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नई दिल्ली.
जॉब्स के बदलते स्वरूप और तकनीकी विकास के बीच भारतीय कंपनियां अब हायरिंग के नए मॉडल की ओर बढ़ रही हैं। विश्व आर्थिक मंच (WEF) की ताजा रिपोर्ट 'फ्यूचर ऑफ जॉब्स 2025' के अनुसार, भारत में एक तिहाई कंपनियां अब इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स की डिग्री की अनिवार्यता खत्म कर रही हैं। उनका फोकस नॉलेज बेस्ड हायरिंग पर है। आसान भाषा में यह कि कंपनियां अब सिर्फ डिग्री के आधार पर भर्ती करने के बजाय स्किन और नॉलेज को प्राथमिकता दे रही हैं। वैश्विक स्तर पर 47 प्रतिशत कंपनियां पहले ही इस मॉडल को अपना चुकी हैं।
यह रिपोर्ट 20 से 25 जनवरी 2025 के बीच दावोस में WEF की वार्षिक बैठक से पहले जारी की गई है। यह देश में रोजगार को लेकर उपजी चिंताओं के बीच नई उम्मीद जगाती है। WEF रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक दुनियाभर में 17 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी, लेकिन साथ ही 9.2 करोड़ नौकरियां खत्म हो सकती हैं। यानी कुल मिलाकर 7.8 करोड़ नई नौकरियां जुड़ेंगी।
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स्किल्स की मांग बढ़ी
रिपोर्ट बताती है कि भारत में तेजी से बदलते इंडस्ट्री ट्रेंड के कारण कंपनियां AI, रोबोटिक्स, डेटा साइंस, क्लाउड कंप्यूटिंग और साइबर सिक्योरिटी जैसी टेक्नोलॉजी पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। कंपनियों का मानना है कि कॉलेज में पढ़ाई जाने वाली पारंपरिक डिग्री इन नई तकनीकों की जरूरतों को पूरी तरह से कवर नहीं कर पा रही है। लिहाजा, निजी कंपनियां अब ऐसे टैलेंट को हायर कर रही हैं, जो इन क्षेत्रों में नॉलेज और स्किल रखते हैं।
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बड़ी कंपनियों की क्या है रणनीति?
रिपोर्ट के अनुसार, 35 फीसदी भारतीय कंपनियां मानती हैं कि सेमीकंडक्टर और एडवांस्ड कंप्यूटिंग तकनीक उनके बिजनेस में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। वहीं, 21 प्रतिशत कंपनियां क्वांटम कंप्यूटिंग और एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी अपनाने की योजना बना रही हैं। वैश्विक तुलना में भारत की कंपनियां तेजी से डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की ओर बढ़ रही हैं।
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AI और नई नौकरियों में बढ़ोतरी
भारत और अमेरिका में AI टेक्नोलॉजी की सबसे ज्यादा मांग देखी जा रही है। अमेरिका में यह मांग व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं से प्रेरित है, जबकि भारत में यह बदलाव कॉरपोरेट सेक्टर के जरिए आ रहा है। WEF रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बड़े डेटा एक्सपर्ट, AI एवं मशीन लर्निंग विशेषज्ञ और साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स की मांग तेजी से बढ़ रही है।
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भारत बनेगा वर्कफोर्स का बड़ा केंद्र
रिपोर्ट के अनुसार, भारत और सब-सहारा अफ्रीका आने वाले वर्षों में वैश्विक स्तर पर दो-तिहाई नए कामगारों की आपूर्ति करेंगे। विकसित देशों में बढ़ती उम्र और भारत जैसे देशों में युवा आबादी की अधिकता से वैश्विक श्रम बाजार पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। वर्ष 2050 तक अनुमान है कि कम आय वाले देशों का योगदान वैश्विक वर्कफोर्स में 59% तक बढ़ सकता है।
कौन सी नौकरियां बढ़ेंगी और कौन सी घटेंगी?
- बढ़ने वाली नौकरियां: सॉफ्टवेयर डेवलपर, डेटा साइंटिस्ट, हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट, डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट।
- कम होने वाली नौकरियां: कैशियर, डेटा एंट्री ऑपरेटर, प्रशासनिक सहायक।
स्किल गैप बना सबसे बड़ी चुनौती
रिपोर्ट के मुताबिक, अगले कुछ वर्षों में जॉब मार्केट में 40 प्रतिशत स्किल्स बदलने वाले हैं। 63 फीसदी कंपनियों का मानना है कि सही स्किल वाले प्रोफेशनल्स मिलना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिए कंपनियां अब अपस्किलिंग और रीस्किलिंग प्रोग्राम्स में निवेश कर रही हैं, ताकि कर्मचारियों को नए टेक्नोलॉजी ट्रेंड्स के अनुसार तैयार किया जा सके।
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