गुजरात में एक शख्स नकली जज बनकर गांधीनगर में बने अपने ऑफिस में नकली अदालत चला रहा था। आरोपी का नाम मॉरिस सैमुअल बताया जा रहा है। बताया गया कि बतौर ऑर्बिट्रेटर नकली जज मॉरिस ने अरबों रुपए की करीब 100 एकड़ सरकारी जमीन अपने नाम कर ऑर्डर पारित किए। गौर करने वाली बात यह है कि करीब पांच साल से यह फर्जी जज कोर्ट चला रहा था।
पहले भी हो चुका था मुकदमा दर्ज
बताया गया कि नकली जज मॉरिस शहर के इंदिरा नगर आवासीय योजना के मकान में रहता था, यहीं उसने ऑफिस बनाया था। अहमदाबाद पुलिस ने मॉरिस को नकली जज बनकर लोगों को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किया है। बताया गया कि 2015 में नकली जज मॉरिस सैमुअल के खिलाफ गांधीनगर के मणिनगर थाने में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज की गई थी।
साथी कोर्ट में वकील बनकर खड़े रहते थे
नकली जज के साथी कोर्ट में वकील बनकर खड़े होते थे, जिससे कार्रवाई असली लगे। जिनके जमीनी विवाद के केस सिविल कोर्ट में पेंडिंग थे मॉरिस उन लोगों को फंसाता था। वह खुद को कोर्ट से नियुक्त किया गया आधिकारिक मध्यस्थ बताता था। वह अपने मुवक्किलों से उनके मामले को सुलझाने के लिए फीस के तौर पर कुछ पैसा लेता था। वह उनको गांधीनगर स्थित अपने ऑफिस बुलाता था, जिसे अदालत की तरह डिजाइन किया गया था।
11 से ज्यादा ऑर्डर पारित
बताया गया कि नकली जज मॉरिस कोर्ट में दलीलें सुनता और ट्रिब्यूनल के अधिकारी के रूप में आदेश पारित करता था। उसके साथी कर्मचारी या वकील के रूप में अदालत में खड़े रहते थे, जिससे यह लगे कि अदालत की कार्रवाई असली है। आरोपी मॉरिस 11 से ज्यादा मामलों में ऑर्डर पारित कर चुका था।
कैसे आया पकड़ में
2019 में आरोपी जज ने अपने मुवक्किल के पक्ष में एक आदेश पारित किया था। मामला जिला कलेक्टर के अधीन एक सरकारी जमीन से जुड़ा था। उसके मुवक्किल ने इस पर दावा किया और पालडी इलाके की जमीन के लिए सरकारी दस्तावेजों में अपना नाम दर्ज करवाने की कोशिश की। मॉरिश ने अपने आदेश को लागू करने के लिए दूसरे वकील से सिविल कोर्ट में अपील की। इसमें उसने वही आदेश लगाया जो उसने जारी किया था। कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई को पता चला कि मॉरिस न तो मध्यस्थ है और न ही आदेश असली है। हार्दिक ने करंज पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद नकली जज मॉरिश की फर्जी अदालत का भंडाफोड़ किया गया। वहीं नकली जज मॉरिस ने कहा कि उसे सरकार ने मध्यस्थ बनाया है।
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2023 में भी आया था ऐसा एक मामला
गुजरात में इससे पहले 2023 में खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का वरिष्ठ अधिकारी बताने वाले किरण पटेल का मामला भी सुर्खियों में आया था। इस मामले में भी अहमदाबाद पुलिस ने 22 मार्च को किरण पटेल और उसकी पत्नी मालिनी के खिलाफ केस दर्ज किया था। इन लागों ने एक बंगला रेनोवेशन कराने के नाम पर लिया था और बाद में फर्जी कागजात लगाकर उस पर कब्जा कर लिया।
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किरण पटेल बताता था PMO का एडिशनल डायरेक्टर
बताया गया कि किरण पटेल खुद को प्राइम मिनिस्टर ऑफिस यानी PMO का एडिशनल डायरेक्टर बताता था। इतना ही नहीं किरण पटेल Z+ सिक्योरिटी, बुलेटप्रूफ SUV के साथ चलता था। गिरफ्तारी के बाद आरोपी पटेल ने बताया था कि केंद्र सरकार ने उसे दक्षिण कश्मीर में सेब के बागान खरीदने वालों की पहचान करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
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