डॉ. रामेश्वर दयाल @ DELHI.
देश में ट्रेनों में हुए बम धमाकों की यह करीब 30 साल पुरानी घटना है, तब बाबरी ढांचे को तोड़े जाने की पहली बरसी थी। उस दौरान कई राज्यों में ट्रेनों में सीरियल बम धमाके ( serial bomb blasts ) हुए थे और इनका मास्टर माइंड आतंकी अब्दुल करीम टुंडा ( Terrorist abdul kareem tunda ) उर्फ ‘मिस्टर बॉम्ब’ को ठहराया गया था। अजमेर की टाडा अदालत ( Tada court ) ने टुंडा को ‘विभिन्न कारणों’ से सीरियल बम ब्लास्ट ( serial bomb blasts ) से बरी कर दिया है। खास बात यह है कि जांच एजेंसियों ने टुंडा को आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का प्रमुख भी करार दिया था, लेकिन लचर जांच और सबूतों की कमी ने उस पर आतंकी होने का टैग हटा दिया। गौरतलब कि देश में इस तरह के मामले जब तब आते रहे हैं, जिनमें अभियुक्त बरी होते रहे हैं लेकिन उनका जिंदगी के महत्वपूर्ण साल जेल में की गर्क हो जाते हैं।
कब गिरफ्तार हुआ आतंकी अब्दुल करीम टुंडा ?
पहले मामले को समझ लें। साल 1993 के छह दिसंबर को कोटा, लखनऊ, कानपुर के अलावा हैदराबाद, सूरत और मुंबई में ट्रेनों में सीरियल बम धमाके हुए थे। जांच एजेंसियों ने इन धमाकों का मास्टर माइंड आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को बताया था, जो तभी से ही फरार था और आतंकी घटनाओं को अंजाम देने में लगा था। अगस्त 2013 में पुलिस ने आंतकी टुंडा को गिरफ्तार किया। इसके बाद से ही उसके खिलाफ अजमेर की टाडा कोर्ट में केस चल रहा था। गुरुवार को टाडा कोर्ट के जज महावीर प्रसाद गुप्ता ने टुंडा को सीरियल बम ब्लास्ट केस से बरी कर दिया, जबकि दो अन्य आतंकी इरफान और हमीमुद्दीन को ब्लास्ट का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
ये खबर भी पढ़िए...पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना को मंजूरी, जानें कैसे मिलेगा लाभ!
अजमेर की अदालत ने टुंडा को किया बरी
आखिर ऐसे क्या कारण थे कि इन बम धमाकों का मास्टर माइंड आसानी से बरी हो गया। इस मसले पर टुंडा के वकील शफीकतुल्ली सुल्तानी का दावा था कि सीबीआई ने टुंडा पर आरोप तो लगा दिए लेकिन वह आज तक उस पर चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर पाई है। जब अजमेर की अदालत ने अपने फैसले में टुंडा को बरी कर दिया तो उनके वकील ने बताया कि माननीय न्यायालय ने उन्हें सभी धाराओं, सभी सेक्शन और सभी एक्ट से बरी करने का फैसला सुनाया है। मीडिया से बातचीत में उनके वकील का कहना था कि सीबीआई अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ टाडा एक्ट, आईपीसी, रेलवे एक्ट, आर्म्स एक्ट, विस्फोटक अधिनियम मामले में कोई सबूत पेश नहीं कर सकी।
ये खबर भी पढ़िए...बहनें मना सकें महाशिवरात्रि इसलिए आज ही मिलेगी लाड़ली बहना की किस्त
सबूत के अभाव में छूटा आतंकी
सूत्र बताते है कि इसके अलावा और भी कारण हैं जो टुंडा का निर्दोष साबित करने के कारण बने। कोर्ट ने माना कि ट्रेनों में हुए सीरीयल बम धमाकों में टुंडा पर आपराधिक षडयंत्र में शामिल होने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं। इन धमाकों में उसकी भूमिका को भी आरोपी पक्ष स्पष्ट नहीं कर पाया है। जांच एजेंसियों का दावा था कि टुंडा ने अंसारी और अहमद को बम बनाने की ट्रेनिंग के अलावा सामग्री भी दी लेकिन उस सामग्री का विस्फोट से संबंध साबित नहीं हो सका। जांच एजेंसियां यह भी साबित नहीं कर पाईं कि लंबी दूरी की ट्रेनों में हुए बम विस्फोट में टुंडा की कोई भूमिका थी।
ये खबर भी पढ़िए...BJP की सूची में 16 Lok Sabha सीटों पर आसान जीत, 9 पर महिलाओं को टिकट