क्या गौतम गंभीर की आक्रामकता उनकी राजनीति में आड़े आ रही है ?

बीजेपी नेता और पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद गौतम गंभीर ने राजनीतिक जिम्मेदारियां छोड़ने की बात कही है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उन्होंने कहा है कि मैं क्रिकेट पर फोकस करना चाहता हूं।

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Sandeep Kumar
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राजनैतिक दायित्वों से मुक्त चाहते सांसद गौतम गंभीर

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डॉ. रामेश्वर दयाल@ DELHI

क्रिकेट (Cricket) की दुनिया में आक्रामक खिलाड़ी और राजनीतिक क्षेत्र में ‘हरफनमौला’ नेता गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने बड़े ही विस्मयकारी तरीके से राजनीति की दुनिया में विदाई की घोषणा कर दी है। पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी के वर्तमान सांसद गंभीर ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी है कि वह अपने राजनीतिक दायित्वों से मुक्त होना चाहते हैं। बड़ी बात यह है कि देश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (BJP) विजय रथ पर सवार है, ऐसे में उनके चुनाव न लड़ने की घोषणा ने सबको हैरानी में डाल दिया है। गंभीर के इस ‘हृदय परिवर्तन’ के पीछे कुछ ठोस कारण हैं। उनकी हमेशा से अपने क्षेत्र के पार्टी नेताओं से लगातार तकरार रही है, दूसरे राजनीति में जरूरत पड़ने के बावजूद उन्होंने क्रिकेट कमेंटरी को तरजीह दी है। 

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दिग्गजों को हराकर सांसद बने थे गौतम

भारतीय क्रिकेट टीम के तेजतर्रार ओपनर रहे गंभीर दिल्ली के एक बड़े कपड़ा कारोबारी के बेटे हैं। उनकी उग्रता शुरू से ही उजागर होती रही है। क्रिकेट मैचों में वह जब-तब विरोधी खिलाड़ियों से उलझते रहे हैं। अपने दौर में पाकिस्तानी प्लेयर शाहीद अफरीदी व कामरान अकमल से ग्राउंड में हुए झगड़े ने उनकी एक अलग ही छवि बना दी थी। उन्होंने संदेश दिया था कि वह अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसी छवि को देखते हुए बीजेपी आलाकमान (BJP High Command) ने दिल्ली के इस छोरे को पिछले लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से प्रत्याशी बनाया था। उन्होंने दिल्ली कांग्रेस (Congress) के वर्तमान अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली (Arvinder Singh Lovely) व वर्तमान में ही दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की मंत्री आतिशी (Atishi) को बड़े अंतराल से हराकर ‘कमल’ खिला दिया था। अब अचानक ही उन्होंने अपने नेताओं से चुनाव न लड़ने सहित राजनैतिक दायित्वों से मुक्त करने की गुजारिश कर दी है। 

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राजनीतिक दायित्वों से मुक्ति चाहते हैं सांसद गौतम गंभीर

गौतम गंभीर ने सोशल मीडिया हैंडल X (पूर्व में Twitter) पर लिखा है कि मैंने पार्टी के आदरणीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी से विनती की है कि वे मुझे राजनीतिक दायित्वों से मुक्त करें ताकि मैं आने वाली क्रिकेट प्रतिबद्धताओं पर ध्यान दे सकूं। मैं अपने सेवा का अवसर देने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी का हार्दिक धन्यवाद करता हूं। जय हिंद! इनके इस संदेश ने राजनैतिक गलियारों में अचानक ही सनसनी पैदा कर दी है और कहा जा रहा है कि जब देश में BJP विजय रथ पर सवार है, फिर भी वह राजनीति छोड़ने की बात क्यों कर रहे हैं। इस मसले पर अगर हम गौतम का पिछले पांच साल का राजनैतिक कॅरियर देखें तो इसका जवाब मिल सकता है। 

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नेता के बावजूद क्रिकेट से है गौतम की दीवानगी !

दिल्ली में बीजेपी के नेता बताते हैं कि गौतम गंभीर शुरू से ही तुनकमिजाज रहे हैं। वह शुरू से ही सार्वजनिक समारोह में कम शिरकत करते थे। खास बात यह थी कि उन्होंने अपने इलाके में लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए एक मजबूत टीम बना रखी थी, लेकिन क्षेत्र के पार्टी नेताओं से बेहद कम अपनापन रखते थे। राजनीति में जिस धैर्य और कथित अपनेपन की जरूरत होती है, गंभीर उससे दूर ही रहते थे। उनकी कई बार पार्टी नेताओं से तकरार की खबरें भी जब तब उजागर होती रहती थीं लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। दूसरी यह बात भी थी कि गौतम की क्रिकेट को लेकर प्रतिबद्धता बेहद गंभीर थी। ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं, जब दिल्ली में उनकी जरूरत थी, लेकिन वह देश-विदेश में क्रिकेट कमेंटरी कर रहे होते थे। खास बात यह भी है कि नेता बनने के बावजूद वह क्रिकेट को ही अपनी प्राथमिकता बताते थे। 

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क्या कट रहा है गौतम का टिकट?

कहा यह भी जा रहा है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में गौतम का टिकट कट सकता है क्योंकि उनका मिजाज आज की राजनीति से मेल नहीं खाता है। हवा यह भी उड़ी कि बीजेपी आलाकमान ने चुनाव को लेकर जो 100 सीटों पर प्रत्याशी तय कर लिए हैं, उनमें गौतम गंभीर का नाम नहीं है, इसलिए किरकिरी से बचने के लिए उन्होंने ‘विदाई गान’ सुना दिया। लेकिन सूत्र बताते हैं कि पार्टी आलाकमान ने अभी तक दिल्ली की सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर कोई चर्चा नहीं की है। आपको बता दें कि बीजेपी दिल्ली के प्रत्याशियों का चयन हमेशा अंतिम दौर में ही करती है। उसका कारण यह है कि दिल्ली की सातों सीटें बीजेपी के लिए अधिकतर सहज सुलभ रही हैं।   

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