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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के अयोध्या नगर क्षेत्र में भेल के रिटायर्ड सुपरवाइजर विनोद कुमार गुप्ता को साइबर ठगों ने दो महीने तक डिजिटल अरेस्ट में रखा। आरोपियों ने खुद को टेलिकॉम और सीबीआई के अधिकारी बताते हुए गुप्ता को मानव तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर मामलों में फंसाने की धमकी दी। इन ठगों ने गुप्ता से 68.30 लाख रुपये ठगकर 9 बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिए। खास बात यह है कि इस ठगी के दौरान ठगों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम का भी इस्तेमाल किया।
गुप्ता ने इस मामले की शिकायत भोपाल क्राइम ब्रांच में दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस मामले की जांच में जुटी है और ट्रांसफर की गई रकम के बैंक खातों की डिटेल खंगाली जा रही है।
पीड़ित को रखा गया डिजिटल अरेस्ट में
साइबर ठगों ने 4 जुलाई से 4 सितंबर 2025 तक विनोद गुप्ता को डिजिटल अरेस्ट में रखा। इस दौरान उन्हें अपनी हर गतिविधि के लिए ऑनलाइन अनुमति लेनी पड़ती थी। चाहे पूजा करनी हो या भोजन करना, आरोपी हर समय गुप्ता से अनुमति लेते थे। उन्होंने डीएम-592 कोड का इस्तेमाल किया और अंत में जय हिंद लिखना अनिवार्य किया था।
इस प्रक्रिया ने गुप्ता को मानसिक रूप से परेशान कर दिया, और ठगों ने उसे इतना भयभीत कर दिया कि उसने उनके कहे अनुसार पैसे ट्रांसफर करना शुरू कर दिया।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?अभी देश में डिजिटल अरेस्ट का किसी भी तरह का प्रवाधान नहीं है। इस साइबर ठग लोगों को पहले निशाना बनाते हैं। इसके बाद गिरफ्तारी का डर दिखाया जाता है। साथ ही, लोगों को घर में ही कैद किया जाता है। वीडियो कॉल कर ठग अपना बैकग्राउंड किसी पुलिस स्टेशन की तरह दिखाता है। ठग ऑनलाइन मॉनिटरिंग करता है। जैसे कौन कहां जा रहा है। इस दौरान बैंक अकाउंट सीज कर गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है। ऐप डाउनलोड कराकर फर्जी डिजिटल फॉर्म भरवाए जाते हैं। डमी अकाउंट बताकर उसमें पैसों का ट्रांजेक्शन कराया जाता है। |
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निर्मला सीतारमण के नाम पर फंसाया
वित्त मंत्री के नाम से ठगों ने एक व्यक्ति को जाल में फंसा लिया। पीड़ितों के अनुसार, ठग सुबह, दोपहर और शाम को लगातार मैसेज भेजते थे। वीडियो कॉल के दौरान ठग आईपीएस अधिकारी की यूनिफॉर्म में दिखता था और जो जांच का लेटर भेजता था, उसमें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का जिक्र होता था। जिससे पीड़ित को यकीन हो गया कि उनके खिलाफ वाकई धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ है। इसके बाद ठग के जाल में फंसने के बाद पीड़ित ने शिकायत करना देर कर दिया क्योंकि वे डरे हुए थे।
ठग इस तरह से पेश आते थे जैसे वह आईपीएस दफ्तर में बैठे हों, ताकि पीड़ित को शक न हो कि वह फर्जी हैं। पीड़ितों ने बताया कि डर के कारण उन्होंने लगभग दो महीने तक किसी को भी शिकायत नहीं की।
ठगों पर डाला गया दवाब
ठगों ने इतना मानसिक दबाव डाला कि पीड़ित को सब्जी लेने और खाना खाने के लिए भी उनसे परमिशन लेनी पड़ती थी। पीड़ित और उसकी पत्नी अकेले रहते थे, जबकि उनके बच्चे गाजियाबाद में रहते थे। ठगों ने अपनी चालाकी से यह भी कहा कि यदि वे उनकी बात नहीं मानेंगे तो उनकी बेटी, दामाद और बेटे को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
इसके बाद ठगों ने वित्त मंत्रालय के सेफ्टी अकाउंट में पैसा जमा करने के नाम पर पीड़ित से अलग-अलग किस्तों में 68 लाख रुपए ठग लिए। कभी 2 लाख, कभी 3 लाख, कभी 5 लाख, इस तरह से पीड़ित से कई बार पैसे लिए गए। जब व्हाट्सएप पर ठगों ने संदेश भेजना बंद कर दिया, तब पीड़ित को अहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है।
RBI का पैसे की जांच कर रही है- ठग
ठगों ने पीड़ित से यह भी कहा कि आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) उसके पैसों की जांच कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि पीड़ित के खिलाफ चार केस दर्ज किए गए हैं। इस वजह से पीड़ित और ज्यादा डर गया और जितनी रकम की मांग की जाती गई, वह बिना किसी संकोच के ठगों को देता गया। इस दौरान पीड़ित ने 20 लाख रुपए से ज्यादा कर्ज लेकर भी ठगों को दिए। मामला सामने आने के बाद पुलिस पूरी घटना की जांच कर रही है। पीड़ितों का कहना है कि इस ठगी में उनका जीवनभर का पैसा चला गया है और अब नींद भी नहीं आती। इस सिलसिले में उन्होंने पुलिस से शिकायत की है।
सिम कार्ड और फर्जी दस्तावेजों से डराया
आरोपियों ने गुप्ता को यह कहकर डराया कि उनके नाम पर दिल्ली के चांदनी चौक में एक सिम कार्ड रजिस्टर्ड है, जिसका उपयोग अपराधों में हो रहा है। इसके अलावा, उन्होंने गुप्ता से यह भी कहा कि उसकी आईसीआईसीआई बैंक पासबुक से जुड़े काले धन और ड्रग-मानव तस्करी के मामलों से उसे जुड़ा हुआ पाया गया है।
इन झूठी धमकियों से गुप्ता को मानसिक रूप से दबाव में लाया गया और उसने ठगों की बात मानी, जिससे उन्हें रकम ट्रांसफर करने की सहमति मिली।
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ठगों ने अलग-अलग बैंक खातों में रकम कराए ट्रांसफर
साइबर ठगों ने गुप्ता से विभिन्न बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कराए। इन खातों में सीएसबी बैंक, करुर व्यास बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, कोटक बैंक, बंधन बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक के खाते शामिल हैं। इसके अलावा, गुप्ता ने रिश्तेदारों से उधार लेकर भी पैसे भेजे, जिससे ठगों ने और अधिक रकम हासिल की।
ठगों ने गुप्ता से एक के बाद एक पैसा निकालकर उसे बुरी तरह से मानसिक रूप से थका दिया। यह धोखाधड़ी इतनी बड़ी थी कि गुप्ता के पास पैसे की कोई और उम्मीद नहीं बची थी।
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सरकारी दस्तावेजों से भी बनाया विश्वास
ठगों ने गुप्ता को विश्वास दिलाने के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों के फर्जी दस्तावेज और नोटिस भी दिखाए। उन्होंने सरकारी अधिकारियों के नाम से दस्तावेज प्रस्तुत कर गुप्ता को यह विश्वास दिलाया कि वह सही दिशा में काम कर रहे हैं। इस धोखाधड़ी के कारण गुप्ता ने अपने बैंक खाते से लाखों रुपये ट्रांसफर किए, जो अब पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
गुप्ता अब पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि इन ठगों को कड़ी सजा मिल सके और भविष्य में इस तरह के साइबर अपराधों को रोका जा सके। एमपी में साइबर ठगी की इस घटना ने हर किसी को हैरान किया है।