रिवर्स बिडिंग माॅडल से डाॅक्टरों ने बोली लगाकर तय किया अपना वेतन, झारखंड को मिले 120 डाॅक्टर
रोहतक में डॉक्टरों ने रिवर्स बिडिंग मॉडल के जरिए अपना वेतन तय किया। इससे उनके वेतन में मनमाफिक वृद्धि मिली है, जो पहले तय सरकारी वेतन से कहीं अधिक है। यह योजना अब दूसरे राज्य भी अपना रहे है।
अस्पतालों में डाॅक्टरों की कमी को दूर करने के लिए झारखंड सरकार ने एक नई पहल की है। झारखंड सरकार ने रिवर्स बिडिंग सिस्टम की सहायता से अस्पतालों के लिए चिकित्सकों की नियुक्ति की है। यह पहला मौका था जब देश में रिवर्स बिडिंग माॅडल पर डाॅक्टरों ने खुद अपने वेतन की बोली लगाकर वेतन तय किया। इस नए प्रयोग से जहां चिकित्सकों को उनके मनमाफिक वेतन मिला, वहीं फील्ड में काम करने के लिए सरकार को 120 चिकित्सक भी मिले। सभी चयनित डाॅक्टरों को नियुक्ति प्रमाण पत्र भी दिए गए।
रांची के आईपीएच सभागार में लगी वेतन की बोली
झारखंड के शासकीय अस्पतालों में नियुक्ति के लिए रांची के नामकुम स्थित आईपीएच सभागार में स्वास्थ्य मंत्री डाॅ इमरान अंसारी ने डाॅक्टरों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। नियुक्ति पत्र से पहले चिकित्सकों ने रिवर्स बिडिंग सिस्टम के माध्यम से अपने वेतन के लिए बोली लगाई।
इस बोली मेें चिकित्सकों को 69 हजार से लेकर तीन लाख रुपए तक वेतन प्राप्त हुआ। फील्ड व ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने के इच्छुक 25 डाॅक्टरों को औसतन तीन लाख तक सैलरी के रूप में मिले। 50 डाॅक्टरों को दो लाख 75 हजार रुपए महीना तक वेतन तय किया गया। इसी प्रकार 15 डाॅक्टरों ने 70 हजार से एक लाख के बीच बोली लगाकर अपना वेतन तय किया।
रांची में बिडिंग से तय हुई नियुक्तियों में वेतन या बोली घटते क्रम में लगाई गई। यहां जो चिकित्सक शहरी क्षेत्र से जितनी दूर पोस्टिंग पर गया, उसे उतना ही ज्यादा वेतन दिया गया। वेतन निर्धारण के लिए अधिकतम बोली 3 लाख तय की गई थी।
ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टिंग पर गए डाॅक्टर को 2.75 से 3 लाख रुपए तक वेतन मिला। इस बिडिंग में सबसे अधिक नुकसान में शहरी क्षेत्रों में पोस्टिंग लेने वाले डाक्टर रहे, उन्हें मात्र 69 हजार से एक लाख रुपए के बीच वेतन मिल पाया।
रिवर्स बिडिंग मॉडल एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें विक्रेता (या सेवा प्रदाता) कीमतें घटाते हैं, और सबसे कम बोली लगाने वाला विक्रेता चयनित होता है। यह पारंपरिक नीलामी प्रक्रिया के ठीक विपरीत है, जहां खरीदार कीमतें बढ़ाते हैं। रिवर्स बिडिंग में खरीदार वह सेवा या उत्पाद खरीदता है, जिसकी कीमत सबसे कम हो।
इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य यह है कि विक्रेता अपने उत्पाद या सेवा को सबसे कम कीमत पर देने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, ताकि वे व्यवसाय को जीत सकें। यह खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए लाभदायी होती हैं।
रिवर्स बिडिंग मॉडल का महत्व (Importance of Reverse Bidding Model)
खर्च में कमी: रिवर्स बिडिंग मॉडल का मुख्य लाभ यह है कि इससे सरकारी खर्चे में कमी आती है, क्योंकि सरकारी सेवा प्रदाता अपनी बोली घटाते हैं।
स्पष्टता: बोली प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता है और यह सुनिश्चित करता है कि केवल सबसे कम कीमत देने वाले सेवा प्रदाता को चुना जाए।
कुशल सेवा: क्योंकि विक्रेता को अपनी सेवाएं कम कीमत पर देने के लिए मजबूर किया जाता है, इसलिए यह सुनिश्चित करता है कि सेवा की गुणवत्ता बनाए रखी जाए।
उत्तरप्रदेश भी अपनाएगा रिवर्स बिडिंग माॅडल
उत्तर प्रदेश के जिला अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी में डाॅक्टरों की कमी लगातार बनी हुई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में ही एक हजार से अधिक पद खाली पडे़ हुए है। प्रदेश सरकार इस कमी को पूरा करने के लिए अब झारखंड सरकार की तर्ज पर रिवर्स बिडिंग माॅडल से चिकित्सकों की नियुक्ति करने जा रही है।
इसके तहत किसी अस्पताल, सीएचसी या पीएचसी में नियुक्ति के लिए डाॅक्टर खुद अपने वेतन की बोली लगाएंगे। इस बिडिंग में अधिकतम वेतन 5 लाख रुपए महीना तय किया गया है। इस भर्ती के लिए 5 अगस्त से आनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। इस भर्ती प्रक्रिया में डाॅक्टर(Doctor) खुद अपना वेतन तय करेंगे।