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वृंदावन के प्रसिद्ध श्री ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में सोमवार यानी 15 दिसंबर को एक अजीब घटना घटी। पहली बार ठाकुर जी को बाल भोग और शयन भोग नहीं चढ़ाया गया। इस परंपरा का टूटना मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं और गोस्वामियों के लिए बड़ा झटका था। इसका कारण है कि हलवाई को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है। इस वजह से ठाकुर जी के लिए भोग तैयार नहीं किया जा सका।
क्यों टूटी सालों पुरानी परंपरा?
बांके बिहारी मंदिर के लिए भोग तैयार करने की जिम्मेदारी मयंक गुप्ता के पास है। वे हलवाई के माध्यम से ठाकुर जी के लिए चार अलग-अलग समय पर भोग तैयार करते हैं।
ये भोग सुबह बाल भोग, दोपहर राजभोग, शाम उत्थापन भोग और रात शयन भोग होते हैं। 15 दिसंबर सोमवार को इनमें से किसी भी तरह का भोग नहीं लगाया गया। गोस्वामी और मंदिर के अन्य कर्मचारी परेशान थे, क्योंकि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही थी।
हलवाई को क्यों नहीं मिला भुगतान?
श्री बांके बिहारी मंदिर में भोग न बनने की वजह का खुलासा करते हैं। कमेटी के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बताया कि मयंक गुप्ता से इस बारे में पूछा गया। उन्होंने बताया कि हलवाई को वेतन का भुगतान नहीं किया गया था। इसके कारण बांके बिहारी मंदिर में हलवाई ने भोग तैयार नहीं किया। इस पर मंदिर प्रशासन ने हलवाई को जल्द भुगतान करने के आदेश दिए हैं, ताकि ऐसी घटना भविष्य में न हो।
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हाई पावर कमेटी का प्रतिक्रिया
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई पावर कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी के अंतर्गत ही मंदिर की व्यवस्था चलती है। हालांकि, इस घटना के बाद कमेटी अब अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है। फिलहाल, कमेटी ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है और भविष्य में ऐसी घटना न हो, कि ठाकुर जी को भोग न लगे। इसके लिए सख्त आदेश दिए हैं।
भविष्य में सुधार की उम्मीद
मंदिर के गोस्वामी और श्रद्धालुओं का मानना है कि इस घटना के बाद सुधार होगा। वे उम्मीद कर रहे हैं कि मंदिर प्रशासन अब अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देगा। इस मुद्दे पर जल्दी कार्रवाई की जाएगी। ताकि आगे भक्तों को कोई परेशानी न हो। फिलहाल, ठाकुर जी के दर्शन बिना भोग के ही किए गए।
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