डॉ. रामेश्वर दयाल, DELHI. लोकसभा चुनाव ( LokSabha Elections ) में बीजेपी को टक्कर देने के लिए विपक्ष के बनाए गए गठजोड़ (I.N.D.I.A.) के सुर और ताल पूरे देश में फिलहाल भले ही एक न हो पा रहे हों, लेकिन महाराष्ट्र में उसके सुर सध गए हैं। वहां पर I.N.D.I.A. से जुड़े तीन दलों के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बन गई है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही सहमति की मुहर को सील कर दिया जाएगा। सीट बंटवारे को सिरे चढ़ाने में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) ने खास रोल अदा किया है। आपको बताते चलें कि महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है, जहां पिछले दो-एक सालों में उसकी राजनीतिक गतिविधियां ‘उछल-कूद’ में रिकॉर्ड बनाती रही हैं।
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महाराष्ट्र में लोस चुनाव को लेकर MVA का समीकरण
महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में चूंकि बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन था, इसलिए इस गठजोड़ ने 41 सीटों पर कब्जा कर लिया था। लेकिन अब शिवसेना विपक्ष के नए अलायंस I.N.D.I.A. में प्रवेश कर गई है और बीजेपी से उसका नाता छत्तीस का बन गया है। इसलिए महाराष्ट्र राज्य के राजनैतिक समीकरण गड्डमड्ड हो गए हैं। अब जो नए गठबंधन के तहत सीटों का बंटवारा हुआ है, उसमें राज्य की 48 सीटों में से उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) 20 सीटों पर किस्मत आजमाएगी। कांग्रेस ने 18 सीटों पर लड़ने का समझौता कर लिया है तो राज्य के कभी मजबूत रहे नेता शरद पवार की नई पार्टी एनसीपी (शरद चंद्र पवार) 10 लोकसभा सीटों पर मान गई है। गौरतलब है कि यह तीनों पार्टियां राज्य की महाविकास अघाड़ी अलायंस ( Mahavikas Aghadi Alliance ) के तहत एकसाथ हैं।
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सीट के बंटवारे पर राजी हुए राहुल-उद्धव
बताते हैं कि राज्य में चल रही उठापटक को शांत करने में कांग्रेस के आला नेता राहुल गांधी ने प्रमुख भूमिका अदा की है और मजबूत विपक्षी पार्टी होते हुए भी उन्होंने इस राज्य में कम सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया, ताकि सुलह को बनाए रखा जाए। बताते हैं कि पिछले माह के अंत में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने उद्धव ठाकरे से सीट बंटवारे को लेकर लंबी बातचीत की थी और बीजेपी को हराने के लिए मजबूत होने पर बल दिया था। जिसके बाद उद्धव ने सीट बंटवारे पर शांति बना ली थी। बता दें कि न्याय यात्रा का समापन मुंबई में ही होना है।
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MVA में लोस सीटों को लेकर औपचारिक समझौता
वैसे सूत्र बताते हैं कि सीट नंबर को लेकर तीनों पार्टियों में औपचारिक समझौता तो हो गया है, लेकिन लोकसभा क्षेत्र को लेकर अभी आम सहमति नहीं बन पाई है। इनमें सबसे बड़ी रार मुंबई की लोकसभा सीटों पर बनी हुई है। फिलहाल देखना होगा कि इस मसले पर इन पार्टियों का क्या रुख रहता है। गौरतलब है कि इस राज्य की राजनैतिक ‘उठापटक’ ने बिहार को भी मात दे दी है। आपको संक्षिप्त में बता दें कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी शिवसेना ने मिलकर चुनाव जीता था लेकिन सीएम पद पर सहमति न बन पाने पर शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर अपनी सरकार बना ली थी। लेकिन बाद में शिवसेना और एनसीपी में फूट पड़ गई और बीजेपी ने शिवसेना के बागी दल के साथ मिलकर सरकार बना ली। बाद में एनसीपी भी बंट गया और अलग हुआ ‘असली दल’ बीजेपी की सरकार के साथ जुड़ा हुआ है।
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