उत्तरप्रदेश के एटा जिले में मात्र छह समोसे में जांच रिपोर्ट बदलने का आरोप एक पुलिस अधिकारी पर लगा है। यह मामला एक 14 वर्षीय नाबालिग के रेप से जुड़ा बताया जा रहा है। इस मामले में पुलिस जांच अधिकारी ने छह समोसे की रिश्वत लेकर फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी।
इस मामले में न तो गवाहों के बयान लिए गए न ही पीड़िता के बयान को तवज्जो दी गई। विशेष पॉक्सो कोर्ट के जज नरेंद्र पाल राणा ने मामले के सामने आने पर पुलिस जांच अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने अंतिम रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया है।
छह साल पहले हुआ था नाबालिग से खेत में रेप
जानकारी के अनुसार उत्तरप्रदेश के एटा जिले के जलेसर थाना क्षेत्र का है। यहां एक 14 वर्षीय नाबालिग के साथ आरोपी वीरश नामक व्यक्ति ने गेहूं के खेत में ले जाकर दुष्कृत्य की घटना को अंजाम दिया था। घटना के समय दो ग्रामीणों ने आरोपी को रोकने की कोशिश भी की थी, लेकिन वह जान से मारने की धमकी देकर मौके से फरार हो गया था।
पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस शुरू से ही मामले को दबाने का प्रयास कर रही है। पहले तो एफआईआर दर्ज करने से मना किया, मजबूरन कोर्ट के आदेश के बाद मामला दर्ज करना पड़ा।
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छह समोसे लेकर रफादफा कर दिया मामला
पीड़िता के पिता ने इस मामले में कोर्ट को बताया कि पुलिस जांच अधिकारी ने मात्र छह समोसे आरोपी से रिश्वत के रूप में लेकर फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी। पुलिस ने 30 सितंबर 2024 को सबूतों के अभाव में मामले को बंद करने की रिपोर्ट दी।
फाइनल रिपोर्ट से पहले न तो गवाहों के बयान पुलिस ने दर्ज किए न ही पीड़िता के बयानों की गंभीरता से जांच की गई। पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट में दावा किया कि पीड़िता ने केवल समोसे उधार न देने पर दुष्कृत्य का झूठा मामला दर्ज करवा दिया था।
कोर्ट ने खारिज की पुलिस की रिपोर्ट
विशेष पाॅक्सो कोर्ट के जज नरेंद्र पाल राणा ने इस मामले में कठोर टिप्पणी करते हुए पुलिस की फाइनल रिपोर्ट खारिज कर दी। कोर्ट ने अपने आदेश में इस मामले की सुनवाई अब सीधे न्यायालय के अधीन करने के आदेश दिए। अब इस मामले में पुलिस केवल सहायक की भूमिका में रहेगी। कोर्ट के इस निर्णय से अब पीड़िता को न्याय मिलने की एक नई उम्मीद दिखाई देने लगी है। साथ ही पुलिस की लापरवाही व कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठ रहे है।
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पुलिस पर सवाल
इस मामले में कोर्ट ने पुलिस की संवेदनशीलता पर सवाल उठाए है। कोर्ट ने कहा कि मात्र छह समोसे की रिश्वत लेकर दुष्कृत्य जैसे गंभीर मामले को नजर अंदाज करना पुलिसिंग पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। ऐसे मामलों से पुलिस अधिकारियों की संवेदनशीलता पर सवाल खडे़ होते है।
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