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Photograph: (the sootr)
केंद्र सरकार एक ओर तो संसद में 130वां संविधान संशोधन विधयेक पेश कर पीएम, सीएम या मंत्री के विरुद्ध पद से हटाने की कार्रवाई का कानून बनाने जा रही है, दूसरी और देश के विधायकों और सांसदों के आपराधिक रिकार्ड और इनके आंकडे़ भी चाैंकाने वाले हैं।
देश में चुनावों के लिए काम करने वाले एनजीओ एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (ADR) की रिपोर्ट है कि देश में 45 प्रतिशत विधायक और 46 प्रतिशत सांसदों पर आपराधिक मामले चल रहे है। इन आंकड़ों ने देश की राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले जनप्रतिनिधियों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई है। इधर इस रिपोर्ट में पहले नंबर पर पश्चिम बंगाल है, वहीं आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर है।
विधायकों और सांसदों पर आपराधिक मामले
देशभर में 45% विधायकों और 46% सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस तथ्य ने राजनीति और लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि भारतीय राजनीति में आपराधिक प्रवृत्तियों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
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महिला अपराधों में पश्चिम बंगाल सबसे आगे
महिलाओं से जुड़े अपराधों की बात करें, तो पश्चिम बंगाल सबसे आगे है। यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है क्योंकि राज्य में लगातार बढ़ते अपराधों ने राज्य सरकार और कानून व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर है, जहां महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हो रही है। इन दो राज्यों के बारे में कहा जा सकता है कि यहां कानून का पालन ठीक से नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण अपराधियों को जल्द न्याय नहीं मिल पा रहा है।
सांसद-विधायकों के आपराधिक रिकार्ड की रिपोर्ट को ऐसे समझेंसांसद-विधायक पर आपराधिक मामले: भारत में 45% विधायकों और 46% सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें 29% गंभीर मामलों का सामना कर रहे हैं। महिलाओं से जुड़े अपराध में पश्चिम बंगाल का स्थान: महिलाओं से जुड़े अपराधों में पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर है, इसके बाद आंध्र प्रदेश का नंबर है। विधायकों पर बढ़ते आपराधिक मामलों की संख्या: पिछले 15 वर्षों में सांसदों पर आपराधिक मामलों का प्रतिशत 16% बढ़ा है, और 2024 तक यह आंकड़ा 46% तक पहुंच गया है। 130वां संविधान संशोधन बिल 2025: इस विधेयक के तहत यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री 30 दिन से अधिक समय तक आपराधिक मामले में जेल में रहते हैं, तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा। आपराधिक प्रवृत्तियां और सुधार की आवश्यकता: इस बढ़ते आंकड़े से यह स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति में आपराधिक प्रवृत्तियों पर काबू पाने के लिए सुधार की आवश्यकता है। |
केरल-तेलंगाना में सबसे ज्यादा दागी विधायक
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, दागी या आपराधिक पृष्ठभूमि वाले विधायकों के मामले में पहले स्थान पर देश का सबसे पढ़ा-लिखा राज्य केरल है, जहां 69 प्रतिशत विधायकों पर सामान्य या गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस सूची में दूसरे स्थान पर तेलंगाना है, जहां भी 69 प्रतिशत विधायकों पर मामले चल रहे हैं।
तीसरे स्थान पर बिहार है, जहां 66 प्रतिशत विधायक किसी न किसी आपराधिक मामले में शामिल हैं। इसके बाद देश के विकसित राज्यों में शामिल महाराष्ट्र है, जहां 65 प्रतिशत विधायकों पर मामले दर्ज हैं। 50 से 59 प्रतिशत के बीच तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक, झारखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
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राज्य | सामान्य अपराध वाले विधायक (%) | गंभीर अपराध वाले विधायक (%) |
---|---|---|
केरल | 69% | 25% |
तेलंगाना | 69% | 50% |
बिहार | 66% | 49% |
महाराष्ट्र | 65% | 41% |
तमिलनाडु | 59% | 25% |
ओडिशा | 58% | 45% |
कर्नाटक | 55% | 32% |
झारखंड | 54% | 45% |
उत्तर प्रदेश | 50% | 38% |
15 साल में 16% बढ़ें आपराधिक मामले
भारत में 15 साल में सांसदों पर आपराधिक मामलों का प्रतिशत 16% बढ़ा है। 2009 में सांसदों पर आपराधिक मामले 30% थे, और 14% पर गंभीर मामले दर्ज थे। फिर 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर एक-तिहाई (33%) हो गया। 2019 में यह आंकड़ा 43% पहुंच गया, और अब 2024 के चुनावों के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 46% हो गया है। इस वृद्धि से साफ है कि समय के साथ संसद और विधानसभा में आपराधिक प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं।
वर्ष | आपराधिक मामले वाले सांसद | गंभीर आपराधिक वाले कुल सांसद |
---|---|---|
2009 | 30% | 14% |
2014 | 34% | 21% |
2019 | 43% | 29% |
2024 | 46% | 31% |
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