RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, भारत का इतिहास तोड़ा-मरोड़ा गया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले (Dattatreya Hosabole) ने ‘इंडिया’ के बजाय ‘भारत’ कहने की वकालत की। उन्होंने कहा कि संविधान में भी ‘कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ भारत’ (Constitution of Bharat) लिखना चाहिए।

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Jitendra Shrivastava
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dattatreya-hosabole Photograph: (thesootr)

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले सोमवार को 'विमर्श भारत का' पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि अपने देश को इंडिया नहीं, भारत कहना चाहिए। इसे ठीक करना पड़ेगा। देश को दो नामों से क्यों जाना जा रहा है? इसे ठीक करना ही पड़ेगा। भारत है, तो भारत ही कहो। होसबोले ने कहा- क्या भारत एक जमीन का टुकड़ा है? या संविधान से चलने वाला केवल एक भारत? केवल ऐसा नहीं है, भारत एक जीवन दर्शन है, आध्यात्मिक प्रतिभूत है। विश्व को संदेश देने वाला विश्वगुरु है।

भारत केवल जमीन का टुकड़ा नहीं...

नोएडा में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि हमारे देश को इंडिया नहीं, भारत कहा जाना चाहिए। भारत एक आध्यात्मिक जीवन दर्शन है, केवल जमीन का टुकड़ा नहीं। जी-20 सम्मेलन के दौरान ‘रिपब्लिक ऑफ भारत’ लिखा गया, यह सही दिशा में कदम है। सरकारी संस्थानों में ‘इंडिया’ के बजाय ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल हो। होसबोले ने सवाल उठाया कि ‘कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया’ क्यों लिखा जाता है? इसे ‘कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ भारत’ होना चाहिए।

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भारत में शिक्षा का समृद्ध इतिहास रहा: होसबोले  

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि पहले के दशकों में भारत की वैज्ञानिक और गणितीय उपलब्धियों को नजरअंदाज किया गया। इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया और बताया गया कि भारत सिर्फ एक कृषि प्रधान देश है। भारत में प्राचीन काल से व्यापार, उद्योग और शिक्षा का समृद्ध इतिहास रहा है।  

बाहरी आक्रांताओं ने संस्कृति को किया नष्ट   

दत्तात्रेय ने आरोप लगाया कि बाहरी आक्रांताओं (foreign invaders) ने भारत के धार्मिक स्थलों को नष्ट किया। हमारी शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने की साजिश रची गई। भारतीय समाज को कमजोर करने के लिए पश्चिमी विचारधाराओं को बढ़ावा दिया गया।  

संस्कृति और राष्ट्रीय पहचान पर जोर

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि भारत में हजारों पंथ और संस्कृतियों का समावेश है। हमारे पूर्वजों ने संस्कृति और परंपरा की रक्षा के लिए संघर्ष किया। भारत में कभी भी आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक मूल्यों का पतन नहीं हुआ। 

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हमें सत्य लिखना और बोलना है

 होसबोले ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत के बारे में झूठे नैरेटिव (false narratives) को खत्म करना जरूरी है। बौद्धिक संघर्ष में सत्य की खोज और उसकी स्थापना होनी चाहिए। भारत की वास्तविक पहचान को पुनः स्थापित करने की जरूरत है।  

दत्तात्रेय होसबोले और RSS में योगदान

  • जन्म: 1 दिसंबर 1954, शिमोगा, कर्नाटक  
  • RSS से जुड़ाव: 1968 में संघ से जुड़े  
  • शिक्षा: बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएशन  
  • संघ प्रचारक: 1978 से संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बने  
  • ABVP का नेतृत्व: इमरजेंसी के दौरान 14 महीने जेल में रहे  
  • RSS के सह-सरकार्यवाह: 2009-2021  
  • RSS के सरकार्यवाह: 2021 से वर्तमान तक  

 

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