सनातन गृह निर्माण समिति का फर्जीवाड़ा: जीडीआर में नाम नहीं, फिर भी रजिस्ट्री

ग्वालियर में सनातन गृह निर्माण सहकारी समिति का नाम जीडीआर (GDR) में दर्ज नहीं है, फिर भी संपत्तियों की रजिस्ट्री हो रही है। यह फर्जीवाड़ा खरीदारों को कानूनी जाल में फंसा सकता है।

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Sandeep Kumar
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ग्वालियर में सनातन गृह निर्माण सहकारी समिति को लेकर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस सहकारी समिति का नाम सरकारी जीडीआर (GDR) में मौजूद नहीं है, फिर भी इसके आवंटन पत्रों के आधार पर संपत्तियों की रजिस्ट्री की जा रही है। मामले ने ना केवल खरीदारों को असमंजस में डाल दिया है, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

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क्या है पूरा मामला, ऐसे समझिए

शहर में भू-माफिया गतिविधियां लगातार सामने आ रही हैं। इनमें सनातन गृह निर्माण सहकारी समिति के नाम पर फर्जीवाड़ा किए जाने की बात सामने आ रही है। यह समिति वर्षों से आवंटन पत्र के जरिए रजिस्ट्री करवा रही है, जबकि इसका नाम ग्वालियर विकास प्राधिकरण (GDA) के रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं है। जानकारी के अनुसार, यह समिति 2004 में ही बंद हो चुकी है। समिति का पंजीकरण समाप्त होने के बावजूद, इसके नाम पर संपत्तियां बेची जा रही हैं। शिकायतें यह भी हैं कि समिति के दस्तावेज़ों का उपयोग करके कई संपत्तियां बेची जा चुकी हैं, जिससे खरीदारों को भविष्य में कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

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ग्वालियर विकास प्राधिकरण का बयान

ग्वालियर विकास प्राधिकरण (GDA) के सीईओ, सरोश भगत, ने स्पष्ट किया कि सनातन गृह निर्माण सहकारी समिति का नाम GDA के रिकॉर्ड में नहीं है। उन्होंने कहा, “हमने समिति का जीडीआर रिकॉर्ड चेक किया है और पाया कि यह समिति अधिकृत नहीं है। इसके आवंटन पत्रों के आधार पर हो रही रजिस्ट्री पूरी तरह अवैध है। जल्द ही इसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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खरीदारों की चिंता और प्रशासन की निष्क्रियता

इस मामले से जुड़े खरीदारों ने आरोप लगाया है कि उन्हें समिति के नाम पर झूठे आश्वासन देकर संपत्तियां बेची गईं। कई खरीदारों ने प्रशासनिक स्तर पर शिकायत की है, लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
इसके अलावा, प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। एक ओर जहां आवंटन पत्र से हो रही रजिस्ट्रियों की वैधता पर प्रश्नचिन्ह है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने अब तक इन रजिस्ट्रियों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

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समिति से जुड़े प्रबंधन का पक्ष

समिति के प्रबंधन से जुड़े लोगों ने खुद को इन आरोपों से अलग बताया है। उनके अनुसार,
“समिति का कामकाज अब बंद हो चुका है। लेकिन यदि इसके नाम का दुरुपयोग हो रहा है, तो इसकी जांच करवाई जानी चाहिए।” हालांकि, उनके इस बयान ने मामले को और उलझा दिया है क्योंकि रजिस्ट्री से संबंधित प्रक्रिया अभी भी जारी है।

प्रशासनिक कार्रवाई और खरीदारों की उम्मीद

इस मामले को लेकर प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। ग्वालियर विकास प्राधिकरण का कहना है कि जल्द ही दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। भविष्य की चुनौतियां: खरीदारों को अपनी संपत्तियों के वैध होने का प्रमाण देने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। कानूनी समाधान: यदि रजिस्ट्रियां अवैध साबित होती हैं, तो खरीदारों को अदालत का सहारा लेना पड़ सकता है।

समिति के नाम का दुरुपयोग किया

यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और फर्जीवाड़े का बड़ा उदाहरण है। एक ओर जहां भू-माफिया ने समिति के नाम का दुरुपयोग किया है, वहीं प्रशासन का देर से जागना भी चिंताजनक है। खरीदारों को चाहिए कि वे संपत्ति खरीदने से पहले उसकी वैधता और प्राधिकरण से जुड़े दस्तावेज़ों की अच्छे से जांच करें।

FAQ

सनातन गृह निर्माण सहकारी समिति का नाम GDA में क्यों नहीं है?
समिति 2004 में बंद हो चुकी है और इसका नाम GDA के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है।
क्या रजिस्ट्री अवैध मानी जाएगी?
हां, आवंटन पत्र के आधार पर हो रही रजिस्ट्रियां पूरी तरह अवैध मानी जा सकती हैं।
प्रशासन ने क्या कदम उठाए हैं?
प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
खरीदारों को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
संपत्ति खरीदने से पहले उसके सभी दस्तावेजों की गहन जांच और वैधता सुनिश्चित करनी चाहिए।
यह मामला खरीदारों पर कैसे असर डालेगा?
खरीदारों को कानूनी जटिलताओं और संपत्तियों की वैधता साबित करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।


 

 

 

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