डोनाल्ड ट्रम्प के नए फैसलों से टैरिफ युद्ध की आशंका, जानें टैरिफ और इसका दुनिया पर असर

चीनी वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ के जवाब में चीन अगले सोमवार से अमेरिकी कोयले और एलएनजी पर 15% टैरिफ लगाएगा। इसके अलावा, कच्चे तेल, कृषि उपकरण और कुछ ऑटो पर 10 फीसदी टैरिफ लागू किया जाएगा...

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Jitendra Shrivastava
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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार के फैसलों से पूरी दुनिया में टैरिफ (शुल्क) युद्ध जैसी स्थिति बन रही है। भारत पर भी इसका असर हो सकता है। हालांकि, अभी भारत इसे एक अवसर के रूप में देख रहा है। चीन पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाने से अब चीनी वस्तुएं अमेरिका में महंगी हो जाएंगी। इसका मतलब यह है कि अब दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध का नया दौर शुरू हो गया है।

ट्रंप का ट्रेड वॉर का नया अध्याय

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन के साथ व्यापार युद्ध ( ट्रेड वॉर ) छेड़ दिया है। दो दिन पहले ट्रंप ने चीन से आने वाले उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाने का आदेश दिया था। इसके जवाब में चीन भी अमेरिकी कोयला, एलएनजी जैसे उत्पादों पर टैरिफ लगाने जा रहा है। इसके अलावा, कच्चे तेल, कृषि उपकरण, और बड़ी गाड़ियों पर भी शुल्क बढ़ाने की घोषणा की गई है।  

ट्रेड वॉर का असर पूरी दुनिया पर  

इसका मतलब यह है कि अब दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध का नया दौर शुरू हो गया है। यह स्थिति दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (इकोनॉमी) के बीच टकराव को दिखाएगी। ऐसा ही कुछ ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी देखने को मिला था। अब यह देखना होगा कि चीन किस तरह से इस चुनौती का सामना करता है।

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टैरिफ (Tariff) क्या होता है?

टैरिफ एक प्रकार का आयात कर (Import Tax) है, जो किसी भी देश में दूसरे देश से सामान मंगाने (Imported) पर लगाया जाता है। इससे दूसरे देश का सामान महंगा हो जाता है और स्थानीय उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनने का मौका मिलता है।

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 टैरिफ वॉर (Tariff War) क्या है?

टैरिफ वॉर एक ऐसी स्थिति होती है, जब दो या इससे अधिक देश एक-दूसरे के प्रॉडक्ट पर आयात शुल्क (Tariff) बढ़ा देते हैं। इसका उद्देश्य दूसरे देश के उत्पादों को महंगा बनाकर अपने देश के प्रॉडक्ट्स को बढ़ावा देना होता है। इसे व्यापार युद्ध (Trade War) का हिस्सा माना जाता है।

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टैरिफ वॉर के कारण...

  • व्यापार घाटा (Trade Deficit): जब एक देश दूसरे देश से ज्यादा सामान आयात करता है, तो उसे व्यापार में घाटा होता है। इस तरह के टैरिफ बढ़ाकर इस घाटे को कम करने की कोशिश की जाती है।
  • रक्षा नीति (Protectionism): कुछ देश अपनी अर्थव्यवस्था और स्थानीय उद्योगों को विदेशी सामान को आयात से बचाने के लिए टैरिफ बढ़ाते हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय विवाद: जब दो या इससे अधिक देशों के बीच राजनीतिक या आर्थिक विवाद होते हैं, तो टैरिफ वॉर शुरू हो सकता है।

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टैरिफ वॉर का असर...

  1. उपभोक्ताओं पर: आयात किया गया सामान महंगा हो जाता है, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।
  2. निर्यात में कमी: जब एक देश आयात शुल्क (Import Tax) बढ़ाता है, तो जवाब में दूसरा देश भी निर्यात पर शुल्क बढ़ा देता है। इससे निर्यातक (Exporters) प्रभावित होते हैं।
  3. आर्थिक मंदी (Economic Slowdown): व्यापार में घाटा होने से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है।
  4. स्थानीय उद्योगों को लाभ: विदेशी सामान महंगा होने से स्थानीय उद्योगों को अपने प्रॉडक्ट बेचने का अधिक मौका मिलता है।

टैरिफ वॉर की ऐतिहासिक घटनाएं...

  1. अमेरिका-चीन टैरिफ वॉर (2018): अमेरिका ने चीन से आयातित उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाया। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिया। इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ा।
  2. भारत-पाकिस्तान व्यापार विवाद: भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार व्यापारिक तनाव के चलते टैरिफ बढ़ाए गए हैं।

टैरिफ वॉर को ऐसे रोक सकते हैं...

  1. राजनयिक वार्ता (Diplomatic Negotiations): देश आपसी बातचीत के माध्यम से विवादों को सुलझा सकते हैं।
  2. व्यापार समझौते (Trade Agreements): दो देशों के बीच व्यापारिक अनुबंध (Trade Deals) करके टैरिफ वॉर से बचा जा सकता है।
  3. विश्व व्यापार संगठन (WTO) का हस्तक्षेप: WTO विवादों को सुलझाने में मदद करता है और सदस्य देशों को नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।
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