फिरोजपुर, पंजाब में स्थित एयरफोर्स की हवाई पट्टी के मामले में एक बड़ी धोखाधड़ी सामने आई है, जिसमें पांच लोगों ने जालसाजी करके 15 एकड़ भूमि को अपने नाम करवा लिया। यह एयर स्ट्रिप, जो पाकिस्तान सीमा के निकट स्थित है, का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना ने 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान किया था। मामले का पता तब चला जब फिरोजपुर के रिटायर्ड कानूनगो निशान सिंह ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसके बाद, कोर्ट ने विजिलेंस ब्यूरो को मामले की जांच सौंपी और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया।
हवाईपट्टी का जाली दस्तावेजों से नामांतरण
रिटायर्ड कानूनगो निशान सिंह ने अपनी याचिका में यह बताया कि यह जमीन 1937-38 से भारतीय वायुसेना के कब्जे में रही थी और इसका नामांतरण कई जाली दस्तावेजों के माध्यम से किया गया। उनके अनुसार, इस भूमि का उपयोग किसी भी हालत में बेचा नहीं जा सकता था, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हुई थी। निशान सिंह ने आरोप लगाया कि वायुसेना के अधिकारियों ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही ने इस धोखाधड़ी को जन्म दिया।
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वायुसेना की कार्रवाई
वायुसेना के अधिकारियों ने जब स्थानीय राजस्व विभाग से इस धोखाधड़ी के मामले में कोई मदद नहीं पाई, तो उन्होंने पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को 24 फरवरी 2024 को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि 1997 में पांच जाली सेल-डीड्स के माध्यम से वायुसेना की भूमि का नामांतरण किया गया। इस भूमि का अब उपयोग किसी भी प्रकार के निजी उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता था।
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फिरोजपुर में प्रशासन की भूमिका
मामला तब और बढ़ा जब 2008 में आरोपियों ने इस भूमि के मालिकाना हक को लेकर सिविल कोर्ट में मामला दायर किया। कोर्ट में इन आरोपियों ने दावा किया कि वे 1997 से इस जमीन पर काबिज हैं और सेना को इसे खाली करने का आदेश दिया जाए। लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर गहरी नाराजगी जताई और फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर की निष्क्रियता को गैरमुलायम बताया।
सरकारी कार्यवाही
इस मामले के बाद फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर दीपशिखा शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लिया और वायुसेना को सहयोग प्रदान किया। प्रशासन ने रेवेन्यू रिकॉर्ड को दुरुस्त किया और एयर स्ट्रिप को फिर से सेना के नाम पर चढ़ाया। इसके साथ ही, आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए पुलिस को आदेश भी दिए गए।
इंडियन एयरफोर्स