Ganesh Chaturthi 2024 : कृष्ण जन्माष्टमी के बाद गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami 2024 ) सोमवार 26 अगस्त को है तो वहीं गणेश चतुर्थी शनिवार 7 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त बुद्धि और समृद्धि के देवता भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दौरान भक्त दस दिवसीय गणेशोत्सव (Ganesh Utsav 2024) के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना करते हैं। आइये जानते हैं गणेश स्थापना शुभ मुहूर्त, महत्व और इसका इतिहास...।
गणेश चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि प्रारंभः 6 सितम्बर 2024 को दोपहर 3:1 बजे
समापन समयः 7 सितम्बर 2024 को शाम 5:37 बजे
गणेश चतुर्थीः शनिवार 7 सितम्बर 2024 को
पूजा मुहूर्तः सुबह 11:3 बजे से दोपहर 1:33 बजे
अवधिः 2 घंटे 29 मिनट्स
गणेश विसर्जनः मंगलवार 17 सितम्बर 2024 को
एक दिन पूर्व, वर्जित चन्द्रदर्शन का समयः दोपहर 3:1 बजे से 6 सितंबर रात 8:20 बजे तक
अवधिः 5 घंटे 20 मिनट्स
वर्जित चन्द्रदर्शन का समयः सुबह 9:23 बजे से रात 8:51 बजे तक
अवधिः11 घंटे 29 मिनट
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गणेश उत्सव का महत्व
भगवान गणेश की कृपा: गणेश उत्सव के 10 दिनों के दौरान भगवान गणेश पृथ्वी पर निवास करते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। उनकी पूजा से घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य आता है।
विघ्नहर्ता: गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, अर्थात वे सभी बाधाओं को दूर करते हैं। इसलिए किसी भी नए कार्य की शुरुआत गणेश पूजन से की जाती है।
धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव: गणेश उत्सव न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने का भी एक अवसर है। विभिन्न समुदायों के लोग मिलकर इस पर्व को मनाते हैं।
प्रसिद्धता: महाराष्ट्र, गोवा, और तेलंगाना जैसे राज्यों में यह पर्व विशेष रूप से लोकप्रिय है, जहां बड़े-बड़े पंडालों में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है और धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है।
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गणेश उत्सव का इतिहास
गणेश उत्सव की शुरुआत मराठा साम्राज्य के समय से मानी जाती है, खासकर छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल से। शिवाजी महाराज ने अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर इस उत्सव की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य सनातन संस्कृति को बचाना था।
ब्रिटिश शासन के दौरान जब धार्मिक उत्सवों पर प्रतिबंध लगा दिया गया, तब भी गणेश उत्सव को समाज में जागरूकता फैलाने और लोगों को एकजुट करने के उद्देश्य से लोकमान्य तिलक ने पुनर्जीवित किया। साल 1892 में पहली बार सार्वजनिक गणेश प्रतिमा की स्थापना भाऊ साहब जावले द्वारा की गई थी, जिसके बाद यह पर्व एक सामूहिक उत्सव के रूप में बदल गया।
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गणेश विसर्जन की परंपरा
गणेश चतुर्थी के 10 दिनों बाद गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसमें कहा जाता है कि महाभारत की रचना के दौरान गणेश जी ने लगातार 10 दिनों तक लिखन कार्य किया था, जिससे उन पर धूल-मिट्टी की परतें जम गई थीं। इन्हीं परतों को साफ करने के लिए गणेश जी ने सरस्वती नदी में स्नान किया था। तभी से गणेश विसर्जन की परंपरा की शुरुआत हुई, जिससे गणेश जी को विदाई दी जाती है।
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