NCERT की किताबों में बड़ा बदलाव , हटाया बाबरी मस्जिद का जिक्र, कारसेवा भी गायब, जानें क्या-क्या बदला गया?

एनसीईआरटी की नई रिवाइज्ड किताबें बाजार में आ चुकी हैं। 12वीं की किताब में अयोध्या विवाद, बाबरी मस्जिद के संदर्भ में बदलाव किए गए हैं। आइए जानते हैं कि इस बार राजनीति विज्ञान की किताब में कौन से प्रमुख बदलाव हुए हैं। 

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Vikram Jain
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New Delhi NCERT book Ayodhya Babri dispute topics major changes
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NCERT Books: एनसीईआरटी (NCERT) की 12वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस की नई रिवाइज्ड किताब मार्केट में आ चुकी है। भगवान राम से लेकर श्री राम तक, बाबरी मस्जिद, रथयात्रा, कारसेवा और विध्वंस के बाद की हिंसा की जानकारी को NCERT की नई किताब से हटा दिया गया है। पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस में कई बड़े बदलाव करते हुए बाबरी मस्जिद की जानकारी हटाने और 'अयोध्या विवाद' को 'अयोध्या मुद्दा' लिखा गया है। 

नई किताब में बाबरी मस्जिद को लेकर क्या लिखा गया?

12वीं की राजनीति विज्ञान की किताब में ज्यादा बदलाव देखने को मिले हैं। सबसे बड़ा बदलाव अयोध्या विवाद के टॉपिक को लेकर हुआ है, जहां किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र ही नहीं किया गया है। मस्जिद का नाम लिखने की जगह उसे 'तीन गुंबद वाली संरचना' बताया गया है। अयोध्या विवाद के टॉपिक को चार की जगह दो पेज में कर कर दिया है। नई किताब में दिए चैप्टर में इसके बारे में कुछ इस तरह से जिक्र किया गया है, "एक तीन-गुंबद वाली संरचना, जो साल 1528 में श्री राम के जन्मस्थान स्थल पर बनाई गई थी, लेकिन संरचना के आंतरिक और बाहरी हिस्सों में हिंदू प्रतीकों और अवशेषों को साफ देखा जा सकता था"

अयोध्या विवाद के पुराने वर्जन हटाए गए

दो पन्नों से ज्यादा में अयोध्या विवाद का जिक्र करने वाली पुरानी किताब में फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला अदालत के आदेश पर फरवरी 1986 में मस्जिद के ताले खोले जाने के बाद 'दोनों तरफ से' लामबंदी के बारे में बात की गई थी।

अब अयोध्या विवाद की जानकारी बताने वाले पुराने वर्जन भी हटा दिए गए हैं। इसमें गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक बीजेपी की रथयात्रा, कारसेवकों की भूमिका, 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा, बीजेपी शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन, और बीजेपी का अयोध्या में होने वाली घटनाओं पर खेद जताना शामिल है। 

नई किताब में कैसा जिक्र है?

इस किताब में 'भगवान राम का जन्म स्थान माना जाता है' से संदर्भ बदलकर 'इसमें श्री राम के जन्म स्थान, सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक और इसके कानूनी स्वामित्व के बारे में विवाद शामिल थे' कर दिया गया है। यह पहली बार है कि अयोध्या राम जन्मभूमि का संदर्भ लाया गया है, क्योंकि भगवान राम को बदलकर श्री राम कर दिया गया है। यह 2014 के बाद से एनसीईआरटी पुस्तक का चौथा संशोधन है, जो नवीनतम राजनीतिक विकास के आधार पर अपडेट को दर्शाता है। नई किताब 2024-25 शैक्षणिक सत्र के लिए लागू की जाएगी।

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तीन गुंबद वाली संरचना को लेकर महत्वपूर्ण मोड़

ऊपर बताई गई बातों को एक नए पैराग्राफ के साथ नई किताब में रिप्लेस किया गया है। नई किताब में लिखा गया है, "1986 में, तीन-गुंबद वाली संरचना के संबंध में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला अदालत ने संरचना के ताले को खोलने का फैसला सुनाया, जिससे लोगों को वहां पूजा करने की इजाजत मिली, यह विवाद कई दशकों से चल रहा था क्योंकि ऐसा माना जाता था कि तीन गुंबद वाली संरचना एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद श्री राम के जन्मस्थान पर बनाई गई थी"

इसमें आगे लिखा गया है, "हालांकि, मंदिर का शिलान्यास किया गया था, फिर भी आगे निर्माण पर पाबंदी रही, हिंदू समुदाय को लगा कि श्री राम के जन्मस्थान से संबंधित उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है, जबकि मुस्लिम समुदाय ने संरचना पर अपने कब्जे को लिए आश्वासन मांगा। इसके बाद स्वामित्व अधिकारों को लेकर दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ा, जिसकी वजह से विवाद और कानूनी संघर्ष देखने को मिले। दोनों समुदाय लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे का निष्पक्ष समाधान चाहते थे। 1992 में ढांचे के विध्वंस के बाद कुछ आलोचकों ने तर्क दिया कि इसने भारतीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की"

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी जिक्र

12वीं की राजनीति विज्ञान की किताब के नए वर्जन में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक सब-सेक्शन जोड़ा गया है। इसका शीर्षक- 'कानूनी कार्यवाही से सौहार्दपूर्ण स्वीकृति तक' है, इसमें कहा गया है कि किसी भी समाज में संघर्ष होना स्वाभाविक है, लेकिन एक बहु-धार्मिक और बहुसांस्कृतिक लोकतांत्रिक समाज में इन संघर्षों को आमतौर पर कानून की पालन करते हुए हल किया जाता है। किताब में आगे अयोध्या विवाद पर 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के 5-0 के फैसले का जिक्र है। उस फैसले ने मंदिर निर्माण के लिए रास्ता तैयार किया। 

इसमें आगे लिखा गया है, "पुरातात्विक उत्खनन और ऐतिहासिक अभिलेखों जैसे साक्ष्यों के आधार पर कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए इस मुद्दे को हल किया गया था, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समाज में बड़े पैमाने पर स्वीकार किया गया, यह एक संवेदनशील मुद्दे पर आम सहमति बनाने का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो भारत में लोगों के बीच निहित लोकतंत्र की परिपक्वता को दर्शाता है"

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आगे लिखा गया है, "फैसले ने विवादित स्थल को राम मंदिर के निर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को आवंटित कर दिया और संबंधित सरकार को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए उचित स्थान आवंटित करने का निर्देश दिया, इस प्रकार, लोकतंत्र संविधान की समावेशी भावना को कायम रखते हुए हमारे जैसे बहुलवादी समाज में संघर्ष के समाधान के लिए जगह देता है."

विध्वंस को लेकर अखबारों की कटिंग गायब

पुरानी किताब में विध्वंस के दौर के समय अखबार में लिखे आर्टिकल की तस्वीरें थीं, जिनमें 7 दिसंबर 1992 का एक आर्टिकल भी शामिल था, इसका शीर्षक था 'बाबरी मस्जिद ध्वस्त, केंद्र ने कल्याण सरकार को बर्खास्त किया', 13 दिसंबर, 1992 को छपे एक अखबार के आर्टिकल की एक हेडलाइन में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को यह कहते हुए कोट किया गया है, 'अयोध्या बीजेपी की सबसे खराब गलतफहमी है.' नई किताब में सभी अखबारों की कटिंग को हटा दिया गया है।

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