1 अप्रैल 2025 से भारतीय सरकार कई महत्वपूर्ण टैक्स नियमों में बदलाव करने जा रही है। इन बदलावों का असर न केवल मिडिल क्लास और सैलरीड क्लास पर पड़ेगा, बल्कि यह आपकी निवेश और टैक्स प्लानिंग पर भी गहरा प्रभाव डालेगा। इसलिए इन नियमों को समझना और फाइनेंशियल ईयर 2025-26 की योजना बनाने में इनका ध्यान रखना जरूरी है।
1. नई इनकम टैक्स स्लैब और रेट (New Income Tax Slabs and Rates)
सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नए टैक्स स्लैब की घोषणा की है। अब 4 लाख रुपये से 8 लाख रुपये तक की आय पर 5%, 8 लाख रुपये से 12 लाख रुपये तक पर 10%, 12 लाख रुपये से 16 लाख रुपये तक पर 15%, और इसी तरह से आय पर टैक्स की दरें बढ़ाई गई हैं। यह बदलाव मिडिल क्लास के लिए राहत का कारण बन सकता है।
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2. सेक्शन 87A के तहत छूट में बढ़ोतरी (Increased Exemption Under Section 87A)
वित्त मंत्री ने सेक्शन 87A के तहत छूट को बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया है। इससे 12 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले टैक्सपेयर्स को कोई टैक्स नहीं देना होगा, जिससे उन्हें काफी राहत मिलेगी।
3. TDS नियमों में बदलाव (TDS Limit Change)
अब सीनियर सिटीजन के लिए इंटरेस्ट इनकम पर TDS लिमिट बढ़कर 1 लाख रुपये हो जाएगी। इसके अलावा, अन्य सेक्शन में भी TDS की लिमिट बढ़ाई जाएगी, जिससे छोटे टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी।
4. TCS नियमों में बदलाव (Changes in TCS Rules)
अब 10 लाख रुपये से अधिक की विदेश यात्रा या निवेश पर TCS देना होगा, जो पहले 7 लाख रुपये था। यह बदलाव उन पेरेंट्स के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो विदेश में बच्चों की पढ़ाई या पारिवारिक खर्चों के लिए पैसा भेजते हैं।
5. अपडेट टैक्स रिटर्न की समय सीमा बढ़ी (Extended Time Limit for Updated ITR)
अब अपडेटेड ITR फाइल करने के लिए समय सीमा को 12 महीने से बढ़ाकर 48 महीने (4 साल) कर दिया गया है। इससे यदि आप रिटर्न फाइल करने से चूक जाते हैं, तो अब आपको इसे फाइल करने के लिए 4 साल तक का वक्त मिलेगा।
6. IFSC में टैक्स छूट की समय सीमा बढ़ी (IFSC Tax Exemption Period Extended)
इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विस सेंटर (IFSC) के तहत टैक्स छूट की समय सीमा 31 मार्च 2025 से बढ़ाकर 31 मार्च 2030 कर दी गई है।
7. स्टार्टअप के लिए टैक्स छूट (Tax Exemption for Startups)
अब रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स को 80-IAC के तहत तीन साल तक 100% टैक्स छूट मिलेगी, जो उन्हें टैक्स की बड़ी राहत प्रदान करेगी।
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8. सेक्शन 206AB और 206CCA को हटाया गया (Removal of Sections 206AB and 206CCA)
कंप्लायंस को आसान बनाने के लिए सरकार ने सेक्शन 206AB और 206CCA को हटा दिया है, जिससे टैक्स कटौती और कलेक्शन में सरलता आएगी।
9. पार्टनर को दी जाने वाली सैलरी पर नई लिमिट (New Limit on Salary to Partners)
अब पार्टनरशिप फर्मों के लिए पार्टनर को दी जाने वाली सैलरी पर मैक्सिमम डिडक्शन लिमिट तय की गई है, जिससे टीडीएस कटौती भी लागू होगी।
10. यूलीप पर कैपिटल गेन के तौर पर टैक्स (Tax on ULIP under Capital Gains)
अब अगर कोई ULIP पॉलिसी जिसका एनुअल प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है, तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स दरें भी लागू होंगी।