Google A I: भारत में जानलेवा बीमारियों के बचाव में करेगा मदद

इस पार्टनरशिप के बारे में गूगल ब्लॉगपोस्ट पर जानकारी साझा की गई है। इसके अनुसार अपोलो रेडियोलॉजी इंटरनेशनल हमारे एआई मॉडल को भारतीयों के बीच ले जाएगा। यह सिस्टम आगामी 10 सालों तक मुफ्त स्क्रीनिंग सुविधा उपलब्ध कराएगा।

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Dr Rameshwar Dayal
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Google AI Healthcare Apollo xray TB द सूत्र the sootr
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New Delhi. स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत में बड़ी क्रांति होने जा रही है। गूगल ( Google ) का एआई हेल्थकेयर ( AI Healthcare ) भारत में ऐसा सिस्टम ला रहा है, जो जानलेवा बीमारियों का शुरुआती दौर में ही पता लगा लेगा। इसको लागू करने को लेकर कंपनी ने देश में एक बड़े संस्थान से पार्टनरशिप कर ली है। इससे आधुनिक तरीक से चेस्ट का एक्सरे कर ब्रेस्ट कैंसर और लंग्स कैंसर का पता कर प्रभावी इलाज शुरू कर दिया जाएगा। 

अपोलो रेडियोलॉजी के साथ पार्टनरिशिप

सूत्र बताते हैं कि गूगल एआई ने अपोलो रेडियोलॉजी इंटरनेशनल के साथ एक पार्टनरशिप की है। ये दोनों मिलकर एआई हेल्थकेयर सोल्यूशन लेकर आ रहे हैं। यह सिस्टम भारत में ऐसी जानलेवा बीमारियों के बचाव में रामबाण साबित होगा, जिनका शुरुआती दौर में पता नहीं लग पाता और जब तक उनके बारे में पता चलता है, वह जानलेवा बन जाती हैं। इसके इस्तेमाल से चेस्ट एक्सरे के जरिए ही पता चल जाएगा कि वहां कौन सी बीमारी शुरू हो चुकी है। उसकी जानकारी लेकर तुरंत बीमारी का इलाज शुरू कर दिया जाएगा ताकि मरीज की जान आसानी से बचाई जा सके।

10 साल तक मुफ्त स्क्रीनिंग की सुविधा

इस पार्टनरशिप के बारे में गूगल ब्लॉगपोस्ट पर जानकारी साझा की गई है, जिसके अनुसार अपोलो रेडियोलॉजी इंटरनेशनल हमारे एआई मॉडल को भारतीयों के बीच ले जाएगा। यह सिस्टम आगामी 10 सालों तक मुफ्त स्क्रीनिंग सुविधा उपलब्ध कराएगा। बताया गया है कि यह सिस्टम भारत के उन ग्रामीण इलाकों के लिए बेहद उपयोगी होगा, क्योंकि वहां पर रेडियोलॉजिस्ट की कमी चल रही है। ब्लॉगपोस्ट में जानकारी दी गई है कि दुनिया में हर साल करोड़ों लोग टीबी की चपेट में आ रहे हैं। इनमें से हर साल पूरी दुनिया में इस बीमारी से करीब 13 लाख लोगों की मौत हो जाती है। भारत में टीबी का पता लगाने के लिए चला आ रहा एक्सरे सिस्टम आज भी जारी है। लेकिन कई ग्रामीण इलाकों में इस सिस्टम का अभाव है। अगर शुरुआती दौर में ही टीबी का पता नहीं चलता तो यह शरीर के लिए घातक हो सकती है। इसलिए यह नया सिस्टम भारत के अलावा पूरी दुनिया में ऐसी बीमारियों के इलाज में कारगर साबित होगा।

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