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युगांडा के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में बसी बान्यंकले जनजाति का इतिहास 15वीं सदी के बंटू साम्राज्य “अंकोले” से जुड़ा हुआ है। यह जनजाति अपनी अनोखी और अजीबोगरीब विवाह परंपराओं के लिए प्रसिद्ध रही है। इनमें से एक मुख्य परंपरा है जहां दुल्हन की चाची दूल्हे का वर्जिनिटी टेस्ट करती है।
दूल्हे का वर्जिनिटी टेस्ट
शादी के दिन दुल्हन की चाची का एक विशेष और असामान्य कर्तव्य होता है। वह दूल्हे के साथ पहले संबंध बनाकर उसकी वर्जिनिटी की जांच करती है। बान्यंकले के बहिमा समुदाय में यह परंपरा विशेष रूप से प्रचलित है। चाची यह भी सुनिश्चित करती है कि दुल्हन भी वर्जिन हो।
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दुल्हन की वर्जिनिटी जांच
विवाह के दिन दुल्हन के घर भोज आयोजित किया जाता है, उसके बाद दूल्हे के घर विवाह की अंतिम रस्में होती हैं। शादी से पहले चाची दोनों की वर्जिनिटी टेस्ट करती है। यदि दुल्हन टेस्ट में विफल होती है, तो उसे सामाजिक बहिष्कार या गंभीर सजा का सामना करना पड़ सकता है। यह परंपरा अब सीमित और विलुप्त होती जा रही है।
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8 साल की उम्र से दुल्हन की तैयारी
बान्यंकले जनजाति में लड़की की चाची आठ से नौ साल की उम्र से उसे पारिवारिक जीवन और पत्नी की भूमिका के लिए तैयार करती है। इस दौरान लड़की को किसी भी तरह के संबंध बनाने से रोका जाता है। यदि कोई लड़की इस नियम का उल्लंघन करती है, तो उसे समुदाय से बहिष्कार या जान का खतरा हो सकता है।
बान्यंकले समाज में सुंदरता का प्रतीक
पतली काया को आकर्षक न मानने वाले बान्यंकले लोग मोटापा सुंदरता का प्रतीक समझते हैं। इसलिए लड़कियों को मांस, बाजरे का दलिया और दूध खूब खिलाकर मोटा बनाया जाता है ताकि वे विवाह के लिए आकर्षक बन सकें।
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