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No Cost EMI:दिवाली का त्योहार आ रहा है और सब लोग शॉपिंग में लग गए हैं। नए टीवी, स्मार्टफोन, लैपटॉप और दूसरे गैजेट्स खरीदने का ये सही समय है।
ऐसे में नो-कॉस्ट EMI का ऑफर बहुत टेम्पटिंग लगता है क्योंकि लगता है कि हम बिना किसी एक्स्ट्रा पैसे दिए महंगे सामान खरीद सकते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि क्या यह ऑफर वाकई 'नो-कॉस्ट' है?
बिजनेस स्टैण्डर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऑफर के पीछे एक बड़ा सच छिपा है। कंपनियां इंटरेस्ट को अलग से नहीं दिखातीं बल्कि उसे प्रोडक्ट की असल कीमत में ही जोड़ देती हैं। आपको लगता है कि आप बिना ब्याज के शॉपिंग कर रहे हैं पर असल में आप बढ़ी हुई कीमत चुका रहे होते हैं।
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क्या है नो-कॉस्ट EMI
नो-कॉस्ट EMI एक ऐसा तरीका है जिसमें आप किसी भी चीज़ की कीमत को हर महीने की किस्तों में चुका सकते हैं और आपको कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं देना पड़ता।
यह उन लोगों के लिए बेस्ट है, जो एक साथ बड़ी रकम खर्च नहीं करना चाहते। लेकिन कोई भी बैंक या कंपनी आपको फ्री में पैसा नहीं देती।
जब आप नो-कॉस्ट EMI चुनते हैं, तो जो ब्याज आपको देना होता है वो बैंक को कंपनी या दुकानदार की तरफ से दिया जाता है। इसका मतलब है कि प्रोडक्ट की कीमत में ही वह ब्याज शामिल होता है। आइए, इसे एक उदाहरण से समझते हैं- मान लीजिए आप एक लाख का स्मार्टफोन 12 महीने की EMI पर लेना चाहते हैं।
नॉर्मल EMI (12% ब्याज): आपको हर महीने करीब 8 हजार 8 सौ 85 रुपए देने होंगे और कुल मिलाकर आप एक लाख छह हजार छह सौ 19 रुपए चुकाएंगे। यानी 6 हजार 6 सौ 19 रुपए का एक्स्ट्रा ब्याज।
नो-कॉस्ट EMI: आपको हर महीने 8,333.33 रुपए देने होंगे और कुल भुगतान एक लाख ही होगा। यहां कोई एक्स्ट्रा ब्याज नहीं लगता।
आपको लगेगा कि नो-कॉस्ट EMI बहुत अच्छी डील है लेकिन यहीं असली खेल शुरू होता है। जो प्रोडक्ट इस EMI पर मिलता है, उसकी कीमत अक्सर उन लोगों के लिए कम होती है जो एक साथ पूरा पैसा देते हैं।
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इन बातों का ध्यान रखें
दिवाली (Diwali) शॉपिंग से पहले इन 3 बातों को ध्यान में रखें, वरना आपका बजट बिगड़ सकता है:
प्रोसेसिंग फीस और GST :
नो-कॉस्ट EMI में ब्याज तो नहीं होता, लेकिन कई बार बैंक या कार्ड कंपनियां प्रोसेसिंग फीस लेती हैं।
यह फीस एक फिक्स्ड अमाउंट या कुल लेनदेन का एक छोटा हिस्सा हो सकती है।
इस फीस पर 18% GST भी लगता है।
तो, भले ही ब्याज (क्रेडिट कार्ड) का बोझ न हो लेकिन ये छिपे हुए चार्जेस आपकी जेब पर भारी पड़ सकते हैं।
डिस्काउंट का नुकसान:
Amazon और Flipkart जैसे बड़े ऑनलाइन स्टोर्स अक्सर कैश डिस्काउंट या स्पेशल ऑफर देते हैं लेकिन ये ऑफर ज्यादातर एकमुश्त भुगतान पर ही मिलते हैं।
अगर आप नो-कॉस्ट EMI चुनते हैं तो आप इन डिस्काउंट से चूक सकते हैं।
इसलिए खरीदने से पहले यह जरूर देखें कि क्या एक साथ पेमेंट करने पर कोई बड़ा डिस्काउंट मिल रहा है।
चुनिंदा प्रोडक्ट्स पर ही ऑफर:
हर प्रोडक्ट पर नो-कॉस्ट EMI का ऑप्शन नहीं होता।
यह सुविधा अक्सर कुछ खास ब्रांड्स, चुनिंदा प्रोडक्ट्स या कुछ बैंकों के क्रेडिट/डेबिट कार्ड पर ही मिलती है।
अगर आपके पास उस बैंक का कार्ड नहीं है, तो यह ऑफर आपके किसी काम का नहीं है।
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सही EMI कैसे चुनें?
कैलकुलेट करें:
खरीदने (Online Shopping, ऑनलाइन शॉपिंग) से पहले, नॉर्मल EMI और नो-कॉस्ट EMI दोनों के कुल खर्च की तुलना करें।
इसमें प्रोसेसिंग फीस और डिस्काउंट को भी शामिल करें।
ऑफर्स की तुलना करें:
अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर प्रोडक्ट की कीमत और EMI विकल्पों को देखें।
दिवाली शॉपिंग के दौरान कई ऑफर्स आते हैं, जिनका फायदा उठाया जा सकता है।
जरूरत को समझें:
क्या आपको वाकई उस प्रोडक्ट की जरूरत है?
अगर आप सिर्फ EMI की वजह से खरीदारी कर रहे हैं, तो रुकें और अपने बजट को दोबारा जांचें।
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