यदि आप भी उन लोगों में से हैं जो पराठा या अन्य खाने के साथ मुफ्त ग्रेवी की उम्मीद करते हैं, तो अगली बार जब ग्रेवी न मिले तो हैरान न हों। कोच्ची में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हाल ही में फैसला सुनाया है कि ग्रेवी का मुफ्त में न मिलना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ग्रेवी नहीं मिली तो ये सर्विस में कमी नहीं मानी जाएगी।
मामला क्या था?
शिकायतकर्ता ने बताया कि वह अपने एक दोस्त के साथ बाहर खाने गया था और पराठा और बीफ फ्राई ऑर्डर किया। लेकिन उसे ग्रेवी नहीं दी गई। जब उसने इसका कारण पूछा तो रेस्तरां के मैनेजर और मालिक ने बताया कि ग्रेवी देना उनकी नीति के खिलाफ है।
इसके बाद शिकायतकर्ता ने स्थानीय आपूर्ति अधिकारी के सामने शिकायत दर्ज कराई। अधिकारी ने जाकर निरीक्षण किया और पुष्टि की कि यह रेस्तरां ग्रेवी नहीं देता, बल्कि सूखे मसाले या मेवे के साथ पराठा परोसता है।
शिकायत पर आयोग का ये फैसला
शिकायतकर्ता ने उपभोक्ता आयोग में याचिका दायर कर एक लाख रुपये का मुआवजा, 10,000 रुपये कानूनी खर्च और रेस्तरां के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। परंतु आयोग ने पाया कि शिकायतकर्ता ने ऑर्डर की गई वस्तुओं की गुणवत्ता, मात्रा या सुरक्षा पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
वह केवल मुफ्त ग्रेवी की अनुपस्थिति को लेकर असंतुष्ट था, जो न तो ऑर्डर में शामिल थी और न ही उसके लिए कोई शुल्क लिया गया था। इसलिए आयोग ने कहा कि मुफ्त ग्रेवी न देना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सर्विस में कमी नहीं माना जा सकता।
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उपभोक्ता अधिकारों की सीमा भी जरूरी समझें
उपभोक्ता अधिकार (Consumer Rights) तभी लागू होते हैं जब किसी उत्पाद या सेवा में स्पष्ट रूप से वादा किया गया हो। किसी सेवा की गुणवत्ता, सुरक्षा, मात्रा या दाम से जुड़ी गड़बड़ी ही शिकायत का आधार बन सकती है। किसी ऐसी चीज़ के न मिलने पर, जिसकी पेशकश ही नहीं की गई थी, उपभोक्ता आयोग हस्तक्षेप नहीं करता।
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उपभोक्ता कहां और कैसे करें शिकायत?
स्थानीय उपभोक्ता फोरम: जिला या राज्य स्तर पर आयोग में शिकायत दर्ज की जा सकती है।
ऑनलाइन माध्यम: National Consumer Helpline (NCH) और e-Daakhil पोर्टल से ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं।
सीधी शिकायत: पहले संबंधित विक्रेता या सेवा प्रदाता से शिकायत करें, समाधान न मिलने पर आयोग का रुख करें।
वेबसाइट: consumerhelpline.gov.in
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