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भारत की अर्थव्यवस्था ने नया मुकाम हासिल किया है। सकल घरेलू उत्पाद चार ट्रिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच गया। भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इस उपलब्धि ने देश को वैश्विक स्तर पर पहचान दी। निवेशकों का ध्यान अब भारत की ओर केंद्रित है।
नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने भारत की आर्थिक स्थिति पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए हैं। उन्होंने बताया कि भारत ने नॉमिनल GDP के मामले में बड़ी प्रगति की है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी सुधार की आवश्यकता है।
IMF की रिपोर्ट भी इस बात की पुष्टि करती है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, लेकिन समग्र विकास के लिए अभी भी कई चुनौतियाँ सामने हैं। भारत को अपनी आर्थिक ताकत को स्थिर और टिकाऊ बनाने के लिए इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार करना होगा। हालांकि, जब इस सफलता की तुलना जापान जैसे विकसित देशों से की जाती है, तो यह साफ नजर आता है कि भारत को अभी कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कड़ी मेहनत करनी है।
जापान के मुकाबले भारत के 7 कमजोर क्षेत्र
प्रति व्यक्ति आय और जीवन स्तर (Per Capita Income & Living Standards)
जापान की प्रति व्यक्ति आय लगभग 40,000 डॉलर है, जबकि भारत में यह केवल 2,500 डॉलर के करीब है। इसका मतलब है कि भारत के आम नागरिक की क्रय शक्ति और जीवन स्तर जापान की तुलना में काफी कम है। भारत में आय असमानता भी बड़ी समस्या है, जो सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित करती है।
जीवन प्रत्याशा और स्वास्थ्य सेवाएं (Life Expectancy & Healthcare)
जीवन प्रत्याशा के मामले में भारत पीछे है। भारत की औसत जीवन प्रत्याशा 65-70 वर्ष, जबकि 80-85 वर्ष है। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, पोषण और स्वच्छता जापान को इस मामले में आगे रखते हैं। भारत में ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुंच सीमित है, जिससे जीवन प्रत्याशा पर असर पड़ता है।
मैन्युफैक्चरिंग और औद्योगिक विकास (Manufacturing & Industrial Growth)
जापान ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में विश्व नेता है। भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अभी अपनी पूरी क्षमता पर नहीं पहुंच पाया है। तकनीकी नवाचार की कमी और आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरियां इसके विकास में बाधक हैं।
सामाजिक सुरक्षा प्रणाली (Social Security System)
जापान में स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और बेरोजगारी लाभ जैसी योजनाएं व्यापक हैं, जबकि भारत में सामाजिक सुरक्षा प्रणालियाँ अभी प्रारंभिक स्तर पर हैं। यह असमानता गरीबी को बढ़ावा देती है और गरीब वर्ग को आर्थिक सुरक्षा से वंचित रखती है।
शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच (Quality & Access to Education)
जापान की शिक्षा प्रणाली उच्च स्तर की और सभी के लिए उपलब्ध है, जिससे एक कुशल कार्यबल तैयार होता है। इसके विपरीत, भारत में शिक्षा की पहुंच असमान है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में। शिक्षकों और संसाधनों की कमी की वजह से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
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रोजगार और बेरोजगारी दर (Employment & Unemployment Rate)
जापान में बेरोजगारी की दर तीन प्रतिशत से भी कम है, जबकि भारत में यह लगभग सात से आठ प्रतिशत के बीच है। भारत की अधिकांश आबादी असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत है, जहां नौकरी की स्थिरता और सुरक्षा कम होती है। खासकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।
तकनीकी नवाचार और अनुसंधान (Technological Innovation & Research)
जापान तकनीक, रोबोटिक्स, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अग्रणी है। भारत में तकनीकी विकास प्रारंभिक स्तर पर है और अनुसंधान पर निवेश कम है। भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए इस क्षेत्र में सुधार करना आवश्यक है।
भारत का चौथा सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसे समग्र मानव विकास के संदर्भ में देखना जरूरी है। प्रति व्यक्ति आय, स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा और तकनीक जैसे क्षेत्रों में भारत को जापान की तरह मजबूती लाने की जरूरत है। सरकार और नीति निर्माताओं को इन क्षेत्रों में सुधार के लिए व्यापक रणनीति बनानी होगी ताकि भारत का विकास सतत, समावेशी और टिकाऊ हो सके।