आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने वैज्ञानिकों की दशकों की मेहनत को कुछ ही घंटों में सुलझा दिया है। इम्पीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर जोस आर.पेनाडेस और उनकी टीम सालों से इस बात को समझने की कोशिश कर रहे थे कि सुपरबग्स (Superbugs) एंटीबायोटिक्स के खिलाफ प्रतिरोधी क्यों हो जाते हैं।
जोस आर पेनाडेस ने AI से पूछा सवाल
यह रिसर्च एक बेहद कठिन समस्या थी, जिसे हल करने में उन्हें दस साल का समय लगा। लेकिन जब उन्होंने अपनी रिसर्च से संबंधित एक छोटा सवाल AI से पूछा, तो उन्हें हैरानी हुई। AI ने महज 48 घंटों में उस सवाल का समाधान ढूंढ निकाला, जिसे सुलझाने में उनकी पूरी टीम कई सालों से जुटी थी।
अपने एग्लोरिदम से निकाला समाधान
प्रोफेसर पेनाडेस ने बताया कि जब उन्हें AI के रिजल्ट मिले, तो यह बहुत चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा, "हमारी रिसर्च अभी प्रकाशित नहीं हुई थी, तो इसका मतलब था कि AI ने यह जानकारी कहीं और से नहीं ली, बल्कि अपने एल्गोरिदम और डेटा विश्लेषण से समाधान निकाला।" AI ने न केवल उनकी परिकल्पना (Hypothesis) को सही ठहराया, बल्कि चार और संभावित उत्तर भी दिए। इनमें से एक नया था, जिस पर अब उनकी टीम काम कर रही है।
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सुपरबग्स की पहेली का हल निकाला
सुपरबग्स की समस्या एक बड़ी चुनौती है, जिसका समाधान ढूंढने के लिए वैज्ञानिक सालों से काम कर रहे थे। अब रिसर्च से यह पता चला कि सुपरबग्स अलग-अलग वायरस से एक प्रकार की पूंछ बना लेते हैं, जो उन्हें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलने में मदद करती है। प्रोफेसर पेनाडेस ने इसे समझाते हुए कहा, "सुपरबग्स के पास ऐसी कुंजी होती हैं, जिनकी मदद से वे एक होस्ट से दूसरे होस्ट में प्रवेश कर जाते हैं।"
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AI से विज्ञान में क्रांति
AI की शक्ति ने विज्ञान में एक नई क्रांति की शुरुआत की है। दुनियाभर में लोग इसे विज्ञान के लिए क्रांतिकारी मान रहे हैं। हालांकि, कुछ लोग इसके जरिए नौकरियों के खतरे की भी चिंता जता रहे हैं। प्रोफेसर पेनाडेस का मानना है कि AI विज्ञान को पूरी तरह बदल देगा। उन्होंने कहा, "मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी बड़े मैच का हिस्सा हूं। यह विज्ञान के लिए एक नया युग साबित होगा और इसका हिस्सा बनकर मैं बेहद उत्साहित हूं।"
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