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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज (20 अगस्त) संसद पटल पर तीन अहम विधेयक पेश किया है। जिसके तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में 30 दिनों तक लगातार गिरफ्तार या हिरासत में रखने पर उन्हें उनके पद से हटा दिया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में इस प्रस्ताव को पेश कर दिया है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए विधेयकों में तीन महत्वपूर्ण विधेयक शामिल हैं, जिनमें गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025 (The Government of Union Territories Amendment Bill), 130वां संविधान संशोधन बिल 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025 (The Jammu and Kashmir Reorganization Amendment Bill) हैं। इन विधेयकों के जरिए केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किए गए नेताओं को तुरंत पद से हटाया जा सके।
जानें तीनों विधयकों के बारे में1. गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025केंद्र सरकार ने बताया कि गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 के तहत ऐसे कोई प्रावधान नहीं थे जिनके जरिए मुख्यमंत्री या मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार होने पर पद से हटाया जा सके। इसलिए, इस विधेयक में धारा 45 में संशोधन किया गया है, ताकि ऐसे मामलों में नेताओं को पद से हटाने के लिए कानूनी ढांचा तैयार किया जा सके। 2. 130वां संविधान संशोधन बिल 2025संविधान में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो यह कहे कि किसी मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों के आधार पर गिरफ्तार होने और हिरासत में लिए जाने पर उसे पद से हटाया जा सके। इसलिए, अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन करके प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान जोड़े जाने की जरूरत है। इस विधेयक में यह भी कहा गया है कि यदि कोई मंत्री गंभीर आरोपों में गिरफ्तार होकर 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा। 3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत भी गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं था। इस बिल के माध्यम से धारा 54 में संशोधन करके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे नेताओं को 30 दिन के अंदर पद से हटा दिया जाए। |
बिल का हो रहा विरोध
इन विधेयकों के सामने आने के बाद कांग्रेस ने इनका विरोध शुरू कर दिया है। पार्टी का आरोप है कि केंद्र सरकार विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार कर उन्हें पद से हटाने के लिए यह विधेयक लाने जा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने आरोप लगाया कि यह कदम विपक्षी दलों को अस्थिर करने के लिए उठाया जा रहा है। उनका कहना था कि सरकार विपक्षी मुख्यमंत्रियों को चुनाव में हराने में विफल रही है, और अब उन्हें गिरफ्तार कर पद से हटाने के लिए ये विधेयक लाए जा रहे हैं।
केजरीवाल और मंत्री वी सेंथिल बालाजी का उदाहरण
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी का उदाहरण दिया जा रहा है, जिनके खिलाफ गंभीर आरोप थे और वे गिरफ्तारी के बाद भी अपने पद पर बने रहे। केजरीवाल तो वह पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्हें गिरफ्तार होने के बाद पद से नहीं हटाया गया। इस विधेयक के जरिए केंद्र सरकार इसी तरह की घटनाओं को रोकने की योजना बना रही है।
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विधेयकों का उद्देश्य और प्रभाव
इन विधेयकों का प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गंभीर अपराधों में लिप्त प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री या मुख्यमंत्री किसी भी कारण से पद से हटा दिए जाएं, ताकि देश के नेतृत्व में पारदर्शिता बनी रहे और कोई भी अपराधी नेता पद का दुरुपयोग न कर सके।
कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को केंद्रीय एजेंसियों के जरिए ‘‘पक्षपाती’’ तरीके से गिरफ्तार करवा रही है और फिर उन्हें पद से हटाने के लिए ये विधेयक पेश करने की योजना बना रही है। कांग्रेस का यह आरोप उन खबरों के बाद सामने आया है, जिनमें बताया गया है कि सरकार बुधवार को संसद में तीन विधेयकों को पेश करने की तैयारी कर रही है, जिनमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री या मंत्री को गंभीर आरोपों में गिरफ्तार होने पर पद से हटाने का प्रावधान है।
कांग्रेस नेता सिंघवी का आरोप
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि केंद्र सरकार विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को चुनाव में हराने में विफल होने के बाद उन्हें पद से हटाने के लिए ऐसा कानून लाना चाहती है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि यह ‘‘कैसा दुष्चक्र’’ है! गिरफ्तारी के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं हैं और विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां ‘‘अनियंत्रित और अनुचित’’ हैं। सिंघवी ने यह भी कहा कि प्रस्तावित कानून में गिरफ्तारी के तुरंत बाद मुख्यमंत्री को हटाने का प्रावधान किया गया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि विपक्षी नेताओं को अस्थिर करने का सबसे प्रभावी तरीका यह है कि उन्हें केंद्रीय एजेंसियों के जरिए गिरफ्तार करवा दिया जाए, जिससे चुनावी तौर पर उन्हें हराया जा सके, जबकि मनमाने तरीके से गिरफ्तारी कर उन्हें पद से हटा दिया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल के किसी भी मुख्यमंत्री के साथ कभी भी ऐसा नहीं किया गया है। वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा था कि इन विधेयकों का उद्देश्य बिहार में राहुल गांधी की 'वोट अधिकार यात्रा' से लोगों का ध्यान भटकाना है। गोगोई ने अपने आरोपों को लेकर एक्स पर एक पोस्ट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि गृह मंत्री अमित शाह के ये विधेयक राहुल गांधी की यात्रा से जनता का ध्यान भटकाने की एक ‘‘हताश कोशिश’’ हैं।
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क्यों विवाद में यह कानून?
केंद्र सरकार ने तीन बड़े भ्रष्टाचार विरोधी विधेयकों का मसौदा तैयार किया है, जिनमें एक विवादास्पद प्रावधान यह है कि यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर इस प्रावधान के तहत, ऐसे नेताओं को जिन पर पांच साल या उससे अधिक की सजा का आरोप हो, उन्हें उनके पद से हटाया जाएगा।
यह कदम विशेष रूप से अतीत में उठे विवादों के संदर्भ में लिया गया है, जब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी जैसे नेताओं ने जेल में रहने के बावजूद अपने पदों पर बने रहे। विधेयक में यह भी कहा गया है कि अगर कोई मंत्री अपने पद पर रहते हुए गंभीर अपराध के आरोप में गिरफ्तार होता है, और वह 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो उसे उसके पद से हटा दिया जाएगा।
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