नाबालिगों को भी मिल सकेगी अग्रिम जमानत, कानून में नहीं है कोई पाबंदी: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने नाबालिगों के लिए अग्रिम जमानत का रास्ता खोला। तीन जजों की पीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि कानून में कहीं भी नाबालिगों के लिए अग्रिम जमानत पर पाबंदी नहीं है।

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Sandeep Kumar
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Photograph: (The Sootr)

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Kolkata. कलकत्ता हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि नाबालिगों को भी अग्रिम जमानत मिल सकती है। तीन जजों की पीठ ने यह फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि कानून में कहीं भी यह नहीं लिखा कि नाबालिग अग्रिम जमानत नहीं मांग सकते। मुर्शिदाबाद जिले में नाबालिगों ने अग्रिम जमानत की मांग की थी।

नाबालिग की जमानत

कलकत्ता हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि नाबालिग अपराधियों को भी अग्रिम जमानत मिल सकती है। कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया। कलकत्ता हाई कोर्ट ऐसा फैसला सुनाने वाली देश की पहली अदालत है। जानकारों का मानना है कि कोर्ट के इस फैसले ने नाबालिगों के लिए कानून का एक नया रास्ता खोल दिया है।

अब तक नाबालिग अपराधियों को जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया जाता था। बोर्ड यह तय करता था कि जमानत मिलेगी या नहीं। संगीन अपराध में शामिल आरोपी को जमानत देने का अधिकार बोर्ड के पास नहीं था। हाई कोर्ट के तीन में से दो जजों ने इस फैसले का समर्थन किया।

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क्या कहा जजों ने

जस्टिस सेनगुप्ता और जस्टिस घोष ने नाबालिगों को अग्रिम जमानत देने का समर्थन किया। जस्टिस पटनायक ने इसका विरोध किया। इसलिए, यह फैसला 2-1 से पारित हुआ। मुर्शिदाबाद जिले के रघुनाथगंज थाने में चार नाबालिग आरोपित थे। उन पर हत्या और हत्या की कोशिश के आरोप थे। नाबालिगों को गिरफ्तार होने का डर था। उन्होंने अग्रिम जमानत की मांग की थी।

कोर्ट के तीन न्यायाधीशों जस्टिस जय सेनगुप्ता, जस्टिस तीर्थंकर घोष और जस्टिस बिभास पटनायक ने निर्णय में कहा कि कानून में कोई भी अग्रिम जमानत मांग सकता है। इसमें यह नहीं लिखा कि नाबालिग अग्रिम जमानत नहीं मांग सकता।

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4 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी

👉कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि नाबालिगों को भी अग्रिम जमानत मिल सकती है। तीन जजों की पीठ ने यह फैसला सुनाया कि कानून में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि नाबालिग अग्रिम जमानत नहीं मांग सकते।

👉 इस फैसले के साथ, कलकत्ता हाईकोर्ट देश की पहली अदालत बन गई है, जिसने नाबालिगों के लिए अग्रिम जमानत देने का रास्ता खोला है। इससे नाबालिग अपराधियों के लिए एक नया कानूनी रास्ता खुला है।

👉मुर्शिदाबाद जिले के रघुनाथगंज थाने में चार नाबालिगों पर हत्या और हत्या की कोशिश के आरोप थे। इन्हें गिरफ्तार होने का डर था और उन्होंने अग्रिम जमानत की मांग की थी।

👉 जस्टिस सेनगुप्ता और जस्टिस घोष ने नाबालिगों को anticipatory bail देने का समर्थन किया, जबकि जस्टिस पटनायक ने इसका विरोध किया। परिणामस्वरूप यह फैसला 2-1 से पारित हुआ।

एंटीसिपेटरी बेल क्या है ?

एंटीसिपेटरी बेल CrPC की धारा 438 के तहत मिलती है। इसका मतलब है गिरफ्तारी से पहले जमानत मिलना। अगर किसी व्यक्ति को डर हो कि पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है, तो वह पहले से ही कोर्ट में जमानत मांग सकता है। कोर्ट जमानत दे दे तो पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकती। अगर गिरफ्तार करती है, तो उसे तुरंत जमानत पर छोड़ना पड़ेगा।

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