CAA पर रोक नहीं, सुनवाई जारी रहेगी

सुप्रीम कोर्ट ने आज की सुनवाई में केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (SG) ने जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तीन हफ्ते का समय दिया है।

Advertisment
author-image
Dr Rameshwar Dayal
New Update
Citizenship Amendment Act CAA supreme court central government द सूत्र the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ( supreme court) ने नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई है, लेकिन इस पर सुनवाई मंजूर कर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। इस कानून के खिलाफ 200 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई थीं। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस मांग को नहीं माना कि जब तक निर्णय नहीं हो जाता, तब तक केंद्र सरकार को आदेश दिया जाए कि वह किसी को भी नागरिकता ने दे। कोर्ट ने कहा कि उसका जो फाइनल आदेश होगा, उससे ही नागरिकता देना या न देना तय होगा। इस मसले पर अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।

20 याचिकाओं में कानून रद्द करने की मांग

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई में बनी पीठ में आज इस केस की सुनवाई हुई। केंद्र सरकार के इस कानून के खिलाफ 237 याचिकाएं लगाई गई थीं, जिनमें से 20 याचिकाओं में मांग की गई थी कि इस कानून पर रोक लगा दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने आज की सुनवाई में केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (SG) ने जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तीन हफ्ते का समय दिया है।

केंद्र सरकार की ओर से क्या कहा गया

जैसा कि तय माना जा रहा था कि यह मामला इतना बड़ा है कि उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट सभी पक्षों को सुनेगा, उसके बाद कोई निर्णय लेगा। कानून से जुड़े विशेषज्ञ यह भी मान रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट इस कानून के खिलाफ कोई आदेश जारी नहीं करने जा रहा है। और हुआ भी ऐसा ही। अगली सुनवाई पर जाकर बात खत्म हो गई। इससे पहले सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह कानून किसी की भी नागरिकता नहीं छीन रहा है, जिसे लेकर भ्रामक दावे किए जा रहे हैं।  

नई नागरिकता न देने पर कोर्ट ने क्या कहा

कोर्ट को जानकारी दी गई कि इस कानून में वर्ष 2014 से पहले देश में आए लोगों को ही नागरिकता दी जा रही है। उसके बाद आए किसी नए शरणार्थी को नहीं। याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र के जवाब देने तक नई नागरिकता नहीं दी जाए। ऐसा कुछ होता है तो हम फिर कोर्ट आएंगे। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अगर इस दौरान किसी को नागरिकता दे भी दी जाती है तो वो इस मसले पर कोर्ट के फैसले पर निर्भर होगी। कोर्ट का कहना था कि सरकार को स्टे पर जवाब देने के लिए दो अप्रैल तक का समय दिया जाता है। उस पर आठ अप्रैल तक एफिडेविट फाइल किया जा सकता है। हम 9 अप्रैल को सुनवाई से पहले जरूरी बातों को सुन लेंगे।

नॉर्थ ईस्ट के राज्यों पर अलग से नोट

सुनवाई के दौरान नॉर्थ ईस्ट के राजय असम और त्रिपुरा से जुड़ी याचिकाओं पर भी चर्चा हुई। एक याचिका में कहा गया कि एक नियम कहता है कि यह कानून असम के कुछ ट्राइबल एरिया में लागू नहीं किया जा सकता है। मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में नहीं लागू किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि इस पर अलग-अलग नोट दिया जाए। इस कानून का विरोध करने वाले जिन संगठनों, नेता आदि ने कोर्ट में याचिका लगाई है, उनमें आईयूएमएल, असम के कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया, असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (एक क्षेत्रीय छात्र संगठन), डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) आदि शामिल हैं। दूसरी ओर केंद्र सरकार का कहना दावा है कि इस कानून को ठोक-बजाकर लाया गया है।

यह भी पढ़ें:-

केंद्र सरकार से क्या चाहते हैं वांगचुक

बिहार एनडीए में सीट बंटवारे पर बवाल

असम और त्रिपुरा CAA नागरिकता संशोधन कानून Supreme Court