महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने अपने चर्चित बयान "मुझे हल्के में मत लो, तांगा पलट देंगे" को दोहराते हुए विपक्ष और गठबंधन के भीतर अपने आलोचकों को सख्त संदेश दिया है। नागपुर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह साफ किया कि उनके बयान को जिसे समझना था, वह समझ गया। यह टिप्पणी उद्धव ठाकरे गुट के लिए थी या गठबंधन में नाराज नेताओं के लिए, इसे लेकर चर्चा तेज़ हो गई है।
"मुझे हल्के में मत लो, तांगा पलट देंगे"– शिंदे ने फिर दोहराया बयान
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर अपने बयान से राजनीतिक हलचल तेज़ कर दी है। नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं एक सामान्य पार्टी कार्यकर्ता हूं, लेकिन मैं बाला साहेब और दीघे साहब का कार्यकर्ता हूं। जब 2022 में मुझे हल्के में लिया गया था, तब तांगा पलट गया और सरकार बदल गई। शिंदे के इस बयान को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चाएं तेज हो गई हैं। उन्होंने कहा कि वह अपना काम जारी रखेंगे और जो समझना चाहता है, वह समझ सकता है।
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शिंदे का इशारा किस ओर था?
जब उनसे पूछा गया कि यह बयान किसके लिए है, तो उन्होंने सीधे किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेतों में ही बहुत कुछ कह दिया।
- गठबंधन में नाराज नेताओं हाल के दिनों में गठबंधन में देवेंद्र फडणवीस और शिंदे गुट के बीच असहमति की खबरें आई हैं।
- उद्धव ठाकरे गुट- महादजी शिंदे अवॉर्ड को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने सीधे उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा।
महादजी शिंदे अवॉर्ड पर क्यों नाराज हैं उद्धव गुट?
एकनाथ शिंदे को हाल ही में "महादजी शिंदे अवॉर्ड-राष्ट्र गौरव सम्मान" से नवाजा गया, जिसे शरद पवार ने दिया था, लेकिन इस सम्मान को लेकर उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से आलोचना की गई थी।
इस पर शिंदे ने कहा कि यह सम्मान मुझे शरद पवार साहब ने दिया। फिर भी इस पर जलन हो रही है। न सिर्फ मेरी आलोचना की गई, बल्कि शरद पवार और साहित्यकारों का भी अपमान किया गया।" शिंदे ने यह भी कहा कि इस मुद्दे में गृह मंत्री अमित शाह का नाम भी बिना वजह घसीटा गया।
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गठबंधन में अंदरूनी खटपट: महाराष्ट्र की महायुति सरकार बनने के बाद से ही यह चर्चा है कि शिंदे और फडणवीस गुट में सब कुछ ठीक नहीं है।
- शिंदे गुट की नाराजगी : वे बीजेपी में अपनी भूमिका को और मजबूत करना चाहते हैं।
- फडणवीस की नाराजगी : पिछले कुछ दिनों से वे कई अहम बैठकों से दूर रहे हैं।
शिंदे का यह बयान इसी अंदरूनी राजनीति का संकेत देता है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।