कांग्रेस ने एक बार फिर सेबी (SEBI) प्रमुख माधबी पुरी बुच ( Madhabi Puri Buch ) पर हमला बोला है। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने माधबी पुरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं और उनसे जुड़े इस मामले की तुलना शतरंज के खेल से की है। इससे पहले कांग्रेस ने माधबी पुरी पर सेबी की ऑल टाइम सदस्य होते हुए भी आईसीआईसीआई बैंक ( ICICI BANK ) समेत तीन जगह से वेतन लेने का आरोप लगाया था। आपको बता दें कि मामले में कांग्रेस ने सेबी (SEBI) प्रमुख से उनके इस्तीफे की मांग की है।
SEBI चीफ पर कांग्रेस का हल्ला बोल
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि, हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, माधबी पुरी बुच और ICICI बैंक से सवाल पूछे थे। अब इस शतरंज के खेल के एक मोहरे यानी ICICI बैंक का खुलासे पर जवाब आया है। उन्होंने कहा कि जब माधबी बुच ICICI से रिटायर हुईं तो उन्हें 2013-14 में उन्हें 71.90 लाख रुपए की ग्रेच्युटी मिली और 2014-15 में उन्हें 5.36 करोड़ रुपए रिटायरमेंट कम्यूटेड पेंशन भी मिली। खेड़ा ने कहा कि अगर 2014-15 में माधबी पुरी बुच और ICICI के बीच सेटलमेंट हो गया था और 2015-16 में उन्हें ICICI से कुछ नहीं मिला तो फिर 2016-17 में पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई?
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वेतन से अधिक पेंशन लेने का लगाया आरोप
पवन खेड़ा ने सेबी (SEBI) प्रमुख माधबी पुरी को वेतन से अधिक पेंशन लेने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अब अगर साल 2007-2008 से 2013-14 तक की माधबी पुरी बुच की औसत सैलरी निकाली जाए तो जब वह ICICI में थीं तो वह करीब 1.30 करोड़ रुपए थी, लेकिन उनकी पेंशन का औसत 2.77 करोड़ रुपए है। खेड़ा ने बताया कि 2016-17 में माधबी की 2.77 करोड़ रुपए की पेंशन तब फिर से शुरू हुई थी जब वह सेबी (SEBI) की ऑल टाइम सदस्य बन चुकी थीं। उन्होंने मामले पर सवाल करते हुए कहा कि ऐसी कौनसी नौकरी है जिसमें पेंशन... वेतन से ज्यादा मिलती है। खेड़ा ने इस पूरे मामले पर सेबी (SEBI) प्रमुख से जवाब मांगा है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इस पर सेबी प्रमुख माधबी जवाब देंगी कि 2016-17 में तथाकथित पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई थी?
कांग्रेस के आरोपों पर ICICI बैंक का पलटवार
कांग्रेस के आरोपों को आईसीआईसीआई बैंक ने सिरे से नकार दिया है। बैंक ने अपने एक बयान में कहा है कि सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच अक्टूबर, 2013 में ही बैंक से सेवानिवृत्त हो गई थीं और उसके बाद उन्हें कोई वेतन भुगतान नहीं किया गया है। बैंक ने बताया कि आईसीआईसीआई बैंक या इसकी समूह कंपनियों ने सेबी (SEBI) प्रमुख को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उनके सेवानिवृत्ति लाभों के अलावा कोई वेतन नहीं दिया है और न ही कोई ईएसओपी नहीं दिया है।
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इससे पहले पवन खेड़ा ने सेबी (SEBI) प्रमुख माधबी पुरी बुच को शतरंज के खेल का मोहरा बताते हुए कहा था कि सेबी एक रेग्युलेटर है। मध्य वर्गीय और हम सब जहां पैसा लगाते हैं उस मार्केट को रेग्युलेट करने की जिम्मेदारी सेबी की है। सेबी चेयरपर्सन को कौन नियुक्त करता है। सेबी अध्यक्ष को नियुक्त करने वाली एसीसी में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री हैं। उन्होंने कहा था कि माधबी पुरी बुच सेबी (SEBI) की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम ICICI बैंक से ले रही थीं जो कि 16.80 करोड़ रुपए थी और खेड़ा ने यह भी आरोप लगाया था कि माधबी ICICI प्रूडेंशियल, ESOP और ESOP का TDS भी ICICI बैंक से ले रही थीं। उन्होंने इस पूरे मामले को SEBI के सेक्शन-54 का उल्लंघन बताया था।
सेबी प्रमुख का विवादों से पुराना नाता
बता दें कि कुछ दिन पहले आई अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग की सनसनीखेज रिपोर्ट में दावा गया था कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल पुरी की हिस्सेदारी उन विदेशी कंपनियों में है जो अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी है। वहीं, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में किए गए दावों को माधबी पुरी बुच ने नकारा था।