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Photograph: (the sootr)
गुजरात में 10 रजिस्टर्ड, लेकिन गुमनाम राजनीतिक दलों को 2019-2024 के बीच 4300 करोड़ रुपए से अधिक चंदा मिला। यह चंदा विभिन्न राज्यों के दानदाताओं से प्राप्त हुआ, और इस समय में राज्य में तीन महत्वपूर्ण चुनाव हुए, जिनमें दो लोकसभा (2019, 2024) और एक विधानसभा (2022) चुनाव शामिल थे। हालांकि, इन दलों ने चुनावों में बहुत कम प्रत्याशी उतारे और इनकी उम्मीदवारी को केवल 54,069 वोट ही मिले।
यह चौंकाने वाली जानकारी गुजरात चुनाव आयोग के द्वारा जारी की गई कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट और इन दलों द्वारा जमा की गई निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट से सामने आई है। दिलचस्प बात यह है कि इन दलों ने चुनावी खर्च के रूप में महज 39 लाख रुपए रिपोर्ट किए, जबकि ऑडिट रिपोर्ट में इनका खर्च 3500 करोड़ रुपए के आसपास बताया गया।
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चुनावी खर्च में असमानता
गुजरात में इन गुमनाम दलों ने तीन प्रमुख चुनावों में हिस्सा लिया। इन दलों की चुनावी रिपोर्टों में एक बड़ा विरोधाभास पाया गया। चुनाव रिपोर्ट में कुल खर्च ₹39 लाख था, जबकि ऑडिट रिपोर्ट में खर्च ₹3500 करोड़ दिखाया गया। यह असमानता सवाल उठाती है, खासकर तब जब इन दलों ने इतनी कम संख्या में प्रत्याशी खड़े किए थे।
दल | दान (क करोड़) | खर्च (क करोड़) | चुनाव में प्रदर्शन (प्रत्याशी / वोट) | चुनाव में खर्च (लाख रु.) |
---|---|---|---|---|
लोकशाही सत्ता पार्टी | 1045 | 1031 | 4 / 3997 | 2.27 |
भारतीय नेशनल जनता दल | 962 | 961 | 8 / 11496 | 2.83 |
स्वतंत्र अभिव्यक्ति पार्टी | 663 | 73 | 6 / 11692 | 12.18 |
न्यू इंडिया यूनाइटेड पार्टी | 608 | 407 | 4 / 9029 | 1.61 |
सत्यवादी रक्षक पार्टी | 416 | 416 | 2 / 1042 | 1.43 |
भारतीय जनपरिषद | 249 | 247 | 15 / 14324 | 14.05 |
सौराष्ट्र जनता पक्ष | 200 | 199 | 1 / 140 | 1.47 |
जन मन पार्टी | 133 | 133 | 2 / 480 | 1.31 |
मानवाधिकार नेशनल पार्टी | 120 | - | 2 / 1887 | 0.82 |
गरीब कल्याण पार्टी | 138 | - | 3 / 3979 | 3.27 |
ऑडिट रिपोर्ट में दिखाया करोड़ों का खर्च
इन गुमनाम दलों की ऑडिट रिपोर्ट में तीन प्रमुख दलों का ब्योरा सामने आया है। भारतीय जनपरिषद ने ₹177 करोड़, सौराष्ट्र जनता पक्ष ने ₹141 करोड़ और सत्यवादी रक्षक ने ₹10.53 करोड़ चुनावी खर्च दिखाया। अन्य दलों ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में चुनावी खर्च का स्पष्ट विवरण नहीं दिया।
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मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के आरोप
अधिकारियों और विशेषज्ञों ने इन दलों के फंडिंग और खर्च के बीच अंतर को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के आरोप लगाए हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) के संस्थापक सदस्य, प्रोफेसर जगदीप छोकर ने कहा कि चुनावी खर्च की रिपोर्ट में अनियमितता और अधिक खर्च दिखाने से संबंधित डेटा मनी लॉन्ड्रिंग की ओर इशारा करता है।
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