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इसी मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ये साफ किया है कि, स्कूलों में छात्रों के लिए स्मार्टफोन पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके उपयोग को कंट्रोल और मॉनिटरिंग में रखा जाना चाहिए। ऐसे में स्मार्टफोन के एथिकल यूज के बारे में छात्रों को शिक्षित किया जाएगा और स्कूलों को माता-पिता और शिक्षकों के काउन्सलिंग से एक क्लियर पॉलिसी बनानी होगी।
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छात्र स्कूल में स्मार्टफोन ला सकते हैं
बता दें कि, दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय के एक नाबालिग छात्र के स्मार्टफोन के साथ मिसयूज के मामले की सुनवाई के समय यह निर्णय दिया। कोर्ट ने कहा कि स्कूलों को छात्रों के स्मार्टफोन के उपयोग को लेकर एक क्लियर पॉलिसी बनानी चाहिए ताकि इसके दुरुपयोग को रोका जा सके। कोर्ट ने यह भी माना कि स्मार्टफोन का पूर्ण प्रतिबंध व्यावहारिक नहीं है। क्योंकि यह माता-पिता और बच्चों के बीच संपर्क बनाए रखने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में जरूरी भूमिका निभाता है।
स्कूल में मोबाइल को लेकर दिशा-निर्देश
- स्मार्टफोन पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं होंगे, लेकिन स्कूल इसकी निगरानी करेगा।
- छात्रों को स्कूल में प्रवेश करते समय अपने फोन जमा करने होंगे और घर जाते समय वापस लेने होंगे।
- स्मार्टफोन का उपयोग केवल सुरक्षा और समन्वय के लिए किया जा सकता है, मनोरंजन के लिए नहीं।
- कक्षा में स्मार्टफोन का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा ताकि पढ़ाई में कोई बाधा न आए।
- स्कूल के कॉमन एरिया और स्कूल वाहनों में भी कैमरा और रिकॉर्डिंग का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा।
- स्कूलों को छात्रों को डिजिटल शिष्टाचार और स्मार्टफोन के नैतिक उपयोग के बारे में शिक्षित करना होगा।
- स्कूलों को स्मार्टफोन उपयोग की नीति को माता-पिता, शिक्षकों और विशेषज्ञों के परामर्श से तैयार करना चाहिए।
- स्मार्टफोन के दुरुपयोग पर निष्पक्ष और पारदर्शी अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।
- अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत छात्रों को कुछ समय के लिए स्मार्टफोन स्कूल लाने से रोका जा सकता है।
- तेजी से बदलती तकनीक को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को अपनी नीति की नियमित समीक्षा और संशोधन करना होगा।
mobile policy in schools Photograph: (thesootr.com)
स्कूलों में स्मार्टफोन की जरूरत क्यों
आपको बता दें कि, दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी माना कि स्मार्टफोन सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि कई पॉजिटिव ओब्जेक्टिवेस की सप्लाई भी करते हैं। इनमें सबसे जरूरी माता-पिता और बच्चों के बीच संपर्क बनाए रखना है, जिससे छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, आजकल स्मार्टफोन का उपयोग कई शैक्षिक उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है, जैसे कि ऑनलाइन स्टडी मटेरियल एक्सेस करना और महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करना।
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स्मार्टफोन का अनुचित उपयोग नहीं
हाईकोर्ट ने इस मुद्दे को भी गंभीरता से लिया और माना कि स्मार्टफोन का अनुचित उपयोग स्कूलों में अनुशासन बिगाड़ सकता है। विशेष रूप से, कक्षा में स्मार्टफोन का उपयोग पढ़ाई में बाधा डाल सकता है। इसके अलावा, स्कूलों में साइबर बुलिंग, गोपनीयता भंग (breach of confidentiality) होने और अन्य अनुशासनात्मक समस्याओं का भी खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए, स्मार्टफोन को कक्षा में उपयोग करने से रोकने और स्कूल के भीतर उसके दुरुपयोग पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है।
नई नीति से छात्रों को क्या लाभ होगा
इस नई नीति से यह सुनिश्चित होगा कि छात्रों को स्मार्टफोन की जरूरत और अनुशासन दोनों का संतुलन बना रहे। इससे छात्रों को जरूरत के समय स्मार्टफोन का उपयोग करने की अनुमति मिलेगी, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इसका दुरुपयोग न हो। साथ ही, स्कूल भी स्मार्टफोन की निगरानी कर पाएंगे और सुनिश्चित कर सकेंगे कि यह कक्षा के अनुशासन को प्रभावित न करे।
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