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पिछले सात सालों में देश में हिंदुओं और मुसलमानों की आय ( hindu muslim income in india ) का अंतर कम हुआ है। इसका कारण देश में मुसलमानों की आय में बढ़ोतरी रही है। मुसलमानों की सालाना आय हिंदुओं से ज्यादा तेजी से बढ़ी है।
यह खुलासा पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी ( प्राइस ) के सर्वे में हुआ है। इस संस्था ने देश के 165 जिलों के 2 लाख से ज्यादा परिवारों की आय का सर्वे किया है।
हिंदू-मुस्लिम की आय का अंतर 87 परसेंट घटा
प्राइस की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हिंदुओं और मुसलमानों की मासिक आय ( hindu muslim monthly income ) का अंतर 7 साल में 87 परसेंट घट गया है। 2016 में देश के हिंदुओं की मासिक आय 24,667 रुपए थी। 2023 में यह बढ़कर 29,333 रुपए हो गई है। वहीं मुसलमानों की 2016 में मासिक आय 22,750 रुपए थी। 2023 में यह बढ़कर 29,083 रुपए हो गई है।
सात साल में मुस्लिम परिवारों की सालाना आय 2.73 लाख से बढ़कर 3.49 लाख हो गई है। इसमें 27.7 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। दूसरी ओर सात साल में हिंदू परिवारों की सालाना आय 2.96 लाख रुपए से 3.52 लाख हुई है। इसमें 18.8 परसेंट की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
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गरीबों की आय में ज्यादा बढ़ोतरी
प्राइस के आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि देश में आर्थिक रूप से कमजोर तबके की आय पहले से ज्यादा कमा रहे लोगों से ज्यादा तेजी से बढ़ी है।
कोरोना महामारी के पहले देश में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले 20 परसेंट लोगों की देश की आय में हिस्सेदारी 52 परसेंट थी। 2002-23 में यह घटकर 45 परसेंट हो गई। दूसरी ओर कोविड के पहले सबसे कम आय वाले 20 परसेंट लोगों की इनकम, देश की कुल आय का 3 परसेंट हिस्सा था। 2022-23 में यह बढ़कर 6.5 परसेंट हो गया है।
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सिखों की आय में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी
देश के सभी वर्गों में सिख वर्ग की सालाना आय सबसे ज्यादा बढ़ी है। 7 साल में सिख परिवारों की सालाना आय 57.4 परसेंट बढ़ी है। इसी तरह जैन समुदाय की सालाना आय भी 53.2 परसेंट बढ़ी है।
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पढ़े-लिखे कर रहे नौकरी
सर्वे में पाया गया कि जिन घरों में ज्यादा पढ़े-लिखे लोग हैं, वहां ज्यादा लोग नौकरी कर रहे हैं। ऐसे में परिवार की सालाना आय बढ़ रही है। हिन्दू घरों के सर्वे में 21 परसेंट लोग ग्रेजुएट मिले। 21 परसेंट ही नौकरीपेशा हैं। मुस्लिम परिवारों में 15 परसेंट लोग ग्रेजुएट हैं। 13 परसेंट नौकरी कर रहे हैं।
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