राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए एक याचिका स्थानीय अदालत में दायर की गई थी। अदालत ने इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस मामले में प्रतिक्रिया दी है।
'हिंदुत्व के प्रति सकारात्मक समय आ रहा'
मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए एक टीवी चैनल से कहा, अगर वहां शिव मंदिर है, तो प्राण प्रतिष्ठा और रुद्राभिषेक होना चाहिए। उन्होंने हिंदू एकता और धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
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जात-पात मिटाने का प्रयास
धीरेंद्र शास्त्री फिलहाल सनातन हिंदू एकता पदयात्रा पर निकले हुए हैं, जो 29 नवंबर, यानी आज ओरछा में समाप्त होगी। इस यात्रा के दौरान उन्होंने गजवा-ए-हिंद और भगवा-ए-हिंद पर अपने विचार व्यक्त करते हुए हिंदुओं से जागरूक होने की अपील की।
सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश : अंजुमन सैयद
दरगाह के खादिमों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने इस याचिका को समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की साजिश बताया। उन्होंने कहा, यह दरगाह धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है।
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दरगाह का महत्व : विविधता में एकता का प्रतीक
सैयद सरवर चिश्ती ने ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को धर्मनिरपेक्षता का उदाहरण बताते हुए कहा, यहां न केवल मुसलमान बल्कि हिंदू भी आते हैं। मस्जिदों में मंदिर या शिवलिंग खोजने की कोशिशें देश के हित में नहीं हैं।
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