आज ( 17 जून ) को पूरे देश में ईद उल अजहा ( Eid al-Adha ) का त्योहार मनाया जा रहा है। सुबह दिल्ली की जामा मस्जिद सहित देशभर में ईद की नमाज अदा की गई। इस दिन इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग बकरे की कुर्बानी देकर त्योहार मनाते हैं। इसलिए इसे बकरीद भी कहते हैं।
क्यों मनाई जाती है बकरीद ?
इस्लामिक मान्यता के अनुसार, अल्लाह के हुक्म के बाद अल्लाह के नबी हजरत इब्राहीम अपने बेटे इस्माइल को अच्छे कपड़े पहनाकर मंजिल की तरफ निकल पड़े। जब वे चले तो उन्हें रास्ते में शैतान मिला। शैतान उन्हें गुमराह करना चाहता था।
इब्राहीम समझ गए थे कि ये शैतान है, जो उन्हें गुमराह कर रहा है। वे उसकी बातों को अनदेखा करते हुए अपनी मंजिल की तरफ बढ़ गए और फिर उन्होंने अपने बेटे इस्माइल की आंखों पर पट्टी बांध दी। वे अपने बेटे को अल्लाह के नाम पर कुर्बान करने के लिए आगे बढ़ गए।
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बेटे की जगह बकरे की कुर्बानी
जब हजरत इब्राहिम अपने बेटे की गर्दन पर चाकू चलाने वाले थे, तब अल्लाह ने अपने फरिश्तों से कहा कि तुरंत बच्चे को हटाकर वहां एक बकरा रख दिया जाए। ऐसे में इस्माइल बच गया और बकरा अल्लाह के नाम पर कुर्बान हो गया।
इसी समय से ईद उल अजहा के दिन बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा शुरू हुई। कुर्बानी से पहले कुर्बानी के जानवर को पालने के लिए कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब इंसान जानवर को पालता है तो उसे उससे लगाव हो जाता है। खुदा को सबसे प्यारी चीज कुर्बान करनी होती है।
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