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Photograph: (the sootr)
राजस्थान में पानी की किल्लत और जलवायु परिवर्तन के बीच राज्य सरकार अब गुजरात और पंजाब से पानी लाने के लिए योजना बना रही है। इस कदम से राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर और अन्य जिलों की तस्वीर बदलने की उम्मीद जताई जा रही है और उनका जल संकट दूर होगा। मध्यप्रदेश और हरियाणा के साथ जल विवादों के समाधान के बाद राजस्थान अब पुराने जल समझौतों पर फिर से ध्यान केंद्रित कर रहा है।
गुजरात और पंजाब से जुड़े जल आपूर्ति समझौते
राजस्थान सरकार ने पुराने जल समझौतों का पुनरावलोकन किया है, जिनमें गुजरात और पंजाब से पानी की आपूर्ति शामिल है। गुजरात से 40 टीएमसी पानी और पंजाब से रावी और व्यास नदियों का 0.60 एमएएफ पानी लाने की योजना है। हालांकि वर्षों पुराने इन समझौतों के बावजूद राजस्थान अब तक अपना पूरा पानी नहीं प्राप्त कर पाया है।
पंजाब से रावी और व्यास का पानी
राजस्थान और पंजाब के बीच वर्ष 1981 में रावी और व्यास नदियों से पानी आपूर्ति का समझौता हुआ था। इसमें हरियाणा भी शामिल था। इस समझौते के तहत राजस्थान को 8.60 एमएएफ पानी मिलने का प्रावधान था, लेकिन अब तक 8 एमएएफ ही मिल रहा है, और 0.60 एमएएफ हिस्सा अब तक राजस्थान को नहीं मिल पाया है।
राजस्थान का दावा है कि पंजाब को केवल 0.60 एमएएफ पानी तक का उपयोग करने की अनुमति थी, जब तक राजस्थान पूरी मात्रा का उपयोग करने के लिए सक्षम नहीं हो जाता। हालांकि पंजाब सरकार का तर्क है कि इन नदियों में इतना पानी नहीं है कि राजस्थान को बाकी का हिस्सा दिया जा सके।
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गुजरात से माही नदी का पानी
गुजरात और राजस्थान के बीच 1966 में माही नदी के पानी को लेकर जल समझौता हुआ था। इसके तहत गुजरात सरकार ने माही बांध के निर्माण में 55 प्रतिशत की लागत देने और 40 टीएमसी पानी देने पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन नर्मदा का पानी गुजरात के खेड़ा जिले में पहुंचने के बावजूद समझौते का पालन नहीं किया गया है। राजस्थान ने बार-बार इस पर ध्यान आकर्षित किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
राजस्थान सरकार की योजना और कदम
राजस्थान सरकार जल आपूर्ति के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। जलशक्ति मंत्रालय के साथ बातचीत चल रही है और यह भी आकलन किया जा रहा है कि बारिश के अधिशेष पानी को किस तरह लिफ्ट करके राज्य में लाया जा सकता है। जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार पानी की समस्या से निपटने के लिए गंभीर है और जल्द ही समाधान के लिए काम शुरू किया जाएगा।
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