जनगणना 2027 के लिए मॉकड्रिल 1 अक्टूबर से, पूरे देश का तैयार होगा स्मार्ट मैप्स, जानें इसकी खासियत

देश में जनगणना-2027 की शुरुआत से पहले मॉकड्रिल 1 अक्टूबर से शुरू होगी। इसमें डेटा कलेक्शन, जीपीएस टैगिंग और डिजिटल मैपिंग जैसी प्रक्रियाओं का परीक्षण होगा।

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Dablu Kumar
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देश में होने वाली जनगणना-2027 के लिए तैयारी जोरों पर है। इस बार जनगणना की प्रक्रिया को डिजिटल रूप में किया जाएगा। इसमें डेटा कलेक्शन, जीपीएस टैगिंग और डिजिटल मैपिंग जैसी मॉडर्न तकनीकों का इस्तेमाल होगा। जनगणना से पहले 1 अक्टूबर 2025 से मॉकड्रिल शुरू हो रही है, जो 60 दिन चलेगी। यह मॉकड्रिल भारत के हर हिस्से में जनगणना प्रक्रिया की टेस्टिंग और अभ्यास करेगी, ताकि किसी भी प्रकार की खामी को 6 महीने के भीतर दूर किया जा सके। इसके बाद 1 अप्रैल 2026 से वास्तविक जनगणना शुरू होगी।

मॉकड्रिल से क्या होगा फायदा

जनगणना-2027 की मॉकड्रिल का उद्देश्य पूरे तंत्र की जांच करना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी प्रक्रियाएं समय पर और सही तरीके से हो रही हैं। मॉकड्रिल में जनगणना कर्मी स्मार्ट मैप्स, हाउस लिस्टिंग के तरीके, डेटा कलेक्शन, रियल-टाइम डेटा ट्रांसफर और जीपीएस टैगिंग जैसी तकनीकों का अभ्यास करेंगे। इसके अलावा घर-घर जाकर लोकेशन ट्रैकिंग और एप में हर घर की जियो पिन बनाना भी शामिल है।

जीपीएस टैगिंग और डिजिटल मैपिंग

जनगणना-2027 में सबसे बड़ा बदलाव डिजिटल लेआउट मैपिंग में होगा। इस प्रक्रिया के तहत सभी घरों, दुकानों, धर्मस्थलों और अन्य इमारतों की जीपीएस टैगिंग की जाएगी। गणनाकर्मी हर घर की लोकेशन ऑन करेंगे और उसे डिजिटल मैप पर पिन करेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हर घर और इमारत का सही स्थान रिकॉर्ड हो, जिससे भविष्य में किसी भी आपदा, विकास योजनाओं या राजनीतिक सीमाओं के निर्धारण में मदद मिलेगी।

भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण ने कहा कि 1 अप्रैल 2026 से मकानों की लिस्टिंग, सुपरवाइजर्स और गणना कर्मचारियों की नियुक्ति, काम का बंटवारा किया जाएगा। 

डिजिटल मैपिंग क्रांति है- डॉ. सी. चंद्रमौली

पूर्व महापंजीयक और 2011 के जनगणना आयुक्त डॉ. सी. चंद्रमौली ने कहा कि यह (डिजिटल मैपिंग) क्रांति है। पहले अंदाजे से बने स्कैच से लोकेशन तय होती थी। अब पूरे देश का डिजिटल लेआउट होगा। सरकारी सेवाओं, सुविधाओं की आपूर्ति और राहत-बचाव कार्य में इसका इस्तेमाल होगा। , 

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डिजि डॉट: डिजिटल टैगिंग के फायदे

हर घर और इमारत को डिजिटल लेआउट मैप में 'डिजि डॉट' के रूप में टैग किया जाएगा। यह प्रक्रिया विभिन्न प्रकार से फायदेमंद साबित हो सकती है।

  1. आपदा राहत: अगर किसी इलाके में बाढ़, भूकंप या अन्य आपदाएं आती हैं, तो डिजि डॉट के जरिए राहत कार्य में तेजी लाई जा सकेगी। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में कितने लोग हैं, इसका सटीक आंकड़ा तुरंत प्राप्त हो सकेगा।

  2. राजनीतिक परिसीमन: जियो टैगिंग के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राजनीतिक सीमाएं सही और युक्तिसंगत तरीके से निर्धारित की जाएं। इससे संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों का संतुलित निर्धारण होगा।

  3. शहरी योजनाओं में मदद: शहरों के विकास में, जैसे सड़कों, स्कूलों, और अस्पतालों की योजना बनाने में यह डिजिटल मैप उपयोगी साबित होगा। उदाहरण के लिए बच्चों की संख्या अधिक होने पर पार्क और स्कूल प्राथमिकता से बनाए जा सकेंगे।

  4. शहरीकरण और पलायन का डेटा: भविष्य में होने वाली जनगणनाओं में शहरीकरण की दर और पलायन के क्षेत्रों का डेटा डिजिटल मैप के आधार पर सटीकता से मापा जा सकेगा।

  5. मतदाता सूची सुधार: जियो टैगिंग के साथ आधार की पहचान से मतदाता सूची में डुप्लीकेट नामों की पहचान की जा सकेगी, जिससे सूची को सही और मजबूत बनाया जा सकेगा।

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जनगणना की दो चरणों में प्रक्रिया

जनगणना-2027 को दो चरणों में किया जाएगा।

  • पहला चरण (1 अप्रैल 2026 से): इसमें मकानों की लिस्टिंग, सुपरवाइजर्स और गणना कर्मचारियों की नियुक्ति, काम का बंटवारा किया जाएगा।

  • दूसरा चरण (1 फरवरी 2027 से): इसमें जनसंख्या की जनगणना शुरू होगी और पूरे देश में डेटा कलेक्शन की प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।

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प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज

जनगणना के दौरान 1 जनवरी 2026 से प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज कर दिया जाएगा। इसके बाद, राज्य, जिले, या प्रखंडों की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि जनगणना के आंकड़े सटीक और बिना किसी बदलाव के रहें।

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डिजिटल और मोबाइल एप के माध्यम से डेटा कलेक्शन

जनगणना-2027 का अधिकांश काम पेपरलेस होगा। मोबाइल एप, वेब पोर्टल, और रियल-टाइम डेटा ट्रांसफर का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा एआई आधारित इंटेलीजेंट कैरेक्टर रिकगनिशन टूल्स से कागज पर लिखी जानकारी को पढ़ने का काम किया जाएगा। लोगों को डेटा कलेक्शन मोबाइल ऐप के जरिए होगा। बता दें कि, 2027 में जनगणना को लेकर केंद्र सरकार लगातार तैयारियों में जुटी हुई है। अब इसके मॉकड्रिल को लेकर भी तैयारियां तेज हो गई हैं। 

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