स्टॉक मार्केट क्रैश यानी मंदी के 6 प्रमुख कारण और इससे बचने के उपाय

मंदी (Recession) एक आर्थिक स्थिति है जिसमें देश की जीडीपी लगातार गिरती है, बेरोजगारी बढ़ती है और स्टॉक मार्केट में गिरावट आती है। इस लेख में हम मंदी के प्रमुख संकेतों को जानेंगे और यह भी समझेंगे कि कैसे इससे बचने के उपाय किए जा सकते हैं।

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Jitendra Shrivastava
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मंदी एक गंभीर आर्थिक समस्या हो सकती है, जो किसी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। यह तब होती है जब जीडीपी लगातार गिरती है, बेरोजगारी बढ़ती है और स्टॉक मार्केट में गिरावट आती है। इस लेख में हम मंदी के प्रमुख संकेतों को जानेंगे और यह भी समझेंगे कि कैसे इससे बचने के उपाय किए जा सकते हैं।  

बाजार में मंदी का ऐसे चलता है पता...

1. जीडीपी में गिरावट

यदि किसी देश की जीडीपी लगातार दो तिमाही तक गिरती है, तो यह एक स्पष्ट संकेत हो सकता है कि देश मंदी की ओर बढ़ रहा है। जीडीपी देश की आर्थिक गतिविधियों का मुख्य मापदंड है, और इसकी गिरावट से पता चलता है कि व्यापार और उत्पादन में कमी हो रही है।

2. बेरोजगारी दर में वृद्धि

मंदी के दौरान, कंपनियां अपने खर्चों में कटौती करती हैं और कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर देती हैं। इससे बेरोजगारी दर बढ़ती है। अगर किसी देश में रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं और बेरोजगारी बढ़ रही है, तो यह मंदी का संकेत हो सकता है।

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3. मुद्रास्फीति और मंदी का प्रभाव

अगर देश में महंगाई (Inflation) बहुत ज्यादा बढ़ जाती है या अगर कीमतें गिरने लगती हैं (Deflation), तो यह मंदी का संकेत हो सकता है। महंगाई बढ़ने पर खर्चे बढ़ जाते हैं, जबकि डिफ्लेशन से व्यापारों को नुकसान होता है, क्योंकि इससे मांग घट जाती है। 

4. ब्याज दरों में बदलाव

केंद्रीय बैंक मंदी से निपटने के लिए ब्याज दरों में बदलाव कर सकता है। अगर ब्याज दरों में लगातार कमी की जा रही है, तो इसका मतलब हो सकता है कि सरकार अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की कोशिश कर रही है, और यह संकेत हो सकता है कि देश मंदी का सामना कर रहा है।

5. व्यवसायों का घाटे में जाना

अगर कंपनियां और उद्योग लगातार घाटे में जा रहे हैं, तो यह भी मंदी का संकेत हो सकता है। मंदी के दौरान, लोग अपनी गैर-जरूरी चीजों पर खर्च कम कर देते हैं, जिससे कंपनियों की बिक्री और मुनाफे पर असर पड़ता है।

6. सरकारी टैक्स कलेक्शन में गिरावट

मंदी के दौरान, सरकार को कर संग्रह में कमी का सामना करना पड़ता है क्योंकि कंपनियों और व्यक्तियों की आय घट जाती है। यदि सरकार का राजस्व घटता है और बजट घाटा बढ़ता है, तो यह मंदी का संकेत हो सकता है।

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मंदी से कैसे बचें?

स्मार्ट फाइनेंशियल प्लानिंग: मंदी के दौरान बचत करना और अनावश्यक खर्चों में कटौती करना मददगार हो सकता है।

विविध निवेश करें: विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करना बेहतर होता है, बजाय एक ही क्षेत्र में निवेश करने के।

आय के वैकल्पिक स्रोत बनाएं: मंदी के दौरान आय के अन्य स्रोतों की तलाश करें।

सरकारी नीतियों का लाभ उठाएं: सरकार अक्सर मंदी के दौरान राहत पैकेज और योजनाएं लाती है, जिनका लाभ उठाया जा सकता है।  

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