखों-करोड़ों रुपए की कमाई कर रही हैं, तो उन्हें भी जुर्माने के कड़े नियमों का पालन करना होगा।
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क्या होगा ऐपल और CCI के विवाद का असर?
ऐपल एंटीट्रस्ट केस न केवल ऐपल के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत में काम कर रही अन्य बड़ी टेक कंपनियों के लिए भी यह मिसाल बनेगा। अगर भारत में यह नियम लागू होता है, तो अन्य विदेशी कंपनियां भी इसे लेकर चिंतित हो सकती हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी, और इसका असर भारत के एंटीट्रस्ट कानूनों पर भी पड़ेगा।
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