महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के नतीजे आने से पहले ही सियासी पारा चरम पर है। महायुति और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) दोनों ही अपने-अपने बहुमत और सरकार बनाने के दावे कर रहे हैं। असल तस्वीर तब साफ होगी, जब सियासी समीकरण और गठबंधन का गणित अंतिम चरण में पहुंचेगा। सत्ता की सीट तक पहुंचने के लिए दोनों ही गठबंधन घेराबंदी में जुट गए हैं। संभावित खरीद-फरोख्त या कहें हॉर्स ट्रेडिंग से बचने के लिए बाड़ेबंदी की रणनीति पर काम शुरू हो गया है।
सरकार के गठन की प्रक्रिया को 26 नवंबर से पहले पूरा करना है। इससे पहले राजनीतिक दलों के भीतर अंदरूनी खींचतान और जोड़तोड़ की कोशिशें तेज हो गई हैं।
देवेंद्र फडणवीस की सक्रियता, बीजेपी की रणनीति
बीजेपी की ओर से सरकार बनाने की कमान एक बार फिर देवेंद्र फडणवीस के हाथों में है। पार्टी ने फडणवीस के साथ वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े को इस मिशन पर लगाया है। फडणवीस ने इस बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत और भैयाजी जोशी से मुलाकात की है।
छोटे दल और निर्दलीयों पर बीजेपी की नजर
भाजपा ने सरकार बनाने के लिए निर्दलीय और छोटे दलों के नेताओं से संपर्क तेज कर दिया है। महायुति में भाजपा की प्रमुख भूमिका के बावजूद गठबंधन के भीतर शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) को दरकिनार करने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। भाजपा का यह रवैया गठबंधन के सहयोगियों के बीच अविश्वास की स्थिति पैदा कर रहा है।
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शिवकुमार मैदान में, कांग्रेस ने की बाड़ेबंदी की तैयारी
दूसरी तरफ, महाविकास अघाड़ी ने अपनी तैयारी और रणनीति को मजबूत करने के लिए कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस ने खरीद-फरोख्त के खतरे को देखते हुए अपने विधायकों की बाड़ेबंदी की योजना तैयार कर ली है। पार्टी के महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्नीथल्ला ने शिवकुमार को जिम्मेदारी दी है कि वे विधायकों को संगठित रखें और जरूरत पड़ने पर उन्हें कर्नाटक शिफ्ट करने की व्यवस्था करें।
शिवसेना (उद्धव गुट) भी सतर्क है। संजय राउत ने स्पष्ट किया कि उनके विधायक किसी भी खरीद-फरोख्त की कोशिश से सुरक्षित रहेंगे। सभी विधायकों को उनके निर्वाचन क्षेत्र से हटाकर एक सुरक्षित स्थान पर ले जाने की तैयारी की जा रही है।
सीएम पद पर दोनों गठबंधनों में खींचतान
मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों गठबंधनों में खींचतान जारी है। बीजेपी ने महायुति सरकार बनाने पर फिलहाल पूरा ध्यान केंद्रित करने का संदेश दिया है, लेकिन सीएम पद के मुद्दे पर सहयोगियों को शामिल न करने की चर्चाएं अंदरूनी कलह को उजागर कर रही हैं। शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के साथ संवाद की कमी से गठबंधन के भीतर असहमति बढ़ रही है।
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उद्धव गुट की नाराजगी आई सामने
उधर, एमवीए में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले के सीएम पद पर दिए गए बयानों ने शिवसेना (उद्धव गुट) को नाराज कर दिया है। उद्धव ठाकरे ने इन बयानों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है, लेकिन कांग्रेस आलाकमान की चुप्पी से गठबंधन में दरार गहराती दिख रही है।
समीकरण के संकेत: बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनने की ओर
महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे ज्यादा सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है। कांग्रेस दूसरे नंबर पर रह सकती है, जबकि एनसीपी में चाचा-भतीजे की आपसी खींचतान जारी रहने के आसार हैं। असली संघर्ष दोनों शिवसेना गुटों के बीच है। दोनों गुटों की परफॉर्मेंस गठबंधन की सफलता और सत्ता के समीकरणों को तय करेगी।
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