अधिकारियों का अनोखा कारनामा : कागजों पर बसाया फर्जी गांव, हड़पे लाखों रुपए

पंजाब से हैरान करने मामला सामने आया है है। यहां सरकारी अधिकारियों ने कागजों पर एक ऐसा गांव बनाया जो असल में मौजूद ही नहीं है, लेकिन इस गांव के विकास पर 43 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। गूगल मैप्स पर भी इस गांव का कोई अस्तित्व नहीं है।

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Vikram Jain
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firozpur fake village scam 45 lakh hadap rtI expose
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आपने अभी तक फर्जीवाड़े और घोटाले के कई मामले सुने और देखें होंगे... लेकिन पंजाब के फिरोजपुर से सामने आए मामले ने सभी को हैरान कर दिया है। अधिकारियों का कांड सुनकर हर कोई सन्न है। यहां सरकारी अधिकारियों ने बड़ा फर्जीवाड़ा कर कागजों में फर्जी गांव बसा दिया। इसके बाद इस गांव के नाम से केंद्र सरकार से मिली 45 लाख की राशि हड़प ली। इसके साथ ही उन्होंने गांव की सूरत बदलने के लिए कागजों पर ही विकास कार्य करवा दिए। अब सालों बाद सरकारी बाबुओं के इस कांड का खुलासा आरटीआई से हुआ है। अब मामले में फिरोजपुर जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं।

फर्जी गांव बसाकर लाखों की हेराफेरी

जानकारी के अनुसार, फिरोजपुर जिले के सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने कथित तौर पर मिलीभगत कर फिरोजपुर सीमा पर स्थित गांव 'नई गट्टी राजो के' के नाम पर कागजों पर फर्जी गांव बसा दिया। अधिकारियों ने कागजों में 'न्यू गट्टी राजो के' बसा दिया। इसके बाद कागजों में ही इस फर्जी गांव का विकास कार्य शुरू किया गया। विकास परियोजनाओं के लिए 43 लाख रुपए से ज्यादा की राशि मंजूर कर दी गई। फिर फाइलों में बसाए गए इस नए गांव के विकास के नाम पर केंद्र सरकार से मिली 45 लाख रुपए की राशि (ग्रांट) भी निकलवा ली। पूरा मामला एडीसी विकास कार्यालय में सामने आया है।

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कैसे हुआ खुलासा?

मीडिया रिपोर्ट्स के फिरोजपुर जिले का यह मामला करीब 7 साल पहले का है। साल 2019 में आरटीआई कार्यकर्ता ने इस फर्जीवाड़े की भनक लगी तो उसने आरटीआई डाली और संबंधित विभाग से जानकारी मांगी। लेकिन जानकारी देने के बजाय उसे जान से मार डालने की धमकियां दी जाने लगी। फिर भी उसने हार नहीं मानी। अब सालों बाद अब आरटीआई से जानकारी सामने आई तो सभी होश उड़ गए। आरटीआई में सामने आया कि उस समय के बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों ने कागजों पर गांव बसाया और कागजों में ही विकास कार्य किए। तब पता चला कि न्यू गट्टी राजो की नाम के अलग पंचायत बनाई गई है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार की मिली 45 लाख रुपए भी हड़प लिए।

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फर्जी गांव में विकास कार्य

जांच में खुलासा हुआ कि इस गांव का कोई अस्तित्व नहीं है। असली गट्टी राजो की गांव के लिए 80 मनरेगा जॉब कार्ड बनाए गए थे, जबकि फर्जी गांव के लिए 140 कार्ड बने। असली गांव में 35 विकास से जुड़े कार्य किए गए, जबकि कागजों पर फर्जी गांव में 55 काम दर्ज किए गए। इनमें बांध की सफाई, स्कूल पार्क, सड़क, पशु शेड और इंटरलॉकिंग टाइल्स से जुड़े कार्य शामिल हैं।

आरटीआई से खुलासे के बाद शिकायत

आरटीआई एक्टिविस्ट और ब्लॉक समिति के सदस्य गुरदेव सिंह ने इस घोटाले को उजागर किया है। गुरदेव सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि अधिकारियों ने लाखों की हेराफेरी करने के लिए फर्जी गांव बनाया और उसके विकास कार्यों के लिए लाखों की राशि का घोटाला किया। इन कागजों को ऑफिस की फाइलों में दबा दिया गया। अब सालों बाद सच्चाई सामने आई है। गुरदेव सिंह ने आगे कहा कि आरटीआई के खुलासे के बाद उन्होंने पूर्व डिप्टी कमिश्नर फिरोजपुर से मामले में शिकायत की, लेकिन अधिकारी का तबादला हो गया और जांच अधूरी रह गई। 

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न्यू गट्टी नाम से कोई गांव नहीं

भ्रष्टाचार का इस अजीबोगरीब मामले के सामने आने सभी हैरान है। ग्रामीणों का कहना है कि कि फिरोजपुर में 'नई गट्टी राजो के' नाम का गांव तो है, लेकिन 'न्यू गट्टी' नाम से कोई गांव नहीं है। और ना ही गांव में किसी प्रकार के विकास कार्य किए गए हैं। मामले में एडीसी डेवलपमेंट लखविंदर सिंह रंधावा ने कहा कि इस मामले में जांच जारी है। जो भी अधिकारी या कर्मचारी इस फर्जीवाड़े में शामिल होंगे खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 
फिरोजपुर की डिप्टी कमिश्नर दीपशिखा शर्मा ने इस मामले में रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने कहा कि दोषी अधिकारिों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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